अमेरिकी संस्था सेंटर्स फॉर इनवायरमेंटल इनफॉर्मेशन (NCEI) की एक रिपोर्ट बताती है कि देश के उत्तरी, पूर्वी और दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में सूखे की पुष्टि हो चुकी है. फरवरी महीने में उत्तरी, पूर्वी और तटीय दक्षिण पश्चिमी इलाके में गंभीर सूखे की स्थिति बनी थी.देश के कई राज्यों में इन दिनों भीषण लू चल रही है. लू की वजह से आम जन जीवन प्रभावित है. भारतीय मौसम विभाग की तरफ से जारी पूर्वानुमान के अनुसार मई और जून में लू का सितम और बढ़ेगा. मसलन, कई अन्य राज्यों में भी लू का सामना करना पड़ेगा और लू के दिनों में भी बढ़ोतरी होगी. वहीं मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम में हो रहे ये बदलाव आने वाले दिनों में मौसम का हिस्सा बन जाएंगे. मसलन, आने वाले सालाें में तापमान में ये असामान्य बढ़ोतरी होती रहेगी.
कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो अल-नीनो अब भारत से विदा हो गया है. इससे एक कदम आगे जुलाई में ला-नीना की एंट्री का संकेत है. लेकिन इस बीच के महीनों में देश के कई हिस्सों ने बहुत कुछ झेल लिया है. इन बीच के महीनों में बारिश की इतनी घोर कमी हुई है कि कई जगह सूखे की स्थिति गंभीर है. कई हिस्से ऐसे हैं जहां खेतों में तबाही के हालात हैं. एक विदेशी रिपोर्ट में बताया गया है कि अल-नीनो (El-Nino) की वजह से देश के 26.5 परसेंट हिस्से में सूखे के हालात हैं. ये वो इलाके हैं जहां बारिश बेहद कम हुई है.
अमेरिकी संस्था सेंटर्स फॉर इनवायरमेंटल इनफॉर्मेशन (NCEI) की एक रिपोर्ट बताती है कि देश के उत्तरी, पूर्वी और दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में सूखे की पुष्टि हो चुकी है. फरवरी महीने में उत्तरी, पूर्वी और तटीय दक्षिण पश्चिमी इलाके में गंभीर सूखे की स्थिति बनी थी. भारत में जून 2023 में अल-नीनो सक्रिय हुआ था. तब से लेकर कई हिस्सों में मॉनसून की कम बारिश हुई. अमेरिकी संस्था ने देश के 711 जिलों से डेटा जुटाया और पाया कि पिछले साल अल-नीनो की जब शुरुआत हुई तो इन जिलों में 50 परसेंट तक कम बारिश दर्ज की गई.
क्या कहती है रिपोर्ट?
अभी हाल में ऑस्ट्रेलिया के मेटरोलॉजी ब्यूरो ने बताया था कि भारत से अल-नीनो की विदाई हो चुकी है. अल-नीनो अभी पूरी तरह से न्यूट्रल हो चुका है और जुलाई में ला-नीनो एक्टिव होगा. इसकी वजह से देश में अच्छी बारिश के अनुमान हैं. अल-नीनो जहां सूखे की स्थिति पैदा करता है, वहीं ला-नीना अधिक बारिश कराता है. ला-नीना की वजह से बाढ़ के हालात भी बनते हैं.
रिपोर्ट में बेंगलुरु का उदाहरण दिया गया है. बेंगलुरु को गार्डन सिटी कहा जाता है जहां मौसम हमेशा सुहाना रहता है. लेकिन इस बार बेंगलुरु त्राही माम कर रहा है. यहां पेयजल से लेकर भूजल तक की समस्या देखी जा रही है. इसके पीछे बड़ी वजह कम बारिश बताई जा रही है. फरवरी और मार्च में यहां बिल्कुल बारिश नहीं हुई है. यहां के अधिकांश कुएं और बोरवेल सूख चुके हैं. अभी वीकेंड पर बेंगलुरु में हल्की बारिश हुई जिससे लोगों को भारी राहत मिली. लोगों को उम्मीद है कि इससे पेयजल की समस्या कुछ सुलझेगी.
