FMCG कंपनियों को जनवरी-मार्च तिमाही में लगातार बिक्री दबाव के साथ-साथ सुस्त ग्रामीण वृद्धि की आशंका है। ब्रोकरों ने मार्च तिमाही में राजस्व वृद्धि निचले एक अंक में रहने का अनुमान जताया है। इसके अलावा ठंड के देर से शुरू होने का भी जाड़े से जुड़े सामान की मांग पर प्रभाव पड़ा जिनमें मॉइश्चराइजर से लेकर हॉट बेवरेज शामिल हैं।
जहां ब्रोकरों को ग्रामीण बिक्री में सुधार के आसार नहीं हैं, वहीं डाबर इंडिया ने चौथी तिमाही के नतीजों से पहले अपने अपडेट में कहा है कि उसने प्रमुख खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी के कारण ग्रामीण बढ़ोतरी में तेजी देखी जिससे ग्रामीण और शहरी के बीच अंतर कम हो गया। लेकिन इसने यह भी कहा, ‘मांग रुझान तिमाही के दौरान सुस्त बने रहे।’
इलारा कैपिटल ने इस क्षेत्र पर तिमाही नतीजों से पहले अपनी पूर्वानुमान रिपोर्ट में कहा, ‘वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में एफएमसीजी उत्पादों के लिए मांग चुनौतीपूर्ण बनी हुई है जिससे बिक्री वृद्धि की रफ्तार प्रभावित हो रही है। ग्रामीण वृद्धि के रुझानों में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखा गया। कम कृषि आय और छोटे क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धियों जैसे कारकों का बड़ी कंपनियों पर प्रभाव पड़ रहा है।’
ब्रोकरेज फर्म का यह भी मानना है कि जाड़े का मौसम देर से शुरू होने की वजह से च्यवनप्राश बिक्री की रफ्तार भी धीमी रही औऱ चौथी तिमाही में इसमें सुधार नहीं हुआ। इसमें कहा गया है, ‘खाद्य श्रेणियों ने पर्सनल केयर उत्पादों के मुकाबले लगातार बेहतर प्रदर्शन किया है। ग्रामीण मांग में सुधार एफएमसीजी क्षेत्र के लिए महत्त्वपूर्ण है। कंपनियां अनुकूल मॉनसून की उम्मीद कर रही हैं जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था फिर से बहाल हो सकती है।’
नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने इस क्षेत्र पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ग्रामीण मांग कई श्रेणियों में सपाट से लेकर एक अंक की वृद्धि के साथ चिंता का विषय बनी हुई है और बिक्री वृद्धि ग्रामीण सेगमेंट में मध्य के एक अंक की बिक्री वृद्धि के साथ चुनौतीपूर्ण बनी रहेगी। इसमें यह भी कहा गया है, ‘स र्दियों की देखभाल के उत्पादों के लिए सर्दियों की मांग में थोड़ी वृद्धि हुई लेकिन वितरक ज्यादा स्टॉक करने को तैयार नहीं थे।’
ब्रोकरेज का मानना है कि कई कंपनियों का अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय भारतीय परिचालन के मुकाबले बेहतर रहने की संभावना है।
कच्चे माल के मोर्चे पर इलारा कैपिटल ने कहा कि कच्चे तेल और पाम तेल जैसे उत्पादों की कीमतें बढ़ी हैं लेकिन इसका मार्जिन पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा क्योंकि सालाना वृद्धि धीमी बनी रही। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कंपनियों ने बिक्री बढ़ाने के लिए नई योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया और कीमत कटौती पर कम जोर दिया।’
ब्रोकरेज को कंपनियों के लिए सकल मार्जिन में वृद्धि की उम्मीद है लेकिन इस वृद्धि की रफ्तार धीमी रहेगी। कई कंपनियों का सकल मार्जिन सालाना आधार पर बढ़ सकता है लेकिन अब यह तेजी काफी कम है।
इलारा कैपिटल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज, आईटीसी, मिसेज बेक्टर्स फूड स्पेशियलिटीज और हिंदुस्तान यूनिलीवर एबिटा मार्जिन में कमजोरी दर्ज कर सकती।’