टमाटर के दाम नहीं मिलने से खड़ी फसल पर चलाया ट्रैक्टर

0
4

  इटावा के ग्राम रमायन में किसानों के लिए इस बार टमाटर की खेती नुकसान का सौदा साबित हुई है. मंडियों में टमाटर की कीमतें 1 से 2 रुपये प्रति किलो तक गिर गई हैं. इससे परेशान होकर किसानों ने मजबूरी में खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चला दिया है. दरअसल, इटावा जिले के भरथना क्षेत्र के सरैया, रमायन, नगला हरलाल, भोली, मोढी और कुनेठी समेत आसपास के गांवों के किसानों ने इस बार बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती की थी. लेकिन फसल की उचित दाम नहीं मिलने से परेशान किसानों ने टमाटर पर ट्रैक्टर चला दिया.इटावा में किसानों ने टमाटर की खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चला दिया है. किसानों का कहना है कि उनको फसल का उचित दाम नहीं मिल रहा था जिस वजह से उन्हें खेतों में ट्रैक्टर चलाना पड़ा. वहीं, इस मामले पर अखिलेश यादव ने राज्य की भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला है.

किसानों को टमाटर के नहीं मिले खरीदार

यह इलाका दिल्ली, आगरा, कानपुर और मध्य प्रदेश की मंडियों को सब्जियां भेजता है. जलवायु और मिट्टी की अनुकूलता के चलते यहां सब्जी उत्पादन बेहतर होता है, लेकिन इस बार किसानों को उनकी मेहनत का मोल नहीं मिल पाया. किसानों ने बताया कि उत्पादन तो अच्छा हुआ, लेकिन मंडियों में मांग न होने और कीमतें बेहद कम होने के चलते कोई खरीदार नहीं मिला. कुछ किसानों ने टमाटर मुफ्त में ले जाने की अपील भी की, लेकिन जब कोई नहीं आया तो उन्हें फसल पर ट्रैक्टर चलाना पड़ा. वहीं, किसानों का कहना है कि सब्जी उत्पादकों के लिए सरकार की ओर से कोई स्थायी सुरक्षा तंत्र मौजूद नहीं है. समर्थन मूल्य की व्यवस्था न होने से उन्हें बाजार की मार झेलनी पड़ती है.

अखिलेश यादव ने BJP पर लगाए आरोप

वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक्स पर ट्वीट करते हुए लिखा कि यूपी में ‘टमाटर किसानों’ की लागत भी नहीं निकलना बताता है कि भाजपा सरकार खेती-किसानी की कितनी उपेक्षा करती है. दरअसल, भाजपाई उत्पादन में नहीं बल्कि किसी भी चीज को खरीदने-बेचने के काम को बढ़ावा देते हैं, जिससे बीच में कमाया जा सके. भाजपा की सोच अर्थव्यवस्था हो या राजनीति सब में बिचौलियों वाली है. भाजपाई किसानों की जमीन और कारोबार को बड़े स्तर पर पूंजीपतियों को दे देना चाहते हैं, जिससे उनसे सीधे मोटा चंदा वसूला जा सके. इस बात का प्रमाण वो काले क़ानून थे, जो भाजपा सरकार अपने गलत मंसूबों की वजह से लाई तो थी, लेकिन किसानों की जागरूकता और एकता के कारण लागू न कर सकी.

इसीलिए भाजपा सरकार खेती-बाड़ी के काम को लगातार हतोत्साहित करती है. भाजपा ने ही अपनी गलत नीतियों की वजह से ‘छुट्टा जानवरों’ की समस्या को जन्म दिया है, जिससे फसलें अनाथ पशु खा जाएं और किसान खेती से हताश होकर किसानी का काम छोड़ दे और ज़मीनों पर भाजपाई पूंजीपतियों का कब्जा हो जाए.

“इस फसल को बर्बाद करना ही उचित”

इस मामले पर जिला कृषि उपनिदेशक आर.एन.सिंह ने बताया कि जो किसानों में टमाटर पर ट्रैक्टर चला दिया है वह सर्दियों की टमाटर थी, इसकी खेती किसान सितंबर और अक्टूबर में शुरू करते हैं, लगभग तीन महीने बाद खेती समाप्त हो जाती है. उन किसानों को अब गर्मी का टमाटर या फिर गर्मी की फसलें ही उगानी चाहिए, अच्छी आमदनी के लिए भिंडी, लौकी, तोरई जैसी फसल उगानी चाहिए. टमाटर की फसल के लिए गर्मी का मौसम शुरू हुआ है तो इसका समय निकल चुका था.

वहीं, गर्मी में टमाटर की खेती करने वाले किसानों को सावधानी बरतना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि जिस टमाटर की फसल पर ट्रैक्टर चलाया गया है उससे किसानों को घाया नहीं होगा, क्योंकि 3 महीने पहले ही यह फसल हो चुकी है और अब खत्म करने का समय आ गया था.

कर्ज लेकर टमाटर की खेती करते हैं किसान 

पूर्व ग्राम प्रधान और रिटायर्ड फौजी इंद्रेश बाबू शाक्य ने कहा कि एक बीघा टमाटर की खेती पर दस से पंद्रह हजार रुपये तक का खर्च आता है, लेकिन जब बिक्री ही नहीं होगी तो किसान कहां जाएगा. सरकार से सब्सिडी और सहायता की बातें बहुत होती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं मिलता. इसके अलावा एक अन्य किसान राजवीर कुशवाह ने बताया कि पहले से ही कर्ज में डूबे हैं और अब टमाटर की बर्बादी ने हालात और खराब कर दिए हैं. उन्होंने कहा कि मेहनत की कोई कीमत नहीं रही. सब्जी उत्पादकों के लिए कोई नीति नहीं है. हर साल यही होता है. (अमित कुमार तिवारी की रिपोर्ट)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here