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आयुष गंगवार बने जैविक खेती में बरेली के किसानों के लिए प्रेरणा

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आज के दौर में, जैविक खेती किसानों के लिए न केवल एक बेहतर विकल्प बन गई है, बल्कि इसके जरिए वे उच्च गुणवत्ता वाली उपज और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे रहे हैं। बरेली के युवा किसान आयुष गंगवार ने इस दिशा में एक नई सोच को अपनाते हुए जैविक खेती में सफ़लता प्राप्त की है। आयुष ने अपने आधुनिक दृष्टिकोण और नवाचार से जैविक खेती के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छुआ है, जिससे वे अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन गए हैं।

जैविक खेती क्या है?

जैविक खेती एक ऐसी विधि है, जिसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता। इसके बजाय, जैविक उर्वरक और जैविक कीटनाशक का उपयोग किया जाता है। इसका उद्देश्य फसलों की गुणवत्ता को बढ़ाना और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना है। आयुष गंगवार ने भी इस तकनीक को अपनाया और जैविक खेती में सफ़लता के साथ अपने खेतों में उन्नति हासिल की। उन्होंने जैविक खेती के तरीकों का उपयोग कर न केवल उत्पादन को बढ़ाया, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा में भी योगदान दिया।

आयुष गंगवार की जैविक खेती में सफ़लता की कहानी

बरेली के आयुष गंगवार ने अपनी पारंपरिक खेती छोड़कर जैविक खेती में सफ़लता की शुरुआत की। शुरुआत में, उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ा, क्योंकि जैविक खेती की विधियों के बारे में जानकारी का अभाव था। लेकिन उन्होंने सरकारी योजनाओं और स्थानीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों का लाभ उठाया और धीरे-धीरे जैविक खेती के फायदे समझे।

आयुष ने अपने खेत में जैविक खाद कैसे बनाये की प्रक्रिया को अपनाया और गोबर खाद, वर्मीकम्पोस्ट और जैविक कीटनाशकों का उपयोग करना शुरू किया। उन्होंने फसल चक्रीकरण और प्राकृतिक उर्वरकों का उपयोग करके अपनी उपज की गुणवत्ता को काफी बेहतर बनाया। इसके परिणामस्वरूप, आयुष की फसलें न केवल बेहतर हुईं, बल्कि उन्हें बाजार में अच्छी कीमत भी मिली।

आज आयुष गंगवार की जैविक खेती में सफ़लता ने उन्हें एक पहचान दी है। वे न केवल आर्थिक रूप से सफल हुए हैं, बल्कि जैविक खेती के प्रति अपनी नई सोच और जागरूकता फैलाने के लिए भी जाने जाते हैं। उन्होंने अन्य किसानों को भी जैविक खेती के लाभ समझाए और उन्हें इस पद्धति को अपनाने के लिए प्रेरित किया।

जैविक खेती के फ़ायदे

आयुष गंगवार की सोच इस बात का प्रमाण है कि जैविक खेती में सफ़लता से कितने लाभ हो सकते हैं। जैविक खेती न केवल पर्यावरण के लिए फ़ायदेमंद है, बल्कि इससे उपज की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। जैविक खेती से होने वाले फ़ायदे कुछ इस तरह है:

उपज की गुणवत्ता में सुधार: जैविक तरीकों से उपजाए गए उत्पादों में पोषक तत्व अधिक होते हैं, जिससे उनकी गुणवत्ता उच्च स्तर की होती है।
मिट्टी की उर्वरता: जैविक उर्वरक का उपयोग मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे दीर्घकालिक उपज में सुधार होता है।
पर्यावरण संरक्षण: जैविक खेती में रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग नहीं होता, जिससे जल, मिट्टी और हवा प्रदूषण मुक्त रहते हैं।
बाजार में उच्च मांग: आजकल बाजार में जैविक खेती के उत्पाद की मांग तेजी से बढ़ रही है, जिससे किसान अच्छी कीमत पर अपनी उपज बेच सकते हैं।
स्वास्थ्य के लिए लाभकारी: जैविक फसलें स्वास्थ्यवर्धक होती हैं, क्योंकि इनमें रासायनिक तत्वों का अभाव होता है।

जैविक खेती की शुरुआत और तकनीक

आयुष ने जैविक खेती में सफ़लता प्राप्त करने के लिए शुरुआत से ही गहन शोध किया और सीखा कि जैविक खाद कैसे बनाएं। उन्होंने अपने खेत में वर्मी-कम्पोस्ट और गोबर की खाद तैयार की। इसके साथ ही, आयुष ने जैविक बीज की जानकारी इकट्ठा की, ताकि वे उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन कर सकें।

आयुष ने अपने खेतों में फसल चक्रीकरण और मल्चिंग जैसी विधियों का प्रयोग किया, जिससे फसल की उत्पादकता में वृद्धि हुई और मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार हुआ। इसके साथ ही, उन्होंने जैविक कीटनाशक कैसे बनाएं इसकी विधि अपनाई, जिससे उनके खेत की फसलें कीट-मुक्त और स्वस्थ रहीं। उनकी मेहनत और प्रयासों ने उन्हें जैविक खेती में सफ़लता दिलाई, जिससे वे अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन गए हैं।

जैविक खेती से लाभ कैसे कमाएं?

