भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल (ICAR) ने गेहूं की पांच नई किस्में दी हैं. ये किस्में राज्यों की जलवायु को ध्यान में रखकर तैयार की गई हैं. इनको किसान कम लागत में पैदा कर सकते हैं. इनसे गेहूं का उत्पादन भी बढ़ सकता है. आइए जानते हैं कि ये किस्में क्या हैं? इनके बीज कहां और कैसे मिलेंगे. खरीफ की फसल कटाई के बाद किसान रबी फसलों की बुवाई करने में जुट जाएंगे। रबी फसलों में गेहूं की खेती प्रमुख रूप से की जाती है।श के लाखों किसान गेहूं की खेती करते हैं। ऐसे में गेहूं की उन्नत किस्म की बुवाई की जाए तो किसान गेहूं की खेती से काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।आज कृषि वैज्ञानिकों ने गेहूं की कई नई किस्में विकसित की है जो अधिक उत्पादन देने के साथ रोग प्रतिरोधी भी हैं।
इन्हीं किस्मों में से एक गेंहू की नई किस्म एचडी 3385 किस्म भी है, जिसे हाल ही में करनाल गेंहू एवं जौ अनुसंधान द्वारा विकसित किया गया है।आइए जानते है गेंहू की नई किस्म एचडी 3385 किस्म की खासियत, अवधि एवं पैदावार सहित अन्य जानकारी…
गेंहू की नई किस्म एचडी 3385 किस्म की जानकारी
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आई.ए.आर.आई.) मुख्यालय की ओर से ईजाद की गई गेहूं की नई उन्नत प्रजाति एचडी- 3385 का प्रसार पूरे भारत के गेहूं उत्पादक राज्यों में किया जाएगा। उत्पादकता व अन्य गुणों में यह किस्म लाजवाब है।जलवायु प्रतिरोधी, रतुआ रोधी और रोगरोधी गुणों के चलते इस किस्म की अनुशंसा सभी गेहूं उत्पादक क्षेत्रों के लिए की गई है।परीक्षणों में इसकी उत्पादन क्षमता करीब 75 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक पाई गई है। गेहूं में लगने वाले करनाल बंट रोग के प्रति भी इसमें प्रतिरोधिता है।
इस किस्म की अगेती बिजाई करने पर मार्च के अंत में यदि तापमान बढ़ेगा तो इसके पकते समय दानों पर असर नहीं पड़ेगा।जैसे कि सत्र 2021-22 में अचानक तापमान में वृद्धि होने से गेहूं की कच्ची बालियों में दूधिया दानों पर असर हुआ था। इस प्रजाति में तापमान के प्रति सहनशीलता है।
पिछले समय में प्रक्रिया के तहत इस किस्म को कृषि मंत्रालय के प्रोटेक्शन ऑफ प्लांट वैरायटीज एंड फार्मर्स राइट अथॉरिटी (पी.पी.वी. एंड एफ. आर.ए.) दिल्ली मुख्यालय की ओर से पंजीकृत करवाया जा चुका है।इस एक्ट के तहत भी अनुसंधान संस्थान कई नई किस्मों के बीज प्रसार के लिए एम.ओ.यू. साइन करते हैं।
आई.ए.आर.आई. की ओर से 70 बीज उत्पादक संस्थाओं के साथ एचडी-3385 के बीज का उत्पादन करने के लिए अनुबंध करार हो चुका है।
बीज संस्थाओं को इस प्रजाति का बीज दिया गया है ताकि ज्यादा से ज्यादा बीज उत्पादित करके कम समय में किसानों तक उपलब्धता की जा सके।
सभी परीक्षणों में खरी उतरी नई किस्म
Karnal New Wheat Variety | भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय स्टेशन करनाल के अध्यक्ष एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ. शिवकुमार यादव ने कहा कि उत्तर भारत के राज्य पंजाब, हरियाणा, एन. सी. आर. दिल्ली क्षेत्र व पश्चिमी उत्तरप्रदेश में एचडी-3385 की बिजाई अक्तूबर अंत व नवम्बर का प्रथम सप्ताह (25 अक्तूबर से 5 नवम्बर तक ) उपयुक्त समय और तापमान की स्थिति अनुसार शुरू की जाएगी।
