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किसानो का स्टॉक ख़त्म और काली मिर्च के भाव आसमान पर

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काली मिर्च के दाम दशकों बाद आसमान पर हैं लेकिन इसके बाद भी किसानों की परेशानियां कम नहीं हुई हैं. इदुक्‍की को काली मिर्च के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. दशकों बाद भी काली मिर्च की कीमतें उच्चतम स्तर पर हैं तो वहीं किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्‍या है कि उनके पास अब जरूरी स्‍टॉक नहीं बचा है कि वो इस कीमत का फायदा उठा सकें.

काली मिर्च के दाम दशकों बाद आसमान पर हैं लेकिन इसके बाद भी किसानों की परेशानियां कम नहीं हुई हैं. इदुक्‍की को काली मिर्च के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. दशकों बाद भी काली मिर्च की कीमतें उच्चतम स्तर पर हैं तो वहीं किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्‍या है कि उनके पास अब जरूरी स्‍टॉक नहीं बचा है कि वो इस कीमत का फायदा उठा सकें. एक रिपोर्ट की मानें तो किसानों ने अपने परिवार के खर्चों के लिए काली मिर्च का स्‍टॉक बेच दिया. ऐसे में अब न तो उनके पास स्‍टॉक बचा है और न ही उससे होने वाले फायदे का कोई रास्‍ता. 

पैसे की जरूरत पर बेची मिर्च 

वेबसाइट मनोरमा.कॉम की रिपोर्ट के अनुसार इदुक्‍की में जब स्कूल फिर से खुले तो ज्‍यादातर किसानों ने किताबों, यूनिफॉर्म और स्टेशनरी के खर्च को पूरा करने के लिए अपने पास रखी काली मिर्च बेच दी. गर्मी की वजह से इलायची के बागान तबाह हो गए थे. ऐसे में किसानों को काली मिर्च, कोको और लौंग से उम्मीदें थीं. काली मिर्च की बेलें कठोर गर्मी से बच गई थीं. एझुकुमवायल के एक किसान जिंस ने कहा कि जब उन्‍हें पैसे की जरूरत होती है तो वो मिर्च या इलायची को बेचने के अलावा और क्या कर सकते हैं? 

उन्‍होंने बताया कि ज्‍यादातर  किसान 1000 रुपये प्रति किलो की उम्मीद कर रहे थे. लेकिन 700 रुपये प्रति किलो पर भी उनके पास बेचने के लिए मिर्च नहीं है. स्कूल खुलने पर मिर्च बेचनी पड़ी. उनके दो बच्चे हैं जो कक्षा 8 और 4 में पढ़ते हैं. उनका जीवन पूरी तरह से खेती पर निर्भर है. ऐसे में जब स्कूल फिर से खुले तो उन्‍हें अतिरिक्त धन की जरूरत थी. अब उनके पास कुछ भी नहीं बचा है. 

10 साल बाद महंगी हुई मिर्च 

साल 2014 में काली मिर्च 750 रुपये प्रति किलो के भाव पर बिकी थी. 10 साल बाद काली मिर्च की कीमत 680 रुपये प्रति किलो हो गई. साल 2017 में काली मिर्च की कीमत सबसे कम रही. उस समय यह 250 रुपये प्रति किलो थी. अब जब काली मिर्च को बेहतर दाम मिल रहे हैं तो इदुक्‍की के किसानों के पास बेचने के लिए फसल खत्म हो गई है. किसानों का कहना है कि मिर्च की खेती तभी फायदेमंद हो सकती है जब इसकी कीमत कम से कम 500 रुपये प्रति किलो हो. काली मिर्च एक ऐसा पौधा है जो कई बीमारियों के साथ-साथ फंगल और वायरल हमलों के लिए बहुत ही संवेदनशील होता है. 

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