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किसानों के लिए मार्गदर्शक और प्रेरणास्त्रोत अजय कुमार

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भारत में कृषि का महत्व केवल आर्थिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी अत्यधिक है। कृषि में नई तकनीक के जरिए उपज में वृद्धि, समय की बचत और संसाधनों का बेहतर प्रबंधन संभव हो पाया है। बीते कुछ वर्षों में भारतीय किसानों में नई तकनीक के प्रति उत्साह तेजी से बढ़ा है, और इसके प्रमाण सरकारी आंकड़े भी दे रहे हैं।

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 60% किसान अब कृषि में नई तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। इनमें ड्रिप इरीगेशन, मल्चिंग, सॉयल टेस्टिंग और सौर ऊर्जा संचालित पंप सेट जैसे उपकरण शामिल हैं। किसान अब पारंपरिक तरीकों के बजाय नई तकनीक को प्राथमिकता दे रहे हैं, क्योंकि ये तकनीकें कम लागत और अधिक उत्पादन का मार्ग प्रशस्त करती हैं।

विशेष रूप से, प्रधानमंत्री किसान योजना  और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) जैसी योजनाओं से किसानों में जागरूकता बढ़ी है। आंकड़ों के अनुसार, PM-KISAN के तहत पिछले तीन वर्षों में 12 करोड़ से अधिक किसानों को लाभ मिला है। इस योजना के अंतर्गत मिलने वाले वित्तीय सहयोग ने किसानों को कृषि में नई तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है।

अजय कुमार बने मिसाल

उत्तर प्रदेश के प्रगतिशील किसान अजय कुमार, कृषि में नई तकनीक के उपयोग से एक मिसाल कायम कर रहे हैं। उन्होंने जैविक खेती में विशेष रुचि रखते हुए आधुनिक तकनीकों के माध्यम से किसानों की उपज और आय में वृद्धि का लक्ष्य रखा है। अपने खेतों में वह वर्मी कंपोस्ट और गन्ने की नई प्रजातियों का उपयोग कर खेती को पर्यावरण के अनुकूल और लाभदायक बना रहे हैं।

अजय ने नई तकनीक का इस्तेमाल कर वर्मी कंपोस्ट और जैविक खाद का निर्माण शुरू किया है। उनका उद्देश्य जैविक खेती के द्वारा किसानों को जागरूक करना और उन्हें इस दिशा में प्रेरित करना है। उन्होंने छोटे और सीमांत किसानों को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अजय के प्रयासों से कई किसान प्रधानमंत्री किसान योजना जैसी योजनाओं से जुड़कर आर्थिक लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने गन्ने की नई-नई प्रजातियों को किसानों तक पहुँचाने और उन्हें उच्च उत्पादन देने वाली विधियों के बारे में प्रशिक्षित करने का काम किया है।

किसानों के लिए मार्गदर्शक और प्रेरणास्त्रोत

अजय कुमार ने अपने प्रयासों से हजारों किसानों को जैविक खेती की ओर प्रेरित किया है। इसके साथ ही, वह गन्ने के क्षेत्र में नई प्रजातियों और उपज विधियों के बारे में जानकारी देकर किसानों को उन्नत खेती की दिशा में ले जा रहे हैं। अपने गांव और आस-पास के क्षेत्रों में वह किसानों के बीच कृषि में नई तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। उनके पास लगभग छह से सात एकड़ जमीन है, जहां वह जैविक विधियों के साथ खेती करते हैं। इसके अलावा, उन्होंने अपने अनुभवों को साझा कर खेती के प्रति एक नई सोच को बढ़ावा दिया है, जो कि उनकी बड़ी उपलब्धि है।

सरकारी सहयोग और मान्यता

सामुदायिक जुड़ाव और प्रशिक्षण

अजय कुमार ने खेती को समाज सेवा का एक जरिया बना लिया है। उन्होंने गांव की महिलाओं और युवाओं को खेती से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया है। इसके अलावा, उन्होंने किसान समुदाय को संगठित करने के लिए एक समूह का गठन किया, जिसमें कृषि में नई तकनीक के बारे में जानकारी दी जाती है।

चुनौतियां और आगे का मार्ग

अजय ने इस क्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना किया है। गांवों में पुराने तौर-तरीकों से खेती करने वाले किसानों को कृषि में नई तकनीक के उपयोग के लिए तैयार करना उनके सामने एक बड़ी चुनौती रही है। लेकिन अपने धैर्य और समर्पण के बल पर उन्होंने किसानों के बीच जागरूकता फैलाकर उन्हें जैविक और आधुनिक खेती की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।

