भारत के तेजी से बढ़ते हुए जीडीपी में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की अहम भूमिका ; GDP पर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स से भी तस्दीक

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इन दिनों भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रकाशित हो रही विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि भारत में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के तेजी से बढ़ने का नया परिदृश्य उभरता दिखाई दे रहा है। 10 अप्रैल को एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत के तेजी से बढ़ते हुए जीडीपी में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की अहम भूमिका है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग और प्रमुख मौसम एजेंसी स्काईमेट ने कहा है कि अनुकूल मानसूनी मौसम के कारण इस वर्ष 2024 में भारत में अच्छी वर्षा के संकेत दिख रहे हैं। इसी प्रकार हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने भी कहा है कि इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून के सामान्य रहने की उम्मीद है, जिससे कृषि गतिविधियों में और तेजी आएगी।

गौरतलब है कि भारत के गांवों में न केवल कृषि संसाधनों  की अधिक बिक्री हो रही है, बल्कि फ्रिज, दो पहिया वाहन और टीवी की खरीदारी उच्च स्तर पर है। ग्रामीण भारत के विकास के लिए सरकारी योजनाओं के तहत किए गए भारी व्यय, ग्रामीणों के रोजगार की मनरेगा योजना तथा स्वरोजगार की ग्रामीण योजनाओं से ग्रामीण परिवारों की आमदनी में तेज इजाफे के साथ उनकी क्रय शक्ति और मांग में भारी इजाफा हुआ है।

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा खाद्यान्न उत्पादक देश है। विश्व में भारत सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बना हुआ है। गेहूं तथा फलों के उत्पादन के मामले में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर तथा सब्जियों के उत्पादन में तीसरे स्थान पर है। विश्व स्तर पर, भारत केला, आम, अमरूद, पपीता, अदरक, भिंडी, चावल, चाय, गन्ना, काजू,  नारियल, इलायची और काली मिर्च आदि का प्रमुख उत्पादक माना जाता है। साथ ही खाद्य प्रसंस्करण के मामले में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है।

निश्चित रूप से पिछले दस वर्षों में कृषि एवं ग्रामीण विकास का नया आधार तैयार हुआ है। देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि क्षेत्र का योगदान करीब 15 फीसदी है। कृषि बजट में दस वर्षों में पांच गुना वृद्धि हुई है। सरकार द्वारा 11 करोड़ से अधिक किसानों के खातों में पीएम किसान सम्मान निधि के तहत करीब तीन लाख करोड़ रुपये सीधे हस्तांतरित होने जैसे प्रयासों से ग्रामीण क्षेत्रों में उर्वरक, बीज, कृषि रसायन, ट्रैक्टर एवं कृषि उपकरण, जैसी कृषि क्षेत्र से जुड़ी हुई वस्तुओं के अधिक उपयोग से किसानों को लाभ हुआ है। कृषि ऋण समितियों, किसान समूहों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), कृषि-उद्यमियों, स्टार्ट-अप्स और खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े उद्योग लगाने के लिए सरकार की क्रेडिट गारंटी और ब्याज में रियायत कृषि में ड्रोन तकनीक को बढ़ावा देने जैसे जो रणनीतिक प्रयास किए हैं, उनसे भी काफी किसान लाभान्वित हुए हैं। देश में प्राकृतिक यानी जैविक खेती को विशेष प्राथमिकता दिए जाने से प्राकृतिक खेती ग्रामीण भारत के विकास का एक और नया माध्यम बनते हुए
दिखाई दे रही है।

जहां कोविड-19 की आपदा से लेकर अब तक भारत वैश्विक स्तर पर दुनिया के जरूरतमंद देशों की खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने में अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई दे रहा है, वहीं दुनिया भर में भारत अपने कृषि उत्पादों के निर्यात को भी बढ़ा रहा है। इसके अलावा, विश्व बाजार में भारत के मसालों की खुशबू की धमक बहुत अधिक बढ़ी है।

इस समय दुनिया में कृषि निर्यात में भारत का स्थान सातवां है। भारत से करीब 50 हजार डॉलर से अधिक मूल्य का कृषि निर्यात होता है। इस समय भारत की खाद्य प्रसंस्करण क्षमता 12 लाख टन से बढ़कर दो सौ लाख टन हो गई है। पिछले नौ वर्षों में खाद्य प्रसंस्करण निर्यातों में 15 गुना वृद्धि हुई है। निर्यात में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी 13 फीसदी से बढ़कर 23 प्रतिशत हो गई है।

यह भी उल्लेखनीय है कि 24 फरवरी, 2024 को सरकार ने सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी खाद्यान्न भंडारण योजना के लिए प्रायोगिक परियोजना के तहत जिन 11 राज्यों में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) को लक्षित किया गया है, उनके माध्यम से पैक्स की किसानों के हित में बहुआयामी भूमिका होगी।

हम उम्मीद कर सकते हैं कि लोकसभा चुनाव के बाद गठित होने वाली नई सरकार कृषि एवं ग्रामीण विकास के साथ-साथ कृषि सुधारों की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी और इससे किसानों व ग्रामीण भारत के चेहरे पर मुस्कराहट बढ़ती दिखाई दे सकेगी।