खरगोन जिला सफेद सोने की खेती के लिए पूरे मध्य प्रदेश में अपनी अलग पहचान रखता है. एमपी में सबसे ज्यादा इसी जिले में लगभग सवा दो लाख हेक्टेयर में किसान कपास की खेती करते है.कृषि विभाग के अनुसार किसान जिलें में सबसे ज्यादा बीटी कॉटन की बुआई करते है. इससे एक हेक्टेयर में 15 से 20 क्विंटल तक का उत्पादन होता है. अगर नई किस्मों की बुआई करते और HDPS तकनीक से पौधे से पौधे की दूरी कम रखते है तो एक हेक्टेयर में 40 क्विंटल तक उत्पादन ले पाएंगे.
एक हेक्टेयर में 40 क्विंटल तक उत्पादन
कपास खरीब की मुख्य फसलों में से एक है. खरगोन में पाई जाने वाली हल्की से मध्यम काली मिट्टी कपास के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है. सामान्य तौर पर जिले में बीटी कॉटन किस्मों की बुआई खेतो में किसान करते है. जिससे किसान को अच्छा मुनाफा होता है. लेकिन, अधिक मुनाफा कमाने के लिए अब किसानों को नई किस्मों के प्रति कृषि विभाग द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा है.
होता है दुगना उत्पादन
खरगोन कृषि विभाग के उप संचालक एमएल चौहान ने local 18 से कहा कि अधिक उत्पादन के लिए हाई डेंसिटी प्लांटिंग सिस्टम के तरह बोनी करने की सलाह किसानों को दी जा रही है. अभी सामान्य रुप से किसान 15 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन प्राप्त कर रहे है. लेकिन, हाई डेंसिटी प्लांटिंग सिस्टम (HDPS) से नई किस्में लगाने पर 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त होता है.
इन किस्मों की करे बुआई
इसके लिए विभाग द्वारा केंद्रीय कपास अनुसंधान केंद्र नागपुर से कपास की कम फैलने वाली एवं कम बढ़वार वाली देशी किस्में किसानों को नि:शुल्क दी जा रही है. किसान इन किस्मों के बीज बाजार से भी खरीद सकते है. इन किस्मों में सीएएन 1032 (बीएस), सीएएन 1028 (बीएस), सुरज बीटी (बीएस), रजत बीटी (बीएस), पीकेवी 081 बीटी (बीए) शामिल है.
कैसे करे कपास की खेती
उप संचालक एमएल चौहान ने बताया कि HDPS पद्धति से कपास की खेती करने पर उत्पादन के साथ मुनाफा भी दुगना होता है. इस तकनीक में 15 से 20 Cm की दूरी पर पौधे लगाते है. लाइन से लाइन की दूरी 60 से 90 CM होती है. एक हेक्टेयर में 55 से 60 हजार तक पौधों की संख्या होती है. पौधे की बड़वार को कम करने के लिए दो बार प्लांट की ग्रोथ को कंट्रोल करना होगा. इसके लिए लोयोसिन का उपयोग करें. पहली बार 40 से 45 दिन और दूसरी बार 60 से 65 दिन बाद इसका उपयोग करना है.
समय पर बुआई से मिलेगा फायदा
इस साल HDPS तकनीक से लगभग 9000 किसान कपास की खेती करेंगे. जिन्हें 5000 हेक्टेयर के लिए बीज कृषि विभाग द्वारा उपलब्ध कराए जायेंगे. विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अच्छी पैदावार और पौधे की वानस्पतिक वृद्धि के लिए तामपान मेंटेन करना भी बेहद जरूरी है. 15 जून से लेकर जून महिनें के आखरी सप्ताह तक कपास की बुआई करने का सबसे सर्वोत्तम समय होता है.