बाजार में ‘शाही लीची’की शाही एंट्री , बारिश की बूंदें, मिठास का जादू और रोजगार की बहार! 

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 बिहार के मुजफ्फरपुर की माटी से निकली ‘शाही लीची’ इस बार मौसम की मेहरबानी से पहले ही बाजारों में अपनी मिठास बिखेर रही है. बारिश की बूंदों ने फलों को रसीला और स्वादिष्ट बना दिया, जिससे किसानों के चेहरों पर मुस्कान और व्यापारियों के मन में उम्मीद जागी है.

बारिश, भाव और रोजगार: चार दिन पहले शुरू हुई बिक्री ने बाजारों में रौनक ला दी, जहां 200-250 रुपये प्रति सैकड़ा की कीमत पर लीची खरीदारों को लुभा रही है. ये फल न सिर्फ स्वाद का खजाना है, बल्कि हजारों मजदूरों, खासकर महिलाओं, के लिए रोजगार का सुनहरा मौका भी लाया है. मुजफ्फरपुर की यह शाही लीची अब लंदन-दुबई तक अपनी मिठास की सैर कर रही है, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई उड़ान दे रही है.

स्थिर रहेंगी कीमतें: पहले अनुमान था कि लीची की तुड़ाई 22 मई के बाद शुरू होगी, लेकिन अब ये तेजी से बाजारों में बिक्री के लिए उपलब्ध है. वर्तमान में लीची 200 से 250 रुपये प्रति सैकड़ा की दर से बिक रही है, और इसकी उच्च गुणवत्ता के कारण कीमतें स्थिर रहने की उम्मीद है.

बढ़ रहे हैं खरीददार: बारिश ने लीची में प्राकृतिक मिठास को बढ़ाया है, जिससे इसकी गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है. पहले बाजार में उपलब्ध लीची में मिठास की कमी थी, लेकिन अब ये अपने स्वाद के लिए खरीदारों को आकर्षित कर रही है. मुजफ्फरपुर के क्लब रोड पर लीची बेच रही उषा देवी ने बताया कि बोचहा प्रखंड के बागानों से लाई गई यह लीची बारिश के कारण पूरी तरह तैयार हो चुकी है.

“पहले हम कुछ दिन पहले से लीची बेच रहे थे, लेकिन उसमें मिठास कम थी. बारिश ने लीची को मीठा और स्वादिष्ट बना दिया. आज पहली बार बाजार में बिक्री शुरू हुई है, और धीरे-धीरे खरीदार बढ़ रहे हैं”. उषा देवी, लीची विक्रेता

लीची का स्वाद बहुत अच्छा है. बारिश के कारण मिठास बढ़ी है, और अगर और बारिश हुई तो यह और बेहतर होगी”. चंदू कुमार, ग्राहक

क्या कह रहे हैं लोकल व्यापारी?: व्यापारियों का कहना है कि तीन-चार दिन से शाही लीची की बिक्री चल रही थी, लेकिन बारिश के बाद मिठास बढ़ने से बाजार में इसकी मांग तेजी से बढ़ी है. मुजफ्फरपुर जिले में बैरिया बस स्टैंड, सरकारी बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन रोड, क्लब रोड, टावर चौक, जीरोमाइल चौक, अखाड़ा घाट, मिथुनपुरा चौक, हाथी चौक, बनारस बैंक चौक सहित 48 स्थानों पर लीची के बाजार सज गए हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे-मोटे बाजारों में भी किसान और व्यापारी सक्रिय हैं.

रोजगार का महत्वपूर्ण स्रोत: मुजफ्फरपुर की शाही लीची न केवल अपने स्वाद के लिए जानी जाती है, बल्कि यह बिहार में रोजगार का एक बड़ा स्रोत भी है। लीची सीजन (15 मई से 20 जून) के दौरान बिहार में लगभग दो लाख मजदूरों को रोजगार मिलता है.

स्वाद ही नहीं, रोजगार भी लाती है लीची

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मिल रहा रोजगार.

अंतरराष्ट्रीय मांग और निर्यात: शाही लीची की मांग देश के साथ-साथ विदेशों में भी है। हाल ही में बिहार से 500 किलोग्राम लीची लंदन और 750 किलोग्राम दुबई भेजी गई.

बिहार से लंदन-दुबई तक मिठास की सैर

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विदेश तक पहुंचती है बिहार की लिची

चुनौतियां और समाधान: लीची उद्योग को मौसम की अनिश्चितता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। भीषण गर्मी और अनियमित बारिश से फसल की गुणवत्ता और उत्पादन प्रभावित होता है.

शाही लीची की मिठास में नई तकनीक

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तकनीक से बढ़ेगी मिठास

एनआरसीएल क्या है?: राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र (एनआरसीएल) उन्नत खेती और प्रोसेसिंग तकनीकों पर प्रशिक्षण प्रदान करता है. ये लीची पर अनुसंधान और विकास के लिए एक प्रमुख राष्ट्रीय संस्थान है और राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व प्रदान करता है.

आगे की उम्मीदें: व्यापारियों और किसानों को उम्मीद है कि इस बार लीची का व्यवसाय पिछले वर्षों की तुलना में बेहतर होगा. बाजार में बढ़ती मांग और स्थिर कीमतों के साथ शाही लीची मुजफ्फरपुर की शान को और बढ़ा रही है. जैसे-जैसे लोगों को बाजार में लीची की उपलब्धता की जानकारी हो रही है, खरीदारों की संख्या में और इजाफा होने की उम्मीद है.

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