बुंदेलखंड में खेती को मुनाफे का सौदा बनाने के लिए सूरजमुखी की खेती

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वैसे तो यूपी और एमपी के 15 जिलों में फैले बुंदेलखंड इलाके में पारंपरिक तौर पर सूरजमुखी की खेती नहीं होती थी. लेकिन, समस्याओं में ही समाधान खोजने की किसानों की प्रवृत्ति ने सूरजमुखी की खेती के प्रयोग को सफल बना दिया है. बुंदेलखंड में ललितपुर जिले के किसान अमान प्रजापति ने सूरजमुखी की खेती का Successful Model बना कर अन्य किसानों के लिए खेती में मुनाफे की राह आसान कर दी है. अब इस इलाके के किसानों को भी लगने लगा है कि सूरजमुखी की खेती से Farmers Income बढ़ सकती है. Agriculture Scientists भी सूरजमुखी की खेती के लिए बुंदेलखंड में हालात मुफीद होने के कारण किसानों को इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. किसानों को वैज्ञानिक बता रहे हैं कि यह कम अवधि की लाभदायक फसल है, इसलिए किसान वैज्ञानिक तरीके अपना कर सूरजमुखी की खेती से लाभ ले सकते हैं.

अमान ने बनाई अलग पहचान

ललितपुर जिले में गिरार गांव के प्रगतिशील किसान अमान प्रजापति ने सूरजमुखी की खेती का सफल प्रयोग किया है. उन्होंने पिछले साल एक एकड़ खेत से सूरजमुखी की खेती के प्रयोग को प्रारंभ किया था. उन्होंने सूरजमुखी को Multipurpose Crop  बनाते हुए 22500 रुपये की अतिरिक्त आय अर्जित की.

पहली उपज से उन्होंने 180 लीटर तेल का उत्पादन किया. इससे प्रजापति को पशु आहार के रूप में 7500 रुपये की खली मिल गई. जिससे Milk Production में भी इजाफा होने से उन्हें अतिरिक्त आय हुई. प्रजापत‍ि के इस प्रयोग की कामयाबी ने उन्हें इलाके में प्रयोगधर्मी किसान की पहचान दिलाई है.

गौरतलब है कि आम तौर पर सूरजमुखी की खेती, जायद सीजन में होती है, मगर किसान रबी और खरीफ सीजन में भी अपनी जरूरत के मुताबिक इसकी उपज ले सकते हैं. फरवरी महीने में किसान गेहूं की कटाई के तुरंत बाद इसकी बुआई करते हैं. ललितपुर स्थित कृष‍ि विज्ञान केंद्र (KVK) की मदद से प्रजापति ने सूरजमुखी की बुआई की थी.

कम अवधि की फसल होने के कारण अप्रैल के अंतिम सप्ताह में उनकी फसल पक कर तैयार हो गई. केवीके के वैज्ञानिक डॉ दिनेश तिवारी ने बताया कि किसानों के लिए सूरजमुखी की खेती करना इस वजह से भी आसान है, क्योंकि इसे नीलगाय या अन्य पशुओं से कोई खतरा नहीं होता है.

कर सकते हैं सहफसल भी

डॉ तिवारी ने बताया कि सूरजमुखी की खेती करते हुए किसान खेत में दूसरी सह फसलों की भी बुआई कर सकते हैं. प्रजापति ने भी वैज्ञानिकों की सलाह पर सूरजमुखी के साथ खेत में मूंग की भी बुआई की थी.

उन्होंने बताया कि सूरजमुखी के पौधे जल्द बड़े हो जाते हैं, इसलिए इनके नीचे मूंग जैसी कम ऊंचाई वाली दलहनी फसलें आसानी से हो सकती हैं. इस प्रकार किसानों को एक ही समय में दो फसलों की उपज एक साथ लेने का लाभ मिल जाता है.

साथ ही सूरजमुखी की खली किसानों के पशु धन की लागत को कम कर देती है. डॉ तिवारी ने बताया कि बुंदेलखंड के किसानों के लिए सूरजमुखी की अधिक उपज देने वाली कुछ किस्में बेहतर साबित हो सकती हैं. इनमें उन्नत प्रजाति की सरिता और YSFH175 शामिल हैं. इनके बीज किसानों को केवीके से मिल सकते हैं.