खरपतवार धान के बहुत बड़े दुश्मन होते हैं. ये फसल को पूरी तरह से चौपट कर देते हैं. यही वजह है कि धान की रोपाई से लेकर कटनी तक किसान इन खरपतवारों को निकालने में व्यस्त रहते हैं. इसमें किसानों का अधिक समय जाता है, साथ ही लेबर का खर्च भी अधिक लगता है. इससे बचने के लिए जरूरी है कि दवाओं का छिड़काव कर धान की फसल को बचा लिया जाए. अगर समय रहते फसल पर दवाओं का छिड़काव कर दें तो इससे फसल सुरक्षित रहने के साथ ही अधिक उत्पादन भी मिलता है. किसानों को इसके लिए फंगीसाइड का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है.
ये फंगीसाइड खाद्य तत्वों से भरपूर होने के साथ ही कीटों के खिलाफ प्रतिरोधी भी होते हैं. किसान चाहें तो इन दवाओं को सरकारी संस्था इफको से ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं. इफको मुफ्त डिलीवरी के साथ किसानों को 4 परसेंट का कैशबैक भी दे रहा है. धान की फसल में मुख्य रूप से सांवा घास, जंगली घास, क्रेंब घास, वाटर प्रिमरोज और मारफूला का प्रकोप होता है. ये खरपतवार धान की फसल को बड़े पैमाने पर प्रभावित करते हैं. इससे पौधे की बढ़वार कम होती है जिससे उत्पादन पर गंभीर असर देखा जाता है.
इन दवाओं का करें प्रयोग
किसान इन खरपतवारों को नियंत्रित करने या नष्ट करने के लिए फंगीसाइड का प्रयोग कर सकते हैं. इन दवाओं में ओजिका, सोकुसाई और जाकियामा का नाम प्रमुख है. इफको से इन दवाओं को ऑनलाइन खरीद सकते हैं. ये दवाएं ऑनलाइन मंगाने पर बाजार कीमत से कुछ सस्ती मिल जाएंगी. ओजिका 80 ग्राम के पैक की कीमत 210 रुपये है जबकि सोकुसाई की कीमत 700 रुपये प्रति लीटर है. इसी तरह एक लीटर जाकियामा का रेट 600 रुपये है.
किसान इसे घर बैठे इफको की वेबसाइट पर ऑर्डर कर सकते हैं. इन दवाओं की डिलीवरी पूरी तरह से फ्री है. साथ ही 4 परसेंट का कैशबैक भी दिया जा रहा है. किसान ऑनलाइन ऑर्डर करने के लिए टोल फ्री नंबर 18001031967 पर फोन कर सकते हैं. किसान चाहें तो वाट्सएप चैटबॉट नंबर 9311908908 पर दवा का ऑर्डर दे सकते हैं. किसान इफको का मोबाइल ऐप डाउनलोड करके भी दवाओं का ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं.
ऐसा देखा गया है कि धान की बुवाई के 15 से 45 दिन और रोपी गई धान की फसल में रोपाई से 30-45 दिन के बीच खरपतवार सबसे अधिक असर डालते हैं. ये अवधि फसल के लिए बहुत अहम होती है, इसलिए किसानों को अधिक ध्यान देना चाहिए. इन खरपतवारों में सांवा घास, मकरा, कोदो, बनरा, कनकवा, सफेद मुर्गा, भंगरा, बड़ी दुद्धी, जंगली धान, दूब और मोथा शामिल हैं. जलीय क्षेत्रों में कर्मी और जलकुंभी की अधिकता होती है.
कब करें दवा छिड़काव
खरपतवारों से बचाव की जहां तक बात है तो सामान्यतः धान की फसल में दो निकाई की जरूरत होती है. पहली निकाई बुवाई या रोपाई के 20-25 दिन बाद और दूसरी 40-45 बाद करके खरपतवारों का प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है. कुछ प्रमुख खरपतवारनाशी दवाओं में पेंडी मिथलीन 30 परसेंट ईसी, ब्यूटाक्लोर 50 परसेंट ईसी, प्रिटिलाक्लोर 50 परसेंट ईसी, अक्सीफ्लोरफेन 23.5 परसेंट ईसी, पाइरेजोसल्फूरान ईथाइल 10 परसेंट डब्ल्यूपी और बिस्पाइरी बैक सोडियम 10 परसेंट एसएल शामिल हैं.