स्कूल के बच्चो का किसानों को अनमोल उपहार:जुताई-बुवाई और स्प्रे तीनों काम एक साथ करेगी ये मशीन

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किसानों के लिए बनी मल्टी-टास्किंग मशीन के बारे में जानकारी दी जा रही है, जिसे स्कूली बच्चों ने बनाया है।

स्कूली बच्चे भी बड़े-बड़े काम कर देते हैं और लोग हैरान रह जाते हैं। ऐसी ही किसानों के लिए एक अच्छी खबर स्कूली बच्चों से आ रही है, जिन्होंने किसानों के लिए कमाल का कृषि यंत्र बनाया है। यह कृषि यंत्र मल्टीटास्किंग है और एक साथ तीन काम करता है। बच्चों की बात करें तो वे उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के रहने वाले हैं। स्कूल का नाम आरपीआईसी है। बताया जाता है कि इस इलाके में उपजाऊ जमीन है, लोग खेती-किसानी से जुड़े हैं। ऐसे में कृषि यंत्र की मदद से काम आसान और ज्यादा उत्पादक हो जाएगा, मेहनत कम लगेगी।इसमें स्कूली बच्चों ने किसानों की मदद करने के उद्देश्य से बहुत ही सराहनीय काम किया है। तो आइए जानते हैं इस मशीन की खासियत, जो बच्चों का नाम रोशन कर रही है। जिससे किसान भी खुश हैं।

जुताई-बुवाई और स्प्रे, तीनों काम एक साथ

जैसे कि खेती के लिए सबसे पहले खेत तैयार करना है, जिसके लिए जुताई करनी है और बीच-बीच में खरपतवार निकालने के लिए मिट्टी भी खोदनी है, निराई-गुड़ाई करनी है। इसके अलावा बीज बोना, समय-समय पर छिड़काव करना भी जरूरी है। बीज बोने में भी मेहनत लगती है, लेकिन बच्चों द्वारा बनाए गए इस कृषि यंत्र से खेत की जुताई, बीज बोना और छिड़काव का काम एक साथ कर सकते हैं। खरपतवार की समस्या नहीं होगी। सही दूरी पर बीज भी बोए जा सकेंगे और छिड़काव का काम भी हो सकेगा, पानी भी डाला जा सकेगा। आइए जानते हैं ऐसे किसानों को क्या लाभ मिलेगा और इसका इस्तेमाल कैसे करें।

चलाना आसान, नहीं पहुंचता कोई नुकसान

बच्चों ने इस कृषि यंत्र को इस तरह से डिजाइन किया है कि इससे किसानों को फायदा ही होगा और कोई नुकसान नहीं होगा। इसे चलाना आसान है। नीचे पतले पहिये लगे हैं, जिससे खेत में लगी फसल पर कोई असर नहीं पड़ता। इसमें कीटनाशक छिड़कने के लिए जगह बनाई गई है। एक टैंकर है जिसमें बीज रखे जा सकते हैं और नीचे वाले हिस्से में एक डिगर फिट किया जाता है खेत की मिट्टी को गुड़ाई करके अलग किया जाता है। ऐसे में कमाल का यह कृषि यंत्र किसानों के लिए मददगार साबित हो सकता है।

आजकल कई तरह के कृषि यंत्र आ गए हैं जिससे खेती का काम पहले की तरह मेहनत वाला नहीं रह गया है। इसके लिए पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती है। लेकिन सरकार सब्सिडी भी देती है। इस यंत्र से बीज कम लगेगा, पानी की बचत होगी और मजदूरी का खर्चा भी कम होगा।

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