पंजाब के कृषि, पशुपालन, मत्स्यपालन और डेयरी विकास मंत्री गुरमीत सिंह खुदियां ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से की मुलाकात. चौहान ने पंजाब को खेती के विकास के लिए हरसंभव मदद करने का भरोसा दिलाया. इन दिनों चौहान एक-एक कर सभी राज्यों के कृषि मंत्रियों से मिल रहे हैं. उन्होंने पंजाब सरकार को खेती के जरिए पानी बचाने पर फोकस करने की सलाह दी है.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंजाब सरकार को भू-जल बचाने की ओर ध्यान देने की अपील की है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को खेती करने के लिए पानी बचा रहे. उन्होंने कहा कि पानी बचाने के लिए क्रॉप डायवर्सिफिकेशन करने की जरूरत है, वरना पानी पाताल में चला जाएगा. चौहान कृषि मंत्रियों के साथ क्रमवार बैठकों की कड़ी में बृहस्पतिवार को दिल्ली स्थित कृषि भवन में पंजाब के कृषि, पशुपालन, मत्स्यपालन, डेयरी विकास और खाद्य प्रसंस्करण मंत्री गुरमीत सिंह खुदियां के साथ बैठक कर रहे थे. दरअसल, पिछले कुछ दशकों में पंजाब में दलहन, तिलहन और बागवानी फसलों का एरिया कम हो गया है और उसकी जगह धान और गेहूं ने ले ली है. धान की खेती में बहुत पानी की जरूरत पड़ती है, इसलिए पंजाब में भू-जल संकट गहराता जा रहा है.
बहरहाल, चौहान ने खुदियां से कहा कि किसानों को ड्रैगन फ्रूट, कीनू आदि उगाने सहित बागवानी एवं अन्य फसलों के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि पराली की समस्या भी कम हो और किसानों की आमदनी भी बढ़ सके.केंद्रीय कृषि मंत्री के साथ पंजाब के कृषि मंत्री की खेती-किसानी के विकास को लेकर विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई. चौहान ने पंजाब को खेती के विकास के लिए हरसंभव मदद करने का भरोसा दिलाया.
राज्यों के साथ बढ़ेगा सहयोग
चौहान ने बैठक में ही, पंजाब सरकार द्वारा रखे गए राज्य कृषि सांख्यिकी प्राधिकरण से संबंधित प्रस्ताव पर मंत्रालय की ओर से मंजूरी का पत्र पंजाब के मंत्री को सौंपा. जिस पर खुदियां ने राज्य सरकार की ओर से चौहान का आभार जताया. पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है. चौहान, सभी पार्टियों की सरकारों के कृषि मंत्रियों से बातचीत कर रहे हैं, ताकि खेती-किसानी के विकास के लिए राज्यों और केंद्र में कोई गैप न रहे.
फसल मैनेजमेंट के लिए होगा काम
कृषि सांख्यिकी में सुधार (आईएएस) योजना में पंजाब को भी शामिल करते हुए परियोजना निगरानी इकाई (पीएमयू) स्थापित करने की अनुमति दी गई है. इस योजना के अंतर्गत आईएएस के कार्यों में शामिल कर्मचारियों के लिए 100 प्रतिशत वित्तीय सहायता के साथ धनराशि जारी की जाती है. यह पहल कृषि सांख्यिकी प्रणाली में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. बैठक में फसल अवशेष प्रबंधन योजना के कार्यान्वयन को लेकर चर्चा हुई और इस बात पर जोर दिया गया कि पर्यावरण के हित में इस दिशा में और भी गंभीरता से काम किया जाना चाहिए.
पूरी मदद देगा केंद्र
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के संबंध में केंद्रीय मंत्री चौहान ने केंद्र सरकार की ओर से पंजाब को पूरी मदद का भरोसा दिलाया, वहीं चौहान ने कहा कि अन्य राज्यों की तरह पंजाब को भी पर्याप्त खाद-बीज की आपूर्ति होती रहेगी. उन्होंने कहा कि केंद्र शासन इस संबंध में पूरी तरह गंभीरता से काम कर रहा है. हम मिल-जुलकर खेती-किसानी के विकास के लिए लगातार काम करते रहेंगे. बैठक में कृषि सचिव संजीव चोपड़ा और पंजाब के कृषि अधिकारी मौजूद रहे.
पानी के लिए पूसा-44 बैन किया
पंजाब सरकार गिरते भू-जल स्तर से परेशान है. ऐसे में उसने अपने यहां की सबसे लोकप्रिय धान की किस्मों में से एक पूसा-44 को बैन कर दिया है. यह किस्म ज्यादा पानी की खपत करती है. दरअसल, धान की फसल औसतन 4 महीने यानी 120 दिन में तैयार हो जाती है. इसमें नर्सरी से लेकर कटाई तक का वक्त शामिल होता है. लेकिन पूसा-44 को तैयार होने में 150 दिन का समय लगता है. इसीलिए इसमें पानी का खर्च ज्यादा होता है.
यह किस्म पंजाब में इसलिए किसानों के बीच बहुत पसंद की जाती है क्योंकि पैदावार अन्य किस्मों से अच्छी है. इस वैराइटी में प्रति एकड़ 40 क्विंटल तक की पैदावार होती है. जबकि आमतौर पर धान की किस्में 25 से 30 क्विंटल के बीच ही उपज देती हैं. लेकिन, पानी बचाने के लिए इसे बैन किया गया है.