पश्चिम बंगाल सरकार ने अंतर-राज्यीय व्यापार पर बढ़ाया प्रतिबंध

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पश्चिम बंगाल में आलू के व्यापारियों को आर्थिक नुकसान का डर सता रहा है. दरअसल, व्यापारियों को अन्य राज्यों के बाजार में आलू ना बिकने का डर है क्योंकि ममता बनर्जी की अगुवाई वाली सरकार आलू के अंतर-राज्यीय व्यापार की अनुमति नहीं देने के अपने फैसले पर अड़ी हुई है. व्यापारियों के अनुसार, उन्हें भारी वित्तीय नुकसान होने वाला है क्योंकि राज्य सरकार अन्य राज्यों को आलू के निर्यात पर प्रतिबंध बढ़ा रही है. प्रतिबंध बढ़ाए जाने से पश्चिम बंगाल को ओडिशा, आंध्र प्रदेश, बिहार और असम जैसे अपने प्रमुख बाजारों के अलावा उत्तर प्रदेश से हाथ धोना पड़ सकता है.

सरकार के फैसले के खिलाफ व्यापारी

पिछले महीने, पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी होने के बाद अंतर-राज्यीय व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया था. पश्चिम बंगाल में आलू उत्पादक किसान और व्यापारी अंतर-राज्यीय व्यापार पर प्रतिबंध जारी रखने वाले सरकार के फैसले के खिलाफ हैं. इसको लेकर जल्द ही उत्पादकों और व्यापारियों की ओर से राज्यव्यापी आंदोलन शुरू होने की संभावना है.

व्यापारियों ने की सरकार से अनुरोध

पश्चिम बंगाल प्रगतिशील आलू व्यवसायी समिति के नेता लालू मुखर्जी ने ‘बिजनेसलाइन’ से कहा कि हमने सरकार के साथ दो बार बैठक की हैं, जिसमें हमने प्रतिबंध को तुरंत हटाने का अनुरोध किया है, क्योंकि व्यापारियों को भारी नुकसान हो रहा है. बंगाल में आलू की कीमतें अब स्थिर हो गई हैं. पूरे राज्य के कोल्ड स्टोरेज में हर साल की तरह इस बार भी हमारे पास अंतरराज्यीय व्यापार के लिए अतिरिक्त आलू है. लेकिन, हमारी बार-बार अपील के बावजूद सरकार दूसरे राज्यों को आलू की आपूर्ति नहीं करने के अपने फैसले पर अड़ी हुई है.

20-25 लाख टन आलू बेचता है बंगाल

बता दें कि पश्चिम बंगाल हर साल अन्य राज्यों को करीब 20-25 लाख टन आलू बेचता है. वहीं, मुखर्जी के अनुसार, अगस्त की शुरुआत में पश्चिम बंगाल के कोल्ड स्टोरेज में करीब 40 लाख टन आलू था. उन्होंने बताया कि अगस्त-दिसंबर के दौरान खपत के लिए पश्चिम बंगाल को लगभग 21 लाख टन आलू की आवश्यकता होती है. इसके अलावा अगले साल खेती के लिए लगभग 4 लाख टन आलू रखना होगा. इसलिए, इन आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद, वर्तमान में उनके पास 15 लाख टन आलू है, जिसका उपयोग वो अंतरराज्यीय व्यापार के लिए कर सकते हैं.

नहीं बिका आलू तो बढ़ जाएगी मात्रा

यदि सरकार उन्हें इसे अन्य राज्यों को बेचने की अनुमति नहीं देती है, तो उनके पास साल के अंत तक बिना बिके आलू की एक बड़ी मात्रा होगी. मुखर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल से आलू की अनुपलब्धता के बीच ओडिशा, बिहार और असम ने उत्तर प्रदेश से आलू खरीदना शुरू कर दिया है.