किसानों को बीज देते समय इसका पैकेज ऑफ प्रैक्टिस बता दिया जाएगा। 70 बीज संस्थाओं के साथ संस्थान मुख्यालय ने इस किस्म के बीज को बढ़ावा देने के लिए अनुबंध करार किया है। इस वर्ष बीज उत्पादकों को इसका बीज Karnal New Wheat Variety दिया जाएगा ताकि बीज को बढ़ावा मिल सके।संस्थान का प्रयास रहेगा कि भविष्य में कम से कम समय में अधिक से अधिक किसानों तक इस नई किस्म का बीज पहुंचाया जा सके।इसके अलावा उत्तर भारत के राज्यों में गेहूं की अन्य सभी अनुशंसित किस्मों की बिजाई के लिए किसानों को उपयुक्त समय और तापमान का भी ध्यान रखना है।रात का तापमान 16 से 20 डिग्री और दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री सैल्सियस के आसपास होना चाहिए।
गेंहू की नई किस्म एचडी 3385 किस्म की खासियत एवं पैदावार
गेंहू की एचडी 3385 किस्म की पैदावार : इस किस्म की औसतन उपज क्षमता 59.7 प्रति हेक्टेयर है। जबकि, अधिकतम उपज क्षमता 73.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है।गेंहू की यह नई एचडी 3385 किस्म की पैदावार HD 2967 किस्म से 15%, HD 3086 किस्म से 10%, DBW 222 से 9% और DBW 187 से 6.7% ज्यादा है।
गेंहू की एचडी 3385 किस्म : गेंहू की नई किस्म एचडी 3385 किस्म के पौधे की ऊंचाई 98 सेमी है।गेंहू की एचडी 3385 किस्म की खासियत : गेंहू की नई किस्म एचडी 3385 किस्म येलो, ब्राउन और ब्लैक रस्ट के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी है। इस किस्म में टिलरिंग की समस्या नहीं देखी गई है।
गेंहू के मामले में आत्मनिर्भर भारत
भारत में गेहूं का क्षेत्रफल करीब 31 मिलियन हैक्टेयर तक पहुंच गया है। गेहूं का सालाना उत्पादन करीब 112.92 मिलियन टन तक के आंकड़े को छू चुका है।गेहूं उत्पादन के मामले में भारत न केवल आत्मनिर्भर है बल्कि वार्षिक घरेलू खपत पूरी करने के अलावा कुछ मात्रा में गेहूं निर्यात भी करता है।
करीब 140 करोड़ आबादी वाले देश में गेहूं को लेकर खाद्य सुरक्षा कायम है। इसका श्रेय देश के अनुसंधान वैज्ञानिकों, कृषकों व श्रमिकों की कठोर मेहनत को जाता है।दूसरी ओर मुख्य गेहूं उत्पादक राज्यों में किसानों की तमन्ना रहती है कि उन्हें क्रमवार नए-नए उच्च उत्पादकता वाले बीज उपलब्ध होते रहें।इस दिशा में आई.सी.ए.आर. (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) के अनुसंधान संस्थानों के अनुसंधान कार्य चरम पर हैं।
भारत के कई राज्यों में गेहूं पैदा होता है.इसकी मात्रा कहीं कम और कहीं ज्यादा है. इसकी वजह राज्यों की जलवायु है. एक ही किस्म के बीज से हर राज्य में अच्छी पैदावार नहीं हो सकती है. ऐसे में राज्यों की जलवायु के अनुसार बीज होने चाहिए. इसी कमी को पूरा किया है, भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल (ICAR) ने. ICAR ने पांच नई किस्में दी हैं. इनसे कम लागत में किसान अच्छी फसल पा सकता है.ये साल 2023 की भारत की बेस्ट क्वालिटी वेरायटी हो सकती हैं. इन पांच किस्मों के नाम डी बी डब्ल्यू 370, डी बी डब्ल्यू 371, डी बी डब्ल्यू 372, डी बी डब्ल्यू 316 और डी बी डब्ल्यू 55 हैं.
18 से 20 अक्टूबर तक दिए जाएंगे गेहूं की नई किस्मों के बीज: बता दें कि भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल में आज से यानी 18 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक गेहूं की नई किस्मों के बीज वितरित किए जाएंगे. गेहूं की नई किस्मों के बीज उन्हीं किसानों को दिए जाएंगे, जिन्होंने IIWBR पोर्टल पर पंजीकरण कराया था.