आयुष गंगवार की सफ़लता इस बात का प्रमाण है कि जैविक खेती किसानों के लिए एक लाभदायक पद्धति हो सकती है। उन्होंने जैविक खेती के उत्पाद को सीधे बाजार में बेचने के लिए स्थानीय और शहरी बाजारों का चयन किया, जहां जैविक उत्पादों की मांग अधिक होती है। साथ ही, सरकार द्वारा जैविक खेती पर सरकारी योजना के तहत उन्हें वित्तीय सहायता भी मिली, जिससे उनका व्यवसाय और तेजी से बढ़ा।

बरेली के किसानों के लिए प्रेरणा

आयुष गंगवार की जैविक खेती की कहानी केवल उनकी व्यक्तिगत सफ़लता की कहानी नहीं है, बल्कि यह अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने साबित कर दिया है कि जैविक खेती के तरीके अपनाकर छोटे किसान भी बड़ी सफ़लता हासिल कर सकते हैं। आयुष की नई सोच ने बरेली के अन्य किसानों को भी जैविक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया है, जिससे जैविक खेती का भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है।

भारत में जैविक खेती का बढ़ता प्रभाव और नवाचार

आयुष जैसे युवा किसान सिर्फ़ अपने खेतों में ही बदलाव नहीं ला रहे हैं, बल्कि पूरे देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई स्तरों पर नवाचार किए जा रहे हैं। भारत में जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए ‘परंपरागत कृषि विकास योजना’ (PKVY) और ‘मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट फॉर नॉर्थ ईस्टर्न रीजन’ (MOVCDNER) जैसी योजनाओं की शुरुआत की गई है। इसके तहत किसानों को जैविक खेती के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है और जैविक उत्पादों को बेहतर बाजार मूल्य दिलाने के लिए वैल्यू चेन का विकास किया जा रहा है।

इसके अलावा, देश के विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्र और शोध संस्थान भी जैविक खेती के विभिन्न पहलुओं पर शोध कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में जंगली घास और फसलों के अपशिष्ट को कम्पोस्ट में बदलने के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल हो रहा है, जिससे किसान आसानी से अपने खेतों में जैविक खाद का उपयोग कर सकते हैं।

नई तकनीकें बना रहीं जैविक खेती को और बेहतर

भारत के कई हिस्सों में ड्रोन, सॉइल हेल्थ कार्ड, और सेंसर्स जैसी आधुनिक तकनीकों का भी प्रयोग हो रहा है। ड्रोन की मदद से जैविक उर्वरकों का छिड़काव किया जा रहा है, जिससे खेती का समय और लागत दोनों कम हो रहे हैं। वहीं, सॉइल हेल्थ कार्ड से किसान ये जान सकते हैं कि उनकी मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्वों की कमी है, जिससे वे उचित जैविक उर्वरकों का चुनाव कर सकते हैं।

जैविक खेती के फ़ायदे और आंकड़े

जैविक खेती न केवल पर्यावरण के लिए फ़ायदेमंद है, बल्कि किसानों की आय भी बढ़ा सकती है। भारत में जैविक खेती की प्रगति को देखते हुए, सरकार ने भी जैविक खेती से जुड़ी योजनाओं के माध्यम से इसका समर्थन किया है, जैसे कि ‘परंपरागत कृषि विकास योजना’ (PKVY), ‘मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट’ (MOVCDNER) और ‘राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन’ (NFSM)। वर्ष 2016 में, सरकार ने 5,00,000 हेक्टेयर भूमि को जैविक खेती के तहत लाने का लक्ष्य रखा था।

भारत में 2007 में जैविक खेती के अंतर्गत 5,28,171 हेक्टेयर भूमि थी, जो 2014 में बढ़कर 1.2 मिलियन हेक्टेयर हो गई। हालांकि, ये कुल खेती योग्य भूमि का केवल 2.5% हिस्सा है। इसके बावजूद, भारत में जैविक खेती के उत्पादकों की संख्या सबसे अधिक है, जो दर्शाता है कि किसान धीरे-धीरे इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।

पर्यावरण और सेहत के लिए लाभकारी

जैविक खेती से पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग से मिट्टी में भारी धातुओं (कैडमियम, सीसा, आर्सेनिक) की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता कम होती है और ये लंबे समय तक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है। जैविक खेती इन समस्याओं को दूर करती है और जैव विविधता को भी बढ़ावा देती है। कुछ अध्ययनों के अनुसार, जैविक खेती से स्थानीय प्रजातियों की विविधता 34% और उनकी संख्या 50% तक बढ़ सकती है, जिससे एक संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होता है।

निष्कर्ष

आयुष गंगवार ने अपनी लगन और कड़ी मेहनत से जैविक खेती में नई सोच और सफ़लता हासिल की है। उन्होंने जैविक खेती के फायदे को समझा और इसे अपने जीवन में उतारा। उनकी सफ़लता की कहानी इस बात का प्रमाण है कि जैविक खेती कैसे करें यह समझने और अपनाने से न केवल पर्यावरण को बचाया जा सकता है, बल्कि अच्छा मुनाफा भी कमाया जा सकता है।

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