भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) से जुड़े संस्थानों में होने वाली भर्तियों और नियुक्तियों में अनियमितता, भाई-भतीजावाद और क्षेत्रवाद के आरोपों का आईसीएआर की ओर से खडंन किए जाने के बाद इसकी गवर्निंग बॉडी सदस्य वेणुगोपाल बदरवाड़ा और आक्रामक हो गए हैं. सालाना लगभग 10,000 करोड़ रुपये के बजट वाले इस संस्थान में फैले भ्रष्टाचार के मामलों को काफी तल्ख शब्दों में उठाते हुए अब उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (DARE) के अतिरिक्त सचिव संजय गर्ग को तत्काल हटाने की मांग की है. वेणुगोपाल ने कहा है कि इन दोनों अधिकारियों के कार्यों ने न केवल आईसीएआर की अखंडता से समझौता किया है, बल्कि इस प्रमुख संस्थान में राष्ट्र के विश्वास को भी हिला दिया है.
वेणुगोपाल ने पत्र में लिखा है कि देश अब आईसीएआर में एक दूरदर्शी महानिदेशक की नियुक्ति की मांग कर रहा है, जो भारत रत्न डॉ. एमएस स्वामीनाथन की विरासत को कायम रख सके और भारतीय कृषि को वैश्विक स्तर तक पहुंचा सके. पारदर्शिता, जवाबदेही और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए आईसीएआर को डॉ. हिमांशु पाठक और संजय गर्ग जैसे व्यक्तियों के प्रभाव से मुक्त होना चाहिए. आपके सीधे हस्तक्षेप के बिना, ये मुद्दे जनता के विश्वास को खत्म करते रहेंगे. वेणुगोपाल ने कहा है कि अगर कार्रवाई नहीं हुई तो वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से व्यक्तिगत तौर पर मिलकर उन्हें सारी बात बताएंगे. हालांकि, आईसीएआर ने वेणुगोपाल बदरवाड़ा के आरोपों को सिरे से नकार दिया है.
मंत्री का हस्तेक्षप जरूरी
मंत्री को लिखे पत्र में वेणुगोपाल ने कहा कि मैं यह पत्र अत्यंत सम्मान और अत्यावश्यकता के साथ लिख रहा हूं, ताकि आईसीएआर और कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड (ASRB) की विश्वसनीयता और प्रशासन से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों को आपके ध्यान में लाया जा सके. यह ध्यान रखना आवश्यक है कि आपके सीधे हस्तक्षेप के बिना, संजय गर्ग की हरकतें न केवल आपको गुमराह कर रही हैं, बल्कि इस विशाल संस्थान की प्रतिष्ठा को भी धूमिल कर रही हैं, जिसका नेतृत्व करने का दायित्व आपको सौंपा गया है.
पूसा निदेशक की भर्ती पर सवाल
वेणुगोपाल ने लिखा कि यह रिपोर्ट करना निराशाजनक है कि वैज्ञानिकों और कर्मचारियों का मनोबल अब तक के सबसे निचले स्तर पर है. मैंने आईसीएआर के भीतर भ्रष्टाचार, संचालन संबंधी विफलताओं और भर्ती संबंधी अनियमितताओं को देखा है. पूसा निदेशक के चयन में चल रहे कानूनी विवाद आईसीएआर की भर्ती प्रक्रियाओं के मनमाने ढंग और अपारदर्शी कामकाज का एक और सबूत है. कुप्रशासन के ये मुद्दे संजय गर्ग और ICAR और ASRB के उनके प्रभावशाली सिंडिकेट द्वारा सत्ता के दुरुपयोग का प्रत्यक्ष परिणाम हैं, जिनके कुप्रशासन और भ्रष्टाचार ने कानूनी लड़ाइयों को जन्म दिया है. जिसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक संसाधनों की आपराधिक बर्बादी हुई है और ICAR की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा है.