सूखे से बदतर हालत
बारिश की कमी का असर है कि देश के अधिकांश बांधों में पानी का स्तर 50 परसेंट से कम है. दक्षिण भारत के कई बांधों में पानी के हालात बहुत बुरे हैं. इससे खेती से लेकर बिजली और सिंचाई जैसी व्यवस्थाओं पर असर देखा जा रहा है. कई सिंचाई परियोजनाएं बांधों के पानी पर निर्भर हैं. बारिश नहीं होने से खरीफ फसलों पर अधिक दबाव है और दूसरी ओर बांधों में पानी कम होने से फसलों पर खतरा मंडरा रहा है. कई राज्यों के किसान बारिश की ओर निगाह लगाए बैठे हैं, लेकिन जून के पहले मॉनसून की आवक शायह ही हो पाए. ऐसे में स्थिति अभी और खराब हो सकती है.
जलवायु परिवर्तन की इन चुनाैतियों को लेकर वर्ल्ड मैट्रोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (WMO) भी चिंतित है. जिसने साल 2023 में हुए मौसम जनित घटनाओं पर एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के अनुसार लू से भारत में साल 2023 में 110 मौतें हुई. वहीं ये रिपोर्ट कहती है कि दुनिया के सभी महाद्वीपों में से एशिया पर ही जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक असर है. आइए जानते हैं कि WMO ने अपनी एशिया 2023 रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन की वजह से हुई मौसमी घटनाओं का जिक्र किया है.
एशिया का तापमान अधिक गर्म हो रहा
WMO की रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक असर एशिया पर पड़ रहा है. मसलन, जलवायु परिवर्तन की वजह से एशिया अधिक गर्म हो रहा है. WMO की रिपोर्ट कहती है कि साल 2023 में एशिया का सतही वार्षिक औसम तापमान रिकॉर्ड पर दूसरा सबसे अधिक दर्ज किया गया है.
WMO की रिपोर्ट कहती है कि साल 2023 में विशेष रूप से उच्च औसत तापमान पश्चिमी साइबेरिया से मध्य एशिया और पूर्वी चीन से जापान तक दर्ज किया गया. जापान और कजाकिस्तान में रिकॉर्ड गर्मी दर्ज की गई. रिपोर्ट कहती है कि 1961-1990 की अवधि के बाद से एशिया के तापमान वृद्धि की प्रवृत्ति लगभग दोगुनी हो गई है.
एशिया के 22 में से 20 ग्लेशियर पिघल रहे, बर्फवारी कम हो रही
WMO ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हाई-माउंटेन एशिया क्षेत्र तिब्बती पठार पर केंद्रित उच्च-ऊंचाई वाला क्षेत्र है. इसके ग्लेशियर लगभग 10 लाख वर्ग किमी क्षेत्र को कवर करते हैं, लेकिन बीते कुछ दशकों में इस क्षेत्र के अधिकांश ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं. मसलन, एशिया क्षेत्र के 22 ग्लेशियरों में से 20 ग्लेशियरों में बड़े पैमाने पर नुकसान देखा गया है. वहीं तापमान में बढ़ाेतरी और सूखे जैसे हालातों ने अधिकांश ग्लेशियरों के नुकसार को बढ़ाया है.
वहीं रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पर्माफ्रॉस्ट (दो या अधिक वर्षों तक 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे दबी रहने वाली मिट्टी) भी तेजी से पिघल रही है. रिपोर्ट कहती है कि रूसी एजेंसी की निगरानी ने दावा किया है कि पर्माफ्रॉस्ट का सबसे तेज पिघलना यूरोपीय उत्तर, ध्रुवीय उराल और पश्चिमी साइबेरिया के पश्चिमी क्षेत्रों में है. इसका कारण आर्कटिक के उच्च अक्षांशों में वायु तापमान में निरंतर वृद्धि है. वहीं रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि 2023 में एशिया में बर्फबारी का दायरा 1998-2020 के औसत से थोड़ा कम था.
