भीषण गर्मी में इलायची के पौधों का रखें विशेष ध्यान

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आज के समय में ज्यादातर किसान खेती से कम समय में ही अधिक लाभ पाना चाहते हैं. इसके लिए वह परंपरागत खेती को छोड़कर अन्य फसलों की तरफ बढ़ रहे हैं. लेकिन हमारे देश के कुछ किसान कंफ्यूज रहते हैं कि वह खेत में किस तरह की फसल को लगाए. ताकि वह अधिक उपज के साथ-साथ अधिक कमाई कर सके. इसी कड़ी में आज हम आपके लिए सबसे अधिक मुनाफा देने वाली फसल इलायची से जुड़ी जानकारी लेकर आए हैं. इलायची हर एक भारतीय रसोई घर में आसानी से मिल जाएगी. क्योंकि इसका इस्तेमाल हमारे सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. इलायची का आयुर्वेद में भी अपना एक अलग ही महत्व है.

 भारत में इलायची की कीमत करीब 2400 रुपये प्रति किलो तक है. महाराष्ट्र, कोंकण, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के किसानों के द्वारा सबसे अधिक इलायची की खेती की जाती है. ऐसे में अगर आप इसकी खेती करते हैं, तो आप कुछ ही महीनों में मोटी कमाई कर सकते हैं.

इलायची खेती की विधि

इलायची के पौधे को अच्छे से विकसित होने के लिए नारियल व सुपारी के बागों में उगाया जाता है. खेत में करीब 3×3 मीटर के अंतराल पर सुपारी व नारियल के पेड़ लगाएं. इसका मुख्य कारण यह भी है कि इलायची की फसल में सूरज की रोशनी सीधे तौर पर पड़ने पर फसल ख़राब हो जाती है. वहीं इलायची की खेती करने के दौरान वहां के मानसून में नमी और आर्द्रता के बीच बाग को तैयार करें. इलायची की खेती के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है.

भीषण गर्मी में इलायची की फसल पर बुरा प्रभाव

इलायची की खेती पर भीषण गर्मी  का काफी बुरा प्रभाव पड़ता है. अधिक तापमान होने पर इलायची के पौधे खराब हो जाते हैं. इसलिए किसान को इलायची के पौधे हमेशा छाये वाले स्थान पर लगाने चाहिए. इलायची के पौधों से अच्छी उपज पाने के लिए किसान को करीब 3 से 4 साल तक का इंतजार करना होता है.

बारिश के मौसम में इलायची की खेती

बारिश के मौसम में इलायची की खेतीकरना लाभदायक होता है. किसान अपने खेत में इलायची की खेती जुलाई से अगस्त के महीने में कर अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. क्योंकि इस दौरान बारिश का सीजन शुरू हो जाता है. बारिश होने की वजह से इलायची की फसल को अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है.