चुनावी सीजन में एक बार फिर प्याज चर्चा में बना हुआ है. यह चर्चा महंगे प्याज की नहीं बल्कि सस्ते प्याज की है. पिछले चार महीने से एक्सपोर्ट बैन है इसलिए इसका दाम काबू में है. इसलिए किसान बेहद परेशान हैं. उनका कहना है कि पहले ज्यादा उत्पादन की वजह से बाजार में इसका दाम बहुत कम मिल रहा था और जब दाम मिलना शुरू हुआ तो सरकार ने नीतियों का चक्र चलाकर उसे कम करवा दिया. लेकिन, सवाल यह है कि यह सब कब तक चलेगा? अगर लागत से ज्यादा दाम नहीं मिलेगा तो क्या किसान इसकी खेती कम नहीं कर देंगे. खेती कम कर देंगे तो क्या होगा. लगातार कम भाव मिलने की वजह से किसानों ने खेती छोड़ने या कम करने का ट्रेलर दिखा दिया है. जिसका असर उपभोक्ताओं को चुकाना पड़ सकता है. तो सवाल यह उठता है कि क्या किसानों के बाद अब उपभोक्ता प्याज के आंसू रोएंगे. पहले किसानों पर कम दाम की मार पड़ेगी और फिर उपभोक्ता ज्यादा दाम की चक्की में पिसेंगे, जैसा कि लहसुन के मामले में हुआ है.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट में यह बात साफ होती है कि किसान प्याज की खेती कम कर रहे हैं. देश में 2021-22 के दौरान 19,41,000 हेक्टेयर में प्याज की खेती हुई थी, जबकि 2022-23 में यह घटकर 17,40,000 हेक्टेयर ही रह गया. यानी 2,01,000 हेक्टेयर एरिया घट गया, जो रकबे में 10 फीसदी से अधिक कमी को दर्शाता है. इसका असर उत्पादन पर पड़ा है. मंत्रालय ने बताया है कि वर्ष 2023-24 में प्याज का उत्पादन (पहला अग्रिम अनुमान) पिछले वर्ष के लगभग 302.08 लाख टन के उत्पादन की तुलना में लगभग 254.73 लाख टन ही होने की संभावना है. यानी एक साल में ही प्याज का उत्पादन करीब 47 लाख टन कम होने का अनुमान है. महाराष्ट्र में 34.31 लाख टन, कर्नाटक में 9.95 लाख टन, आंध्र प्रदेश में 3.54 लाख टन और राजस्थान में 3.12 लाख टन उत्पादन कम होने का सरकार ने खुद अनुमान लगाया है.
दाम का दर्द…कंज्यूमर बनाम किसान
खेती कम होने की वजह से उत्पादन कम होने का अनुमान है. अब उत्पादन में कमी की वजह से प्याज महंगा हो सकता है. सरकारी नीतियों की वजह से पहले किसानों ने कीमत चुकाई और अब उपभोक्ताओं को चुकाना पड़ सकता है. इसका सही रास्ता यह है कि किसानों को इतना कम दाम न दिया जाए कि वो खेती छोड़ दें या कम कर दें. किसी फसल की खेती जैसे ही कम होगी महंगाई बढ़ जाएगी. जबकि अगर किसानों को लागत से अधिक दाम मिलेगा तो वो खेती कभी भी कम नहीं करेंगे. बहरहाल, बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि अगर एक्सपोर्ट बैन नहीं होता तो इस वक्त किसानों को कम से कम 30 रुपये किलो का दाम मिल रहा होता. दाम नहीं मिलेगा तो आने वाले दिनों में प्याज का रकबा और घट सकता है.
किसानों को कितना मिल रहा दाम
इस वक्त महाराष्ट्र की ज्यादातर मंडियों में किसानों को 2 रुपये किलो से लेकर 12 रुपये किलो तक का दाम मिल रहा है. महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का दावा है कि यह दाम उत्पादन लागत के मुकाबले काफी कम है. उनका कहना है कि नेशनल हॉर्टिकल्चरल रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन ने 2014 के खरीफ सीजन के दौरान महाराष्ट्र में प्याज की उत्पादन लागत 7 रुपये 24 रुपये प्रति किलो बताया था.
अब 2024 चल रहा है. यानी एक दशक बीतने के बाद लागत दोगुना से अधिक हो चुकी है. इस समय लागत 15 से 20 रुपये प्रति किलो आती है. इतने कम दाम पर किसान खेती कम नहीं करेंगे तो क्या करेंगे. किसान प्याज की खेती छोड़ देंगे तो प्याज 200 रुपये किलो तक भी बिक सकता है. अभी हम प्याज के मामले में आत्मनिर्भर हैं, लेकिन यही हाल रहा तो आयातक बन जाएंगे.
बैन के बाद कितना एक्सपोर्ट
इस बीच प्याज एक्सपोर्ट बैन हुए करीब चार महीने का वक्त पूरा हो गया है. बताया गया है कि सरकार 7 दिसंबर, 2023 को प्याज एक्सपोर्ट पर बैन लगाने के बाद ते अब तक 79,150 टन प्याज के निर्यात को मंजूरी दी है. भूटान को 550 टन, बहरीन को 3,000 टन, मॉरीशस को 1,200 टन, बांग्लादेश को 50,000 टन और संयुक्त अरब अमीरात को 24,400 टन पयाज निर्यात की अनुमति दी है.
सरकार ने अभी तक प्याज एक्सपोर्ट पर रोक लगा रखी है, लेकिन कुछ शर्तों के साथ यूएई और अन्य देशों को इसमें ढील दी गई है. सरकार ने कुछ देशों को सहकारी कंपनी नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट लिमिटेड (NCEL) के जरिए एक्सपोर्ट किया है. इससे एक्सपोर्टर नाराज हैं, जबकि किसानों का कहना है कि एनसीईएल किससे प्याज खरीद रही है, उसकी क्या प्रक्रिया है इसका पता नहीं चल रहा है. उधर, सरकार प्याज एक्सपोर्ट बैन को सही बता रही है, क्योंकि घरेलू उपभोक्ताओं का हित साधना और उपलब्धता बनाए रखना जरूरी है.
सरकार पर आरोप
देश के प्याज किसानों, व्यापारियों और आढ़तियों का यह भी आरोप है कि सरकार यूएई को सस्ते में प्याज बेचकर खाड़ी देश के व्यापारियों को भारी फायदा पहुंचा रही है जबकि स्थानीय किसान और व्यापारी घाटे में चल रहे हैं. आरोप है कि देश के किसानों से 12-15 रुपये प्रति किलो की दर से प्याज खरीदा जा रहा है, जबकि वही प्याज यूएई के व्यापारी अपने स्टोर में 120 रुपये किलो पर बेच रहे हैं. हॉर्टिकल्चर प्रोड्यूसर एक्सपोर्टर एसोसिएशन के प्रेसीडेंट अजीत शाह का कहना है कि इस समय पूरी दुनिया में प्याज का दाम काफी ऊंचा है और भारत ने एक्सपोर्ट बैन करके डॉलर कमाने का महत्चपूर्ण मौका गंवा दिया.