निचले पर्वतीय क्षेत्रों में भिंडी की पालम कोमल, पी-8, अर्का अनामिका, वर्षा उपहार, यूएस 6125 (संकर), पंचाली (संकर), उमंग (संकर) , इंद्रनील (संकर), पूर्वी (संकर), कान्ति (संकर) इत्यादि तथा फ्रांसबीन की कंटेडर, प्रीमीयर, पालम मृदुला, फाल्गुनी, सोलन नैना, अर्का कोमल इत्यादि किस्मों की बिजाई का उचित समय है। इन्हीं क्षेत्रों में कद्दू वर्गीय सब्जियों जैसे खीरा (लांग ग्रीन पाईनसैट, यूएस 6125 (संकर), मालिनी (संकर), मालव (संकर) चप्पन कद्दू (पूसा अलंकार, आस्ट्रेलियन ग्रीन), करेला (सोलन हरा, सोलन सफेद, चमन (संकर) पाली (संकर) व घीया (पूसा मंजरी, पूसा मेघदूत, पीएसपीएल संकर वारड, संकर एमजीएच-1, संकर एमजीएच-4, संकर एमबीजीएच-8 इत्यादि किस्मों की सीधी बिजाई भी खेतों में की जा सकती है। बिजाई के समय भिंडी में सौ क्विंटल गोबर की गली सड़ी खाद, 150 किग्रा 12:32:16 खाद 50 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश तथा 50 किग्रा यूरिया खाद प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें।
फ्रांसबीन में 200 क्विंटल गोबर की खाद व 300 किग्रा 12:32:16 खाद प्रति हैक्टेयर की दर से खेतों में डालें। भिण्डी व फ्रांसबीन में खरपतवार नियंत्रण हेतु तीन लीटर लासो (एलाक्लोर) या चार लीटर स्टाम्प (पॉडिमिथेलिन) प्रति हेक्टेयर की दर से 750 लीटर पानी में घोलकर बिजाई के तुरंत बाद छिड़काव करें। मध्यवर्ती पहाड़ी क्षेत्रों में ग्रीष्मकालीन सब्जियों (टमाटर, बैंगन, मिर्च, शिमला मिर्च) की पनीरी उगाने के लिए उचित समय चल रहा है। प्रदेश कृषि विश्व विद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय के कृषि वैज्ञानिकों ने फरवरी माह के दूसरे पखवाड़े में निचले व मध्यवर्ती पर्वतीय क्षेत्रों में सूरजमुखी की ईसी 68415 किस्म की बिजाई करें। कतार से कतार की दूरी 60 सेंमी व पौधे से पौधें के बीच 25-30 सेंमी का फासला रखें। जीवाणु झुलसा रोग (वैक्टीरियल विल्ट) प्रभावित क्षेत्रों में इस रोग के लिए प्रतिरोधी किस्मों जैसे टमाटर की पालम पिंक, पालम प्राइड, संकर अवतार, संकर रक्षित, पालम टमाटर संकर-1, संकर यश, संकर हीम सोहना, संकर नवीन 2000 प्लस तथा इसके अतिरिक्त बैंगन की अर्का निधि, अर्का केशव व हिसार श्यामल तथा लाल मिर्च की सूरजमुखी व शिमला मिर्च की योलो बॅडर व कैलिफोर्निया वंडर जैसी किस्मों का चयन करें।