राज्यों की जलवायु के आधार पर तैयार की गई किस्में: संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया,’डी बी डब्ल्यू 370-71-72 ये तीनों किस्में उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के लिए तैयार की गई हैं.वहीं डी बी डब्ल्यू 316 पूर्वोत्तर भारत के लिए तैयार की गई हैं.डी बी डब्ल्यू 55 मध्य भारत के लिए तैयार की गई है.राज्यों की जलवायु के आधार पर संस्थान ने रिसर्च करके इन किस्मों को बनाया है. जलवायु के हिसाब से ये किस्में काफी अच्छा उत्पादन देने वाली साबित होंगी.’ दरअसल फसल चक्र और कटाई के आधार पर भी नई किस्मों को तैयार किया गया है. कई स्थान पर गेहूं की बिजाई जल्दी हो जाती है इसलिए इन पांचों किस्मों को अगेती और पछेती में बांटा गया है. डी बी डब्ल्यू 370-71-72 किस्मों की बिजाई अगेती की जाती है, जो 25 अक्टूबर से शुरुआत होती है. वहीं, डी बी डब्ल्यू 316, डी बी डब्ल्यू 55 किस्मों की बिजाई पछेती की जाती है, जो बासमती धान की कटाई के बाद होती है.
ये हैं गेहूं की नई किस्में.
नई किस्मों से कितना हो सकता है उत्पादन: भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा,’इन पांचों किस्मों से उत्पादन बेहतर होगा. ये प्रति हेक्टेयर 80 क्विंटल तक की पैदावार दे सकती हैं. अगर किसान 15 अक्टूबर से गेहूं की बिजाई शुरू कर देता है तब ये संभव है. बिजाई देरी से करने पर प्रति हेक्टेयर प्रतिदिन 30 किलो पैदावार बिजाई के हिसाब से कम होती जाती है.’ अभी किसानों को कुछ ही मात्रा में बीज दिए जा रहे हैं. ताकि वह इन बीजों की बिजाई करके खुद का बीज तैयार करें.
गेहूं की नई किस्म की खासियत.
160 दिन में पक कर होगी तैयार: वैसे गेहूं में दो से तीन बार सिंचाई की जाती है. इस बात को ध्यान में रखकर नई किस्मों को तैयार किया गया है. इनमें सिंचाई या पानी की जरूरत कम पड़ेगी. नई किस्मों के बीजों में रोगों का प्रकोप कम होगा. जलवायु के अनुसार रोग प्रतिरोधक क्षमता इन किस्मों की अच्छी है. बीजों को तैयार करते समय इलाके में होने वाले खास तरह के रोगों के अनुसार टेस्टिंग भी की गई है. संस्थान का कहना है कि फसल चक्र के अनुसार ये किस्में करीब 160 दिन में पक कर तैयार हो जाएंगी.
बीज वितरण की प्रक्रिया कब होगी शुरू और कैसे करें आवेदन ?: संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया,’जो बीज संस्थान से किसानों को दिया जा रहा है, इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि किसान अपने खेत में इस बीज को लगाकर आगे के लिए बीज तैयार करें. फिर इससे फसल लें. प्रति किस्म के हिसाब से 10 किलोग्राम बीज हम दे रहे हैं.’ नई किस्म के बीज के लिए लिए संस्थान के आधिकारिक वेबसाइट पोर्टल पर आवेदन करना होगा. इसे 15 सितंबर से खोल दिया जाएगा.किसान अपने आधार कार्ड की कापी लगाकर आवेदन कर सकते हैं, जो किसान पहले आवेदन करेंगे. उनको पहले बीज दिया जाएगा. यह बीज केवल संस्थान से ही मिलेगा.संस्थान बीज को कूरियर के जरिए भी भेजने के लिए विचार कर रहा है.दूसरे राज्य के किसान भी आवेदन कर सकते हैं. दूसरे राज्यों के किसानों को करनाल आने की जरूरत नहीं होगी. हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश राजस्थान और मध्य प्रदेश के किसान संस्थान से बीज ले जाते हैं. संस्थान ने जो किस्में पहले तैयार की हैं. उनके बीज भी बांटे जाएंगे. नई पांच किस्मों के बीज बांटने का लक्ष्य संस्थान ने रखा है. करीब 2000 क्विंटल बीज बांटा जाएगा. अभी देश में गेहूं उत्पादन का टारगेट 112.47 मिलियन टन है. संस्थान को उम्मीद है कि इस उत्पादन लक्ष्य को पूरा करने में ये किस्मे मदद करेंगी.