देश में इस साल दलहन के उत्पादन में बढ़ोतरी आने की उम्मीद है. भारत दलहन एवं अनाज संघ (आईपीजीए) के अध्यक्ष बिमल कोठारी का कहना है कि इस साल अच्छी बारिश होगी. इससे दलहन का उत्पादन बढ़ जाएगा. उनकी माने तो इसका सीधा असर दलहन आयात पर पड़ेगा. दलहन आयात चालू वित्त वर्ष में घटकर 4 से 4.5 मिलियन टन (एमटी) रह जाने की संभावना है. हालांकि, पिछले वित्त वर्ष में दलहन आयात 4.73 मिलियन टम था.
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कोठारी ने कहा कि अब तक अच्छी मॉनसूनी बारिश के कारण हमें खरीफ उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि देश ने अब तक 2 मिलियन टन पीली मटर का आयात किया है, जबकि एक मिलियन टन दालें बंदरगाह पर पड़ी हुई हैं, जो घरेलू आपूर्ति के लिए पर्याप्त होंगी. उन्होंने कहा कि पिछले साल दालों का उत्पादन अल नीनो प्रभाव से प्रभावित हुआ था. 2023-24 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में उत्पादन 2022-23 फसल वर्ष के 26.05 मिलियन टन से 6 फीसदी घटकर 24.49 मिलियन टन रह गया.
कीमतों में भी आएगी गिरावट
कोठारी ने कहा कि पिछले एक महीने में थोक बाजारों में दालों की कीमतों में कमी आई है और आगे भी इसमें कमी आने की उम्मीद है. पिछले एक महीने में थोक बाजारों में तुअर की कीमतों में 20 रुपये प्रति किलो की कमी आई है. उन्होंने कहा कि इस साल दालों की कीमतें नहीं बढ़ेंगी, बल्कि गिरती रहेंगी. अब तक सामान्य से अधिक मॉनसूनी बारिश के कारण, 3 अगस्त तक तुअर, उड़द और मूंग जैसी खरीफ दालों का रकबा सालाना आधार पर 10.9 फीसदी बढ़कर 11.06 मिलियन हेक्टेयर हो गया, जिससे 2024-25 सीजन में दालों के उत्पादन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भारत का दालों का आयात 2023-24 के दौरान सालाना आधार पर 90 फीसदी बढ़कर 4.73 मिलियन टन हो गया.
दालों के आयात में भारी गिरावट
भारत अपनी वार्षिक दालों की खपत का लगभग 15 फीसदी आयात करता है. साल 2020-21 में दालों का आयात 2.46 मिलियन टन, 2021-22 में 2.69 मिलियन टन और 2022-23 में 24.96 मिलियन टन रहा है. एक अधिकारी ने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में प्रमुख दालों की थोक कीमतों में 8 फीसदी की गिरावट आई है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, अरहर की मॉडल खुदरा कीमतें, जिनकी कीमतें जून में सालाना आधार पर सबसे अधिक 26.86 प्रतिशत बढ़ी थीं, शुक्रवार को घटकर 160 रुपये प्रति किलोग्राम हो गईं, जो महीने दर महीने 8.5 फीसदी की गिरावट है. एक आधिकारिक नोट के अनुसार, मंडी की कीमतों में गिरावट का रुझान अब हाल के हफ्तों में खुदरा कीमतों में दिखाई दे रहा है, क्योंकि दालों की अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमतों में सप्ताह-दर-सप्ताह आधार पर गिरावट आई है. इससे दालों की महंगाई दर में कमी आने की उम्मीद है, जो जून 2023 से दोहरे अंकों में है.
क्या कहते हैं कृषि अर्थशास्त्री
इस बीच, कृषि अर्थशास्त्री और कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) के पूर्व अध्यक्ष अशोक गुलाटी ने कहा कि उत्पादन में वृद्धि मांग के अनुरूप नहीं होने के कारण, यदि ‘सामान्य रूप से व्यापार करने का तरीका’ अपनाया जाता है तो देश को 2030 तक 8-10 मिलियन टन दालों का आयात करना पड़ सकता है. दालों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए, गुलाटी ने सुझाव दिया है कि पंजाब और हरियाणा के किसानों को धान से दालों की खेती करने के लिए 35,000 रुपये प्रति हेक्टेयर का वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए और सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर दालों की खरीद सुनिश्चित करनी चाहिए.