हांगकांग में एक घंटे में 158 MM बारिश, जापान सबसे अधिक गर्म
WMO की रिपोर्ट कहती है कि साल 2023 में तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, हिंदू कुश (अफगानिस्तान, पाकिस्तान), हिमालय क्षेत्र में गंगा के आसपास और ब्रह्मपुत्र नदियों के निचले हिस्से (भारत और बांग्लादेश), अराकान पर्वत (म्यांमार) और मेकांग नदी से लगे निचले क्षेत्र में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई. तो वहीं दक्षिण-पश्चिम चीन को सूखे का सामना करना पड़ा.
इसी तरह साल 2023 को एक दिन में यानी 7 सितंबर को हांगकांग एक घंटे में कुल 158.1 मिमी बारिश दर्ज की, जो 1884 में आए तूफ़ान के परिणामस्वरूप शुरू हुए रिकॉर्ड के बाद से सबसे अधिक रही, जबकि वियतनाम के कई स्टेशनों पर अक्टूबर में दैनिक वर्षा की रिकॉर्ड-तोड़ मात्रा देखी गई.
2023 में एशिया के कई हिस्सों में अत्यधिक गर्मी का अनुभव हुआ. जापान में सबसे गर्म गर्मी का अनुभव किया गया. चीन ने गर्मियों में 14 उच्च तापमान की घटनाओं का अनुभव किया, जिसमें लगभग 70% राष्ट्रीय मौसम विज्ञान स्टेशनों का तापमान 40℃ से अधिक था और 16 स्टेशनों ने अपने तापमान रिकॉर्ड तोड़ दिए.
समुद्र में भी लू, बाढ़-तूफान से 9 मिलियन लोगों पर असर
WMO की रिपोर्ट के अनुसार 2023 में, उत्तर-पश्चिम प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान रिकॉर्ड पर सबसे अधिक था. यहां तक कि आर्कटिक महासागर को भी समुद्री लू का सामना करना पड़ा. वहीं WMO अपनी रिपोर्ट में इमरजेंसी इवेंट डेटाबेस के हवाला से कहता है कि साल 2023 में एशिया में जल-मौसम संबंधी खतरे की घटनाओं से जुड़ी कुल 79 आपदाएं दर्ज की गईं. इनमें से 80% से अधिक बाढ़ और तूफान की घटनाओं से संबंधित थे, जिनमें 2,000 से अधिक मौतें हुईं और नौ मिलियन लोग सीधे प्रभावित हुए.
2023 में, पश्चिमी उत्तरी प्रशांत महासागर और दक्षिण चीन सागर के ऊपर कुल 17 चक्रवात बने. हालांकि यह औसत से कम था, लेकिन इस वजह से चीन, जापान, फिलीपींस और कोरिया गणराज्य सहित देशों में अभी भी बड़े प्रभाव और रिकॉर्ड-तोड़ बारिश हुई.
इसको लेकर WMO के महासचिव सेलेस्ट साउलो कहते हैं किअत्यधिक गर्मी से उत्पन्न स्वास्थ्य संबंधी बढ़ते खतरों के बावजूद, गर्मी से संबंधित मृत्यु दर अक्सर रिपोर्ट नहीं की जाती है. एशिया के कई देशों ने 2023 में अपने सबसे गर्म वर्ष का अनुभव किया, साथ ही सूखे और गर्मी की लहरों से लेकर बाढ़ और तूफान तक की चरम स्थितियों का सामना किया. जलवायु परिवर्तन ने ऐसी घटनाओं की आवृत्ति और गंभीरता को बढ़ा दिया है, जिससे समाज, अर्थव्यवस्था और, सबसे महत्वपूर्ण, मानव जीवन और जिस पर्यावरण में हम रहते हैं, उस पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है.