वाहन, उपभोक्ता कंपनियों को ग्रामीण मांग में सुधार की आस

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उपभोक्ता वस्तु और वाहन कंपनियों की ग्रामीण मांग पलटती दिख रही है, जो कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान ज्यादातर समय सुस्त रही थी। रबी की बंपर पैदावार की उम्मीद ने माहौल बदल दिया और ग्रामीण बिक्री परवान चढ़ने लगी है। पिछले हफ्ते भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के नेतृत्व में मौद्रिक नीति समिति ने रीपो दर को यथावत रखा, लेकिन यह उल्लेख किया कि ग्रामीण मांग जोर पकड़ रही है और उपभोग बढ़ने से वित्त वर्ष  2024-25  में आर्थिक वृद्धि को सहारा मिल सकता है।

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था, ‘ग्रामीण मांग, जो कि पहले शहरी मांग से पिछड़ रही थी , 2023-24 की दूसरी तिमाही से रफ्तार पकड़ रही है। दोपहिया वाहनों की बिक्री (जनवरी-फरवरी के दौरान इसमें 30.3 फीसदी की वृद्धि हुई), मनरेगा की मांग (फरवरी-मार्च 2024 के दौरान इसमें 9.8  की गिरावट आई) और ट्रैक्टर की खुदरा बिक्री (जनवरी-फरवरी के दौरान इसमें 16.1 की बढ़त हुई) जैसे संकेतकों के प्रदर्शन से भी यह अंदाजा मिलता है। ’

साल 2023-24 में ट्रैक्टर उद्योग की मात्रा में बिक्री साल-दर-साल हिसाब से करीब 5 फीसदी गिर गई। हालांकि अभी ट्रैक्टर ऐंड मैकेनाइजेशन एसोसिएशन (टीएमए) की वेबसाइट पर अंतिम आंकड़े अपडेट नहीं किए गए हैं। कृषि गतिविधियों में नरमी, फसल बोआई में देरी और रबी की बोआई कम होने की वजह से ट्रैक्टर की बिक्री में गिरावट आई।

भारत की दिग्गज ट्रैक्टर कंपनी महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ने फरवरी महीने में कहा था कि पूरे वित्त वर्ष में करीब 9,00,000 ट्रैक्टरों की बिक्री हो सकती है, जबकि 2022-23 में देश में 9,45,000 ट्रैक्टरों की बिक्री हुई थी। भारत के ट्रैक्टर बाजार में महिंद्रा की हिस्सेदारी करीब 41.8  फीसदी है और बाजार में सुस्ती के बावजूद वित्त वर्ष2023 की तीसरी तिमाही में उसकी हिस्सेदारी 41 फीसदी तक बनी रही। साल के अंत तक महिंद्रा ने खुद 3,64,526 ट्रैक्टरों की बिक्री की जो एक साल पहले के मुकाबले 6 फीसदी कम है।

एमऐंडएम के कृषि उपकरण क्षेत्र के प्रेसिडेंट हेमंत सिक्का ने कहा, ‘हमने मार्च 2024 के दौरान घरेलू बाजार में 24,276 ट्रैक्टर बेचे हैं। बागवानी उत्पादन के लिए बढ़े हुए अग्रिम अनुमान और गेहूं का उत्पादन पिछले साल से बेहतर रहने से किसानों के बीच मनोदशा मजबूत रहने की उम्मीद है। इस साल दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सामान्य रहने के अनुमान की वजह से ट्रैक्टर की मांग और अगले महीनों में और बढ़ने की उम्मीद है।

निर्यात बाजार में हमने 1,748  ट्रैक्टरों की बिक्री की है जो पिछले साल से 26 फीसदी ज्यादा है।’ सिक्का ने फरवरी में कहा था कि पूरे साल के लिए उद्योग का 9,00,000  का आंकड़ा बहुत खराब नहीं है और वित्त वर्ष 2025 के लिए भी नजरिया बहुत फीका नहीं है।

सिक्का ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया था, ‘अभी तक का अनुमान यही है कि मॉनसून सामान्य रहेगा और यदि ऐसा रहता है तो वित्त वर्ष 2025 के लिए नजरिया बहुत फीका नहीं रहेगा। समूचे उद्योग की बात करें तो हम पिछले साल 26 फीसदी बढ़े हैं और इस ऊंचे आधार के हिसाब से 9,00,000 ट्रैक्टरों को खराब आंकड़ा नहीं कहा जा सकता।’

सायम के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल ने जनवरी में कहा था कि देश में दोपहिया वाहनों की बिक्री 2023 में सालाना आधार पर 9.12 फीसदी बढ़कर 1.70 करोड़ इकाई तक पहुंच गई क्योंकि ग्रामीण बाजार में सुधार जारी रहा और समूची अर्थव्यवस्था में मजबूत वृद्धि देखी गई।

हालांकि साल 2023 की बिक्री कोविड महामारी से पहले के शीर्ष स्तर से अब भी काफी कम है जो कि 2018 में देखी गई थी, जब कुल 2.16 करोड़ दोपहिया वाहन बिके थे।

सायम के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल ने कहा कि तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) की बिक्री के आंकड़े अप्रैल-दिसंबर की तुलना में ज्यादा अच्छे रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘उदाहरण के लिए दोपहिया वाहनों की बिक्री में तीसरी तिमाही के दौरान 23 फीसदी की बढ़त हुई, लेकिन अप्रैल से दिसंबर के दौरान इसमें महज 10 फीसदी की वृद्धि हुई।’

फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा)  के अध्यक्ष मनीष राज सिंहानिया ने कहा कि वित्त वर्ष 2024 की दूसरी छमाही से ही ग्रामीण मांग ने जोर पकड़ा है। उन्होंने कहा, ‘इस साल अल नीनो प्रभाव कम हो गया है इसलिए हमें उम्मीद है कि ग्रामीण मांग के हिसाब से 2024-25  अच्छा रहेगा।’

एफएमसीजी कंपनियों की भी ग्रामीण मांग में सुधार आ रहा है। पारले प्रोडक्ट्स के वरिष्ठ श्रेणी प्रमुख मयंक शाह ने कहा, ‘फरवरी से ही हमारे लिए कुछ अच्छे संकेत दिखने लगे हैं। हमें उम्मीद है कि रबी फसल बेहतर रहने की वजह से ग्रामीण मांग में अच्छा सुधार होगा। फसल का सीजन शुरू हो गया है और अच्छी फसल की उम्मीद ने ही मांग बढ़ानी शुरू कर दी है। अपनी श्रेणी में हम पिछले साल फरवरी की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र में 4 फीसदी की वृद्धि देख रहे हैं, जबकि शहरी मांग में 2 से 2.5 फीसदी की बढ़त हुई है।’

दिग्गज एफएमसीजी कंपनी डाबर ने अपने तिमाही आकलन में कहा कि उसने भी ग्रामीण मांग में इजाफा देखा है। कंपनी ने कहा, ‘तिमाही के दौरान वैसे तो मांग सुस्त रही, लेकिन रोजमर्रा की चीजों के दाम बदलने से ग्रामीण मांग को बढ़ावा मिला, जिसकी वजह से ग्रामीण और शहरी मांग में खाई कम हो रही है। रबी की फसल के लिए सकारात्मक नजरिये और मॉनसून के सामान्य रहने के अनुमान से हमें उम्मीद है कि अगले महीनों में खपत बढ़ेगी।’