पंजाब के किसानों के लिए खुशखबरी है. अब उन्हें धान की पराली को प्रबंधन करने के लिए आर्थिक रूप से परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा. क्योंकि राज्य सरकार ने पराली प्रबंधन करने के लिए किसानों को सब्सिडी देने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार का मानना है कि किसानों को सब्सिडी देने से वे ज्यादा से ज्यादा पराली प्रबंधन के लिए मशीनें खरीद पाएंगे. इससे पराली जलाने की घटनाओं पर और तेजी से ब्रेक लगेगा.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब सरकार ने धान की पराली का वैज्ञानिक तरीके से प्रबंधन करने के लिए किसानों को बंपर सब्सिडी पर 22,000 से अधिक सीआरएम मशीनें देने का फैसला किया है. कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुदियां ने विभाग द्वारा शुरू की गई योजनाओं और परियोजनाओं की स्थिति की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए अधिकारियों से कहा कि वे यह सुनिश्चित करें कि सब्सिडी वाली सीआरएम मशीनों के लिए ड्रा इसी महीने में हो जाना चाहिए.
80 फीसदी मिलेगी सब्सिडी
मंत्री ने कहा कि धान की कटाई शुरू होने से पहले अगस्त के अंत तक किसानों को सब्सिडी जारी कर दी जानी चाहिए, ताकि खेतों में आग लगाने की घटनाओं को शून्य करने की महत्वाकांक्षी योजना को सफलतापूर्वक पूरा किया जा सके. मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने धान की कटाई के मौसम 2024-25 के दौरान किसानों को सब्सिडी पर सीआरएम मशीनरी उपलब्ध कराने के लिए 500 करोड़ रुपये की कार्ययोजना तैयार की है. उन्होंने कहा कि किसान व्यक्तिगत रूप से सीआरएम उपकरणों की लागत पर 50 फीसदी सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं, जबकि सहकारी समितियों, एफपीओ और पंचायतों के लिए 80 प्रतिशत सब्सिडी है.
2.20 लाख एकड़ में सीधी बुवाई
चावल की सीधी बुआई (डीएसआर) को लेकर किसानों की सकारात्मक प्रतिक्रिया की सराहना करते हुए खुदियन ने कहा कि राज्य में पिछले साल के मुकाबले इस जल संरक्षण तकनीक के तहत 28 फीसदी की वृद्धि देखी गई है. 2023 में 1.72 लाख एकड़ के मुकाबले अब तक 2.20 लाख एकड़ में सीधे बुआई की जा चुकी है. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे इस मौसम में डीएसआर अपनाकर 5 लाख एकड़ में बुआई का लक्ष्य पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करें.
सरकार से मांगा जवाब
वहीं, कुछ देर पहले खबर सामने आई थी कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने फगवाड़ा स्थित एक एनजीओ की अर्जी पर पंजाब सरकार से जवाब मांगा है. इस अर्जी में दावा किया गया है कि पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए सरकार का मौजूदा प्रयास अपर्याप्त है. एनजीओ ने एनजीटी से राज्य सरकार को छोटे किसानों को मशीनरी उपलब्ध कराने और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के उस अध्ययन की जांच करने का निर्देश देने का आग्रह किया है, जिसमें कथित तौर पर बीमारी नियंत्रण के लिए पराली जलाने को बढ़ावा दिया गया है.