अजय का यह सफर केवल एक किसान के रूप में नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक नेतृत्वकर्ता के रूप में है, जो समाज में सकारात्मक बदलाव ला रहा है। उनके इस कार्य से यह उम्मीद की जा सकती है कि आगे चलकर अधिक से अधिक किसान जैविक खेती की ओर बढ़ेंगे, जिससे न केवल उनकी आय में वृद्धि होगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। 

अजय कुमार को उनकी कृषि में नई तकनीकों और योगदान के लिए सरकारी सम्मान भी प्राप्त हुआ है। किसान दिवस जैसे अवसरों पर उन्हें सम्मानित किया गया है। हालांकि, उन्होंने सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ नहीं लिया, लेकिन सरकार ने उन्हें बीज, खाद और दवाइयां प्रदान की हैं, जिससे उनकी खेती में उन्नति हुई है।

कृषि में नई तकनीकों का बढ़ता उपयोग

राष्ट्रीय कृषि सांख्यिकी संगठन (NSSO) के अनुसार, लगभग 40% किसानों ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने के लिए ड्रिप इरीगेशन जैसी तकनीक को अपनाया है, जो जल संरक्षण में सहायक होती है। इसके अतिरिक्त, लगभग 30% किसानों ने ट्रैक्टर और अन्य कृषि यंत्रों को साझा करने के उद्देश्य से सहकारी संस्थाओं का सहारा लिया है, जिससे उत्पादन लागत में कमी आई है।

नए डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म भी किसानों को तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराने में मददगार साबित हो रहे हैं। उदाहरण के लिए, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के आंकड़ों के अनुसार, ‘किसान रथ’ और ‘कृषि आईटी’ जैसे मोबाइल एप्स के माध्यम से लाखों किसानों को नवीनतम कृषि विज्ञान और मौसम संबंधी जानकारी प्राप्त हुई है। यह डिजिटल साधन किसानों को समय पर सही निर्णय लेने में सक्षम बना रहे हैं, जिससे वे अपनी उपज की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार कर पा रहे हैं। 

सरकार का कृषि में नई तकनीक को बढ़ावा देने का प्रयास

भारत सरकार का कृषि में नई तकनीक को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चलाया गया ‘राष्ट्रीय कृषि विकास योजना’ (RKVY) भी एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इस योजना के तहत 2023 तक 50,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर उन्नत बीजों, जल प्रबंधन तकनीकों और कीट प्रबंधन उपायों को अपनाने में किसानों को सहायता प्रदान की गई। इसी तरह, ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना’ (SHC) के माध्यम से लगभग 22 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए हैं, जो किसानों को मृदा की स्थिति और आवश्यक पोषक तत्वों के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। इससे किसान फसल उत्पादन में बेहतर निर्णय लेने में सक्षम हो रहे हैं।

नई तकनीकों के प्रति किसानों की चुनौतियां और अपेक्षाएं 

कृषि में नई तकनीक के उपयोग में जहां एक ओर उत्साह है, वहीं चुनौतियां भी हैं। छोटे और सीमांत किसान, जिनकी संख्या भारत में अधिक है, कई बार तकनीकी जानकारी और वित्तीय संसाधनों के अभाव में नई तकनीकों का उपयोग नहीं कर पाते। इस समस्या का समाधान सरकार की योजनाओं और कृषि विस्तार सेवाओं के माध्यम से किया जा रहा है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार, तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रमों के तहत पिछले पांच वर्षों में लगभग 1.5 करोड़ किसानों को प्रशिक्षित किया गया है। 

भारत में कृषि में नई तकनीक की क्रांति का दौर जारी है और सरकारी आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि किसानों का नई तकनीक के प्रति रुझान बढ़ रहा है। कृषि में नई तकनीक के उपयोग से जहां उत्पादन में वृद्धि और लागत में कमी हो रही है, वहीं किसानों की जीवन गुणवत्ता भी सुधर रही है। तकनीकी नवाचारों के प्रति यह उत्साह भारतीय कृषि को नई दिशा और गति देने के लिए आवश्यक है। सरकार के सहयोग और किसानों की जिज्ञासा के साथ, कृषि में तकनीकी नवाचार का यह सफर निश्चित ही भारतीय कृषि क्षेत्र को नए आयाम प्रदान करेगा।

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