आप देखते होंगे खेत में फसल के साथ-साथ खरपतवार उपजने से किसान काफी परेशान रहते हैं। खरपतवार को हटाने के लिए किसान अनेकों तरह का केमिकल का प्रयोग करते थे, जिससे किसान को कुछ फायदा होता था। लेकिन एक तरफ इस केमिकल से किसान को खरपतवार हटने से फायदा होता था, वहीं दूसरी ओर जो उस फसल का उपयोग करता था, उसके स्वास्थ्य पर काफी असर पड़ता था। आपको बता दें कि पिछले 40 सालों से तकरीबन डेढ़ सौ देशों में किसान इस केमिकल का छिड़काव फसल पर करते आ रहे हैं। लेकिन अब आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि भारत सरकार ने अब इस तरीके के कुछ कीटनाशक एवं केमिकल के छिड़काव पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिसका कारण लोगों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा बताया जा रहा है। कहना है कि जबसे इन कीटनाशकों का उपयोग खरपतवार और कीट रोगों को हटाने के लिए किया जा रहा है, तब से लोगों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा पर काफी असर पड़ा है। लोग इस केमिकल के कारण काफी बीमार पड़ रहे हैं, क्योंकि यह केमिकल जिस पैदावार पर छोड़ा जा रहा है, उसके साथ लोगों के शरीर के अंदर जाकर काफी नुकसान भी पहुंचा रहा है।
भारत सरकार विगत कुछ दिन पहले एक पत्र जारी कर खरपतवार मारने वाले हार्बिसाइड ग्लाइफोसेटनामक दवाई के छिड़काव पर रोक लगा दी है। इतना ही नहीं भारत सरकार ने एक पत्र जारी कर यह भी कहा है कि और इस केमिकल का प्रयोग पेस्ट कंट्रोल ऑपरेटर्स के अलावा कोई भी किसान या व्यक्ति नहीं कर सकता। भारत सरकार के इन फैसलों के खिलाफ ग्लोबल रिसर्च और नियामक निकायों के समर्थन का हवाला देते हुए एसीएफआई यानि एग्रोकेमिकल फेडरेशन ऑफ इंडिया (ACFI)) ने इसका विरोध भी किया है। एसीएफआई ने मांग किया है कि इस तरीके के केमिकल जो सिर्फ खरपतवार मारने के लिए किया जाता था, उसको फिर से शुरू कर दिया जाए।
कंपनियां 3 महीने के अंदर सर्टिफिकेट करे वापस
भारत सरकार ने पत्र जारी कर सिर्फ इसके छिड़काव पर ही रोक नहीं लगाया है, बल्कि इसका प्रयोग या फिर इसके डेरिवेटिव्स का प्रयोग करने वाली कंपनियों को नोटिफिकेशन कर इसके प्रयोग के लिए मिले रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को भी तुरंत वापस करने का निर्देश दिया है। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि अगर जो कंपनी रजिस्ट्रेशन कमेटी को अपना इस केमिकल के प्रयोग का रजिस्ट्रेशन वापस नहीं करती है, उनके ऊपर यथोचित कार्रवाई भी की जाएगी। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह केरल की सरकार के एक रिपोर्ट के बाद इस पर मसौदा जारी हुआ था, जिससे इस खरपतवार नाशक के डिस्ट्रीब्यूशन बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगाने की बात कही गई थी। इसी मसौदे पर भारत सरकार के द्वारा जुलाई 2020 को अधिसूचना जारी किया गया था, जिसके 2 साल बाद अब इस पर पत्र जारी किया गया है और इसके प्रतिबंध को बताया गया है। इस प्रतिबंध के आलोक में कंपनियों को नोटिफिकेशन जारी कर यह चेतावनी दी गई थी कि 3 महीने के अंदर सर्टिफिकेट वापस करें वरना उन कंपनियों पर इंसेक्टिसाइड एक्ट 1968 के प्रावधान के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह केमिकल हर्बिसाइड ग्लाइफोसेट के प्रयोग पर नीदरलैंड में भी प्रतिबंध लगा हुआ है।
एसीएफआई के महानिदेशक कर रहे है इस नियम का विरोध
एग्रोकेमिकल फेडरेशन ऑफ इंडिया ने सरकार के इस नोटिफिकेशन का विरोध करते हुए कहा है कि इससे खेती किसानी पर भी काफी असर पड़ेगा। उसके महानिदेशक बयान देते हुए कहे हैं कि ग्लाइकोसाइड आधारित फॉर्मूलेशन या उस केमिकल का इस्तेमाल काफी सुरक्षित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के साथ-साथ दुनिया के कई देशों के प्राधिकरण इसके परीक्षण और सत्यापन में योगदान दिया है। उन्होंने सरकार को लताड़ते हुए कहा कि इस केमिकल पर बैन लगाना कहीं से कोई तर्कसंगत बात नहीं है। उन्होंने पीसीओ के द्वारा प्रयोग वाले बयान पर यह कहा कि किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। खेती में लागत भी पहले की तुलना में काफी बढ़ जाएगा।