किसानों के विश्वास को धोखा
आईसीएआर को संजय गर्ग के नियंत्रण में एक कठपुतली संस्थान में बदल दिया गया है, जिससे महानिदेशक और सचिव केवल नाममात्र के रह गए हैं. वास्तव में, शक्ति महानिदेशक (आईसीएआर) और सचिव (डीएआरई) के पास होनी चाहिए, लेकिन महानिदेशक (आईसीएआर) और सचिव (डीएआरई) की प्रशासनिक कमजोरी के कारण, संजय गर्ग ने प्रमुख नीतिगत निर्णयों का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है. इस शासन के तहत, आईसीएआर को राष्ट्रीय शोध संस्थान की तुलना में एक निजी रियल एस्टेट उद्यम की तरह माना जाने लगा है, जो किसानों के विश्वास को धोखा दे रहा है और बहुमूल्य सार्वजनिक धन का दुरुपयोग कर रहा है. मैंने आपके संज्ञान में संजय गर्ग के नेतृत्व में उभरे गठजोड़ को लाया है, जिसमें ICAR का कार्मिक डिवीजन और ASRB शामिल हैं.
पीएम को देंगे भर्ती घोटाले की जानकारी
भेदभावपूर्ण और अपारदर्शी भर्तियों और नियुक्तियों के मामले में उचित कार्रवाई के अभाव में मेरे पास अब व्यक्तिगत रूप से माननीय प्रधानमंत्री को यह बताने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि आगे और भी चौंकाने वाले विवरण आने वाले हैं. उनके कार्यों ने न केवल किसानों और वैज्ञानिकों के कठिन परिश्रम से अर्जित विश्वास को खत्म किया है, बल्कि आईसीएआर और एएसआरबी की ईमानदारी को भी कलंकित किया है. डॉ. कल्याण के. मंडल का मामला, जिनकी आईसीएआर-आईएआरआई में निदेशक पद के लिए उम्मीदवारी सार्वजनिक जांच के हस्तक्षेप तक पात्रता मानदंडों का स्पष्ट उल्लंघन थी, इस बात का एक उदाहरण मात्र है कि कैसे इन भ्रष्ट प्रथाओं को आईसीएआर में हर स्तर पर घुसपैठ करने की अनुमति दी गई है.
उच्च स्तरीय जांच की जरूरत
पूसा निदेशक के चयन में चल रहे कानूनी विवाद आईसीएआर की भर्ती प्रक्रियाओं के भेदभावपूर्ण और आश्चर्यजनक रूप से अपारदर्शी कामकाज का एक और सबूत है. सत्ता का दुरुपयोग और सार्वजनिक धन का दुरुपयोग भर्ती क्षेत्र से परे तक फैला हुआ है. आईसीएआर-एनबीएजीआर, आरजीएम-डीएएचडी और एनडीडीबी द्वारा स्वदेशी मवेशी नस्लों के लिए विकसित एसएनपी चिप की गंभीर सतर्कता जांच इस महत्वपूर्ण जीनोमिक चयन उपकरण में वित्तीय अनियमितताओं को उजागर करती है. इस परियोजना के तहत धन के दुरुपयोग और डेटा उत्पादन की शिकायतें वर्षों से अनसुलझी हैं, जो जवाबदेही की चिंताजनक कमी का संकेत देती हैं. इन सब मामलों को देखते हुए पिछले पांच वर्षों में हुए सभी भ्रष्टाचार और भर्ती धोखाधड़ी की सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, सीवीसी या सीबीआई के नेतृत्व में उच्च स्तरीय जांच करवाने की जरूरत है.
केस चल रहा है फिर नियुक्ति कैसे
वेणुगोपाल ने कहा कि मेरे पिछले पत्रों पर विचार किए बिना, और एक अदालती मामले के बावजूद डॉ. सीएच. श्रीनिवास राव को पूसा का निदेशक नियुक्त कर दिया गया. राव की नियुक्ति: उनकी नियुक्ति में प्रक्रियागत खामियां हैं. जिसमें पर्याप्त दस्तावेज के बिना ईमेल और ई-ऑफिस के माध्यम से जल्दबाजी में मंजूरी देना शामिल है. यह बात पारदर्शिता के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा करती हैं. इसके अलावा, सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) द्वारा चयन प्रक्रिया की न्यायिक जांच अभी तक नहीं की गई है, जिससे इसकी वैधता पर संदेह पैदा होता है. केस चल रहा है फिर किसी की नियुक्ति कैसे की जा सकती है?