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अधिक उपज के लिए खरीफ बाजरा की बेहतरीन किस्में

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बाजरा के अधिकांश क्षेत्र में हाइब्रिड किस्में उगाई जाती हैं, जबकि सूखा प्रभावित क्षेत्रों में समान्य किस्में अधिक पसंद की जाती हैं. खरीफ सीजन के लिए विभिन्न राज्यों के लिए अलग-अलग हाइब्रिड किस्में और सामान्य किस्में की बुवाई का सुझाव दिया गया है. इन किस्मों की बुवाई को सही तारीके से मॉनसून के आगमन के साथ करना चाहिए, जिससे अधिक उपज लिया जा सके

बाजरा खरीफ सीजन की एक प्रमुख फसल है, जो सूखे और विकट परिस्थितियों में भी खाद्य और चारा उत्पादन करती है. यह फसल उन क्षेत्रों में भी उगाई जा सकती है जहां अन्य अनाज फसलें नहीं उगाई जा सकतीं. जलवायु परिवर्तन के दौर में बाजरा की अहमियत बढ़ रही है, क्योंकि यह पौष्टिकता के मामले में अन्य फसलों से काफी बेहतर है. इसमें प्रोटीन, वसा और ऊर्जा अधिक होती है और कैल्शियम और आयरन की मात्रा भी अधिक होती है. बाजरा को दलिया, रोटी, स्नैक्स और अनाज के रूप में खाया जा सकता है. भारत में बाजरा, चावल, गेहूं और मक्का के बाद चौथी सबसे अहम अनाज फसल है. देश में लगभग 70 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती की जाती है, जिसमें से 58 फीसदी खेती राजस्थान में होती है. 

कब और कैसे करें बाजरे की बुवाई?

भारतीय श्री अन्न अनुसंधान संस्थान (आईएएमआर) हैदराबाद के अनुसार बाजरा विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में उगाया जा सकता है, लेकिन जलजमाव वाली मिट्टी में अच्छी तरह नहीं बढ़ता है. खेत को एक या दो बार हल चलाकर और फिर जुताई कर अच्छी तरह से तैयार करना चाहिए. बाजरे की बुवाई मॉनसून के आगमन के साथ होनी चाहिए, अर्थात देश के उत्तर और मध्य के राज्य में जुलाई के पहले पखवाड़े में बुवाई करनी चाहिए.

बाजरे की बुवाई समतल सतह पर या रिज और फर्रो प्रणाली का उपयोग करके और चौड़ी-बेड और फर्रो प्रणाली का उपयोग करके की जा सकती है. बाजरा के लिए बीज दर 3-4 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होना चाहिए. शुष्क क्षेत्रों के लिए 60 x 15 सेमी की दूरी पर और 450 मिमी से अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए 45 x 15 सेमी की दूरी पर बुवाई करनी चाहिए. बीज को 2.5 से 3 सेमी गहराई में बोना चाहिए. बीजों को विभिन्न बीमारियों से बचाने के लिए थिरम, मेटालैक्सिल, ट्राइकोडर्मा आदि के साथ उपचारित करें. नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की उपलब्धता बढ़ाने के लिए एजोसपिरिलम और फॉस्फोबैक्टीरियम के साथ उपचार करना चाहिए.

राज्यों के लिए बाजरे की बेहतर किस्में

आईएएमआर के मुताबिक, उच्च उत्पादकता वाली किस्मों का चयन करें. बाजरा के अधिकांश क्षेत्र में हाइब्रिड किस्में उगाई जाती हैं, जबकि सूखा प्रभावित क्षेत्रों में समान्य किस्में अधिक पसंद की जाती हैं. खरीफ सीजन के लिए विभिन्न राज्यों के लिए अलग-अलग हाइब्रिड किस्में और सामान्य किस्में की बुवाई का सुझाव दिया गया है.                                                                                 

राजस्थान के लिए हाइब्रिड किस्में जैसे KBH 108, GHB 905, 86M89, और सामान्य किस्मों में MBC 2, PC 443, JBV 3 आदि की बुवाई करनी चाहिए. अगर शुष्क क्षेत्र है, तो वहां के लिए HHB 34, Bio 70, HHB-226, RHB-177, CZP 9802 की बुवाई करनी चाहिए.

हरियाणा के लिए हाइब्रिड किस्में: KBH 108, GHB 905, 86M89, और सामान्य किस्मों MBC 2, PC 443, HC 20 की बुवाई करनी चाहिए. हरियाणा के शुष्क क्षेत्र के लिए HHB 234, HHB-226, RHB-177, CZP 9802 किस्मों की बुवाई करनी चाहिए.

पंजाब के लिए हाइब्रिड किस्में: KBH 108, GHB 905, 86M89 और सामान्य किस्मों PCB 164, ICMV 221, Raj 171 की बुवाई करनी चाहिए.

दिल्ली के लिए हाइब्रिड किस्में: KBH 108, GHB 905, 86M89 और सामान्य किस्मों JBV 3, PC 383, ICMV 221, Raj 171 की बुवाई करनी चाहिए.

उत्तर प्रदेश के लिए हाइब्रिड किस्में: KBH 108, GHB 905, 86M89 और सामान्य किस्मों JBV 3, PC 383, ICMV 221, Raj 171 की बुवाई करनी चाहिए.

मध्य प्रदेश के लिए हाइब्रिड किस्में: KBH 108, GHB 905, 86M89 और सामान्य किस्में JBV 4,JBV 3, PC 383 बुवाई के लिए अनुमोदित की गई हैं. 

बाजरा में कब और कैसे दे उर्वरक? 

बाजरा के लिए शुष्क क्षेत्रों में 40 किलोग्राम नाइट्रोजन और 20 किलोग्राम फॉस्फोरस प्रति हेक्टेयर देना चाहिए, जबकि सामान्य दशा में 60 किलोग्राम नाइट्रोजन और 30 किलोग्राम फॉस्फोरस प्रति हेक्टेयर देना चाहिए. हल्की मिट्टियों में नाइट्रोजन की खुराक को आधे-आधे में विभाजित कर दें. जिंक की कमी को दूर करने के लिए फूल निकलने की अवस्था में 0.2% जिंक सल्फेट का छिड़काव करें. लंबे समय तक सूखे के दौरान, नाइट्रोजन की टॉप ड्रेसिंग को छोड़ दें और 2 परसेंट यूरिया का छिड़काव करें. बुवाई के 15 और 30 दिन बाद निराई और गुड़ाई करें. एट्राज़िन का प्री-इमर्जेंट खरपतवार नियंत्रण करें.

इस तरह बाजरे की खेती करने वाले किसान, अगर सही तकनीकों से सही किस्मों का चुनाव करेंगे, तो बाजरा के प्रोडक्शन और क्वालिटी में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं.

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