कहानी ग्रामीण राजस्थान के सूरजपुरा की:बारिश का पानी रोकने के लिए बना दिया 1 मील लंबा बांध

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आप भी इस जज्बे को सलाम करेंगे. ये जज्बा किसानों का है. कहानी ग्रामीण राजस्थान के सूरजपुरा की है. यहां के किसानों की तस्वीर ऐसी है कि वे अपने अस्तित्व को बचाने के लिए दिन-रात प्राण सुखा रहे हैं. और ये अस्तित्व जुड़ा है खेती-बाड़ी से. सूरजपुरा की आबादी मुट्ठी भर है, लेकिन इन लोगों ने मुट्ठी जोड़कर इतना बड़ा काम कर दिया कि विदेशी मीडिया भी सलाम कर रहा है. दरअसल यह पूरा इलाका सूखे से प्रभावित है क्योंकि बारिश का पानी यहां नहीं टिकता. यहां की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि पानी बह जाता है. लिहाजा खेती नहीं होती और लोग गरीबी में धकेल दिए जाते हैं.

इस गांव में सरकारी दस्तक या तो पहुंचती नहीं है और पहुंचती भी है तो बेहद कम. ऐसे में किसानों ने खुद ही मोर्चेबंदी की और पानी रोकने का जुगाड़ भिड़ा दिया. नतीजा हुआ कि कुछ ही दिनों में 15 फुट ऊंचा और एक मिल लंबा बांध बनकर तैयार हो गया. इसका फायदा हुआ कि बारिश का पानी अब उसी गांव में रुक जाता है. यह पानी नीचे जाकर भूजल स्तर को बढ़ाता है. अब इसका फायदा लहलहाते खेतों के रूप में दिख रहा है.

खेती से अच्छी आमदनी पा रहे हैं

पिछले दो दशक का इतिहास बताता है कि इस क्षेत्र में ऐसा काम पहली बार हुआ है जब लोगों ने अपने दम पर बारिश का पानी रोक लिया है. ‘दि गार्डियन’ ने अपनी एक रिपोर्ट में किसानों के इस जज्बे के बारे में बताया है. रिपोर्ट बताती है कि जब से बांध बना है तब से किसानों की खेती में जान आ गई है. इतना ही नहीं, प्रवासी पक्षियों का झुंड भी लौट आया है. जिन लोगों ने गांव छोड़कर शहरों में नौकरी का रुख किया था, वे अब लौट आए हैं और खेती से अच्छी आमदनी पा रहे हैं.

 पहले होती थी अच्छी बारिश

सूरजपुरा के किसान हेमराज शर्मा अपने गेहूं की खेत में बालियों को छूते हुए कहते हैं, 20 साल पहले तक हमारे इलाके में अच्छी बारिश होती थी. लेकिन बारिश की मात्रा घटती गई और सूखे ने इस इलाके को चपेट में ले लिया. हमारी खेती सिमट गई और उपज न के बराबर रह गई. यहां तक कि साल में एक ही बार खेती की जाने लगी. फसल चक्र के रूप में एक ही उपज का चलन शुरू हो गया. शर्मा कहते हैं, हर तीन साल पर सूखा पड़ता था. पिछला साल सूखे का साल था. मगर इस साल गांव में पानी है. इसके लिए बांध या उस दीवार को धन्यवाद है जिसे हम किसानों ने खड़ा किया है.

अब 100 में से 40 कुओं में पानी भरा रहता है

सुरजपुