जिस गोबर को आमतौर पर लोग कूड़े के ढेर पर फेंक देते हैं. लेकिन उसी गोबर से शाहजहांपुर के यह किसान खाद तैयार कर रहे हैं. शाहजहांपुर के ज्ञानेश तिवारी, आनंद अग्रवाल, ऋचा दिक्षित और अरुण प्रजापति गोबर की खाद बनाकर बेच रहे हैं. तो वहीं सरकारी अध्यापिका देशी गाय के गोबर से पूजा गंगवार गोबर से हैंडीक्राफ्ट बनाकर ऑनलाइन बिक्री कर रहे हैं.
शाहजहांपुर के रोजा क्षेत्र के रहने वाले अरुण प्रजापति ने वर्ष 2014 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. 2018 में आईटीआई की डिग्री हासिल की. फिर नामी सीमेंट कंपनी में सेल्समैन की जॉब करने लगे. जिसके एवज में उनको 8 से 10 हजार रुपए प्रति महीने की सैलरी मिला करती थी. इसी बीच अरुण ने रोजगार करने के बारे में सोचा. और गोबर से वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार कर उसकी ऑनलाइन बिक्री शुरू कर दी. अरुण ने वर्ष 2023 में वर्मी कंपोस्ट बनाना शुरू किया. तैयार हुआ वर्मी कंपोस्ट किसानों और नर्सरी वालों को बेचना शुरू कर दिया. अरूण ने अपने घर से कुछ ही दूरी पर वर्मी कंपोस्ट यूनिट लगाई है. यहां से वह तैयार हुए माल की पैकेजिंग कर शिपिंग के लिए भेजते हैं.अरुण प्रजापति वर्मी कंपोस्ट से साल के 12-15 लाख मुनाफा कमाते हैं.
शाहजहांपुर के आनंद अग्रवाल पिछले 25 सालों से इलेक्ट्रॉनिक का कारोबार कर रहे हैं. लेकिन पिछले 18 महीने पहले उन्होंने खेती में हाथ आजमाने के बारे में सोचा. ऐसे में आनंद अग्रवाल ने अपने शहर से सटे हुए गांव मऊ खालसा में अपनी 2 एकड़ जमीन पर वर्मी कंपोस्ट बनाने का काम शुरू किया. यहां अब हर महीने 700 से 800 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन कर रहे हैं. आनंद अग्रवाल का कहना है कि वर्मी कंपोस्ट से उनको करीब 40 से 50% तक मुनाफा होता है. आनंद अग्रवाल 400 रूपए का 50 किलो वर्मी कंपोस्ट बेचते हैं.आनंद अग्रवाल का हर महीने मुनाफा लगभग 3 लाख है. यानि साल में आनंद अग्रवाल 36 से 40 लाख के बीच है.
शाहजहांपुर के रोजा क्षेत्र की रहने वाली ऋचा दीक्षित ने एग्रीकल्चर से बीएससी और एमबीए पूरा करने के बाद इस सेक्टर की एक नामी कंपनी में जॉब करना शुरू कर दिया . जॉब के दौरान ही ऋचा ने सोचा कि क्यों ना अपना कारोबार किया जाए. ऋचा ने वर्ष 2021 में वर्मी कंपोस्ट बनाना शुरू किया. तैयार हुआ वर्मी कंपोस्ट किसानों और नर्सरी वालों को बेचना शुरू कर दिया. लेकिन, फिर उन्होंने इसको ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बेचने का मन बनाया और अपना ब्रांड भी रजिस्टर्ड करा दिया. ऋचा अपने इसी ब्रांड पर वर्मी कंपोस्ट, कोकोपीट और मस्टर्ड केक बेच रही हैं. ऋचा ने बताया कि उनका यह कारोबार तेजी के साथ ग्रो कर रहा है. उन्होंने पिछले साल 50 लाख रुपये सालाना टर्नओवर किया था. जबकि, इस बार उनको उम्मीद है कि साल के अंत तक वह 2.5 से 3 करोड रुपये का कारोबार कर लेंगी.
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शाहजहांपुर के बीएड पास युवा किसान ने गोबर को कमाई का जरिया बना लिया है. यह युवा किसान अपनी डेयरी से निकलने वाले गोबर से वर्मी कंपोस्ट तैयार कर सालाना लाखों रुपए की कमाई कर रहा है. यह युवा किसान वर्मी कंपोस्ट और केंचुआ बेचकर साल में करीब 15 लाख रुपए की कमाई कर रहा है. ज्ञानेश तिवारी ने 2010 में मेरठ से बीएड की डिग्री हासिल की और 2014 में डेयरी फार्म खोल दिया. ज्ञानेश तिवारी ने बताया कि डेयरी से निकलने वाले गोबर को पहले थोड़ी समस्या के तौर पर देखा. उसके बाद उन्होंने वर्ष 2016 में वर्मी कंपोस्ट बनाने की ट्रेनिंग ली. और अपने डेयरी फार्म पर वर्मी कंपोस्ट तैयार करना शुरू कर दिया. आज ज्ञानेश तिवारी 200 पिट में वर्मी कंपोस्ट तैयार करते हैं.
शाहजहांपुर की सरकारी स्कूल की शिक्षिका पूजा गंगवार गौ संरक्षण को अपने तरीके से बढ़ावा दे रही हैं. पूजा गंगवार को गाय के गोबर से उत्पाद बनाने के लिए उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी पटेल सम्मानित कर चुकी है. इतना ही नहीं पूजा गंगवार कृषि विश्वविद्यालयों मे भी महिलाओं को गाय के गोबर से प्रोडक्ट बनाने का प्रशिक्षण भी दे चुकी हैं. पूजा का कहना है कि जिस गोबर को सरकार 2 रुपए किलो खरीदने की बात कर रही है, उसी दो रुपए किलो के गोबर से वह एक हजार रुपए के प्रोडक्ट तैयार कर देती हैं. पूजा गंगवार घर की शोभा और सजावट वाले हैंगिंग प्रोडक्ट, टेबल प्रोडक्ट (टेबल पर रखने वाला सजावटी समान), नेम प्लेट के साथ-साथ महिलाओं के कान और गले में पहनने वाली ज्वेलरी तैयार करती हैं. पूजा गंगवार ने गाय के गोबर से बने प्रोडक्ट की बिक्री के लिए अमेजॉन, फ्लिपकार्ट और मीसो समेत कई प्लेटफार्म पर रजिस्ट्रेशन कराया है. जहां वह इसकी ऑनलाइन बिक्री करती है.