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प्रकृति की मार झेल रही है दार्जीलिंग चाय , अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें गिरीं

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मुस्कटेल फ्लेवर, जो कि दार्जीलिंग चाय की एक विशेष और मीठी स्वाद है, चाय प्रेमियों के बीच अत्यधिक सराहा जाता है. यह स्वाद आमतौर पर दूसरी फसल (सेकंड फ्लश) के चाय में पाया जाता है, जो मई-जून में हार्वेस्ट होती है.

दार्जीलिंग चाय पिछले कुछ वर्षों से प्रकृति की मार झेल रही है. 2022 में दार्जीलिंग चाय का उत्पादन 6.93 मिलियन किलोग्राम था, जो 2023 में घटकर 6.18 मिलियन किलोग्राम हो गया है.दार्जीलिंग चाय की मशहूर मुस्कटेल फ्लेवर इस साल की फसल में गायब रही है, जिसके कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में चाय की कीमतें 50 प्रतिशत तक गिर गई हैं. चाय के व्यापारियों और उत्पादकों के अनुसार भारतीय बाजार में भी दार्जीलिंग चाय की बिक्री में मुस्कटेल फ्लेवर का अभाव साफ देखा जा रहा है.
मुस्कटेल फ्लेवर, जो कि दार्जीलिंग चाय की एक विशेष और मीठा फ्लेवर का स्वाद है, चाय प्रेमियों के बीच अत्यधिक सराहा जाता है. यह स्वाद आमतौर पर दूसरी फसल (सेकंड फ्लश) के चाय में पाया जाता है, जो मई-जून में उत्पादित होती है. इस साल असामान्य मौसम की स्थिति के कारण, मुस्कटेल फ्लेवर चाय की गुणवत्ता पर असर पड़ा है.

गोल्डन टिप्स के प्रबंधक निदेशक माधव सारदा ने कहा, “मुस्कटेल फ्लेवर दूसरी फसल की चाय में होता है, लेकिन इस बार मौसम के अनियमित होने के कारण यह फ्लेवर गायब है. इसके परिणामस्वरूप, दूसरी फसल की चाय की कीमतों में 25 से 50 प्रतिशत तक की गिरावट आई है.” उन्होंने यह भी कहा कि कुछ चाय में मुस्कटेल फ्लेवर का दावा किया जा रहा है, लेकिन वे वास्तविक नहीं हैं.

पहले फसल की दार्जीलिंग चाय ने इस साल अच्छा प्रदर्शन किया है. 92 वर्षीय नाथमुल्स टी के सह-मालिक गिरीश सारदा ने बताया, “पिछले साल जिन चायों की कीमतें 1,700 रुपये प्रति किलोग्राम थीं, वे अब 1,900 से 2,000 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही हैं. हालांकि, लंबे सूखे के कारण पहले फसल की चाय की मात्रा में 40 से 50 प्रतिशत की गिरावट आई है.”

नाथमुल्स कुछ उच्च गुणवत्ता की पहली फसल की चाय बेचता है, जिनकी कीमत 3,944 रुपये से 53,586 रुपये प्रति किलोग्राम तक होती है. लेकिन बड़ी संख्या में ग्राहक सामान्य दार्जीलिंग चाय को 1,500 से 2,000 रुपये प्रति किलोग्राम के रेंज में खरीदते हैं.

दार्जीलिंग चाय पिछले कुछ वर्षों से प्रकृति की मार झेल रही है. 2017 में पहाड़ियों में चले आंदोलनों ने भी बागानों और उनकी प्रॉफिट को प्रभावित किया. 2022 में दार्जीलिंग चाय का उत्पादन 6.93 मिलियन किलोग्राम था, जो 2023 में घटकर 6.18 मिलियन किलोग्राम हो गया है.

विदेशी खरीदारों की कमी भी देखी जा रही है जो नेपाल की चाय को प्राथमिकता दे रहे हैं क्योंकि उसकी कीमतें दार्जीलिंग चाय की तुलना में कम हैं और स्वाद भी लगभग समान है.

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