कृषि के लिए साल 2024 बेहतरीन रहा है और आने वाला साल 2025 और भी शानदार होने वाला है. क्योंकि, खेती में टेक्नोलॉजी का दखल बहुत तेजी से बढ़ने जा रहा है. हर किसान तक ड्रोन पहुंचने जा रहा तो खेती में सैटेलाइट डेटा, एआई मशीन लर्निंग समेत दूसरी तकनीक और उपकरणों का इस्तेमाल बढ़ने वाला है. एग्री कंपनियों के अधिकारियों ने कहा है कि साल 2025 खेती में टेक्नोलॉजी के नाम होगा.
साल 2024 कृषि क्षेत्र के लिए बेहतरीन रहा है, क्योंकि साल की पहली छमाही में इस क्षेत्र ने 2.7 फीसदी की अच्छी बढ़ोत्तरी दर्ज की है. 2024 में अच्छे मॉनसून और बारिश के चलते खरीफ और रबी सीजन में बंपर खेती से 2025 में अनाज उत्पादन नया रिकॉर्ड बनाएगा. इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि नए साल में कृषि क्षेत्र टेक्नोलॉजी से लैस होगा. खेती में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग के साथ ड्रोन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ने जा रहा है. एग्री सेक्टर की दिग्गज कंपनी यूपीएल, ड्रोन कंपनी सलाम किसान और एग्री डेटा कंपनी सत्ययुक्त एनालिटिक्स के शीर्ष अधिकारियों ने ‘किसान तक’ को बताया कि सेटेलाइट डेटा और सेंसर बेस्ड मॉडर्न मशीनों की मदद से खेती नए साल 2025 में नया रूप लेती हुई दिखेगी.
4 फीसदी ग्रोथ से एग्री सेक्टर में सुधार
कृषि उद्योग के लिए साल 2024 महत्वपूर्ण वर्ष रहा और जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान इस क्षेत्र में 3.5 फीसदी की बढ़त के साथ सुधार हुआ है, जो पिछले साल की इसी अवधि में दर्ज 1.7 फीसदी के मुकाबले दोगुना है. साल की पहली छमाही में इस क्षेत्र में 2.7 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. यह पिछले साल दर्ज 2.8 फीसदी की वृद्धि से थोड़ी कम है. औसत से बेहतर मानसून और बेहतर ग्रामीण खपत से प्रेरित इस उछाल का आर्थिक विकास में अहम योगदान रहा है. कृषि के तरीकों को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से ‘डिजिटल कृषि मिशन’ और महिलाओं को कृषि में ड्रोन का इस्तेमाल करने के लिए सशक्त बनाने वाली ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना जैसी सरकारी पहलों ने इस क्षेत्र में इनोवेशन और समावेश को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है.
खेती के किफायती सॉल्यूशन लाने पर जोर
यूपीएल एसएएस (UPL ltd) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशीष डोभाल ने कहा कि यूपीएल ने किसानों और खाद्य प्रणालियों को बेहतर करने में मदद की है. यूपीएल ने पर्यावरण में बदलाव से जुड़े असर को कम करने, अपनी सामाजिक जिम्मेदारी पहलों में बढ़ोतरी और अपने ऑपरेशन को मजबूत करने के लिए अहम कदम उठाए हैं. पारंपरिक पौध संरक्षण के लिए प्रोडक्ट लाने के साथ ही बायो सॉल्यूशन को शामिल करना अहम रहा है. हम प्रोडक्ट इस्तेमाल, मशीनीकरण, जोखिम कवर सॉल्यूशन और मिट्टी स्वास्थ्य सॉल्यूशन समेत कृषि इकोसिस्टम में बदलाव लाकर क्लाइमेट चेंज से पैदा चुनौतियों का समाधान कर रहे हैं और अधिक किफायती कृषि प्रथाओं को बढ़ावा दे रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हमारा टारगेट है पर्यावरणीय असर को कम करना, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, उत्पादन को बढ़ावा देना और किसान और ग्रामीण समुदाय का कल्याण बढ़ाना है. इस साल खेती में टेक्नोलॉजी का बढ़ता महत्व सामने आया है और इससे पता चलता है कि कैसे इनोवेशन कृषि पद्धतियों में बदलाव ला सकता है और उन्हें भविष्य के लिए अधिक किफायती बना सकता है.
कृषि में एआई और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल बढ़ेगा
2025 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), मशीन लर्निंग (एमएल), सेंसर बेस्ड आईओटी, ड्रोन और सैटेलाइट जैसी टेक्नोलॉजी की सुलभता और इस्तेमाल बढ़ने की उम्मीद है. ये इनोवेशन भारत में कृषि भूमि की उत्पादकता बढ़ाने और समृद्धि को बढ़ावा देने की अपार क्षमता प्रदान करते हैं. रिसर्च और डेवलपमेंट, सप्लाई चेन और बुनियादी ढांचे में सुधार के साथ उत्पादन और स्टोरेज बढ़ाने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता कृषि में ‘आत्मनिर्भरता’ प्राप्त करने पर और अधिक जोर दे सकती है. इसके अलावा उम्मीद है कि टारेगट ट्रेनिंग और जागरूकता कार्यक्रमों के जरिए किसानों को टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाना अहम होगा.
हर किसान तक पहुंचेगी ड्रोन टेक्नोलॉजी
सलाम किसान (Salam Kisan) के मुख्य परिचालन अधिकारी अक्षय खोब्रागडे ने बताया कि ड्रोन इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है. 2025 से अगले कुछ सालों में ड्रोन हर किसान के घर पहुंचने वाला है. उन्होंने कहा कि 1,00,000 ड्रोन पायलटों की मांग पूरी करने के लिए SVERI समेत कई शिक्षा संस्थानों से करार किया जा चुका है, जहां सलाम किसान युवाओं को ड्रोन ट्रेनिंग दे रही है. उन्होंने कहा कि 2030 तक भारत में 10 लाख कृषि ड्रोन खेती में लगे होंगे. अभी इसकी कीमत को लेकर पेंच फंस रहा है, जिसे कम करने की कोशिशों के क्रम में DAAS और रेंटल प्रक्रियाएं अपनाई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि एग्री ड्रोन का वैश्विक बाजार 30 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2030 तक 166 बिलियन डॉलर तक पहुंचेगा.
एग्रीटेक इंडस्ट्री में तेज बूम दिखेगा
सत्ययुक्त एनालिटिक्स (Satyukt Analytics) के संस्थापक और सीईओ डॉ. सत कुमार तोमर ने बताया कि जलवायु बदलाव के चलते संसाधनों की कमी जैसी चुनौतियों किसानों के लिए बढ़ी हैं. इनसे छुटकारा दिलाने के लिए सत्ययुक्त एनालिटिक्स (Satyukt Analytics) सहित एग्रीटेक कंपनियों ने सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग और एआई का लाभ उठाते हुए परिवर्तनकारी सॉल्यूशन पेश किए हैं. नए साल 2025 में खेती में टेक्नोलॉजी का और भी बड़ा दखल देखने को मिलने वाला है. सत्ययुक्त ने अपनी पहुंच का विस्तार छोटे और सीमांत किसानों की फसल पैदावार बढ़ाने में किया है. सिंचाई प्रबंधन और इनपुट लागत को कम करने के लिए रियल टाइम डेटा के जरिए लागत घटाने में मदद की है. उन्होंने कहा कि एग्रीटेक इंडस्ट्री की बढ़ोत्तरी वैश्विक निवेश में 10-15 फीसदी की ग्रोथ को दर्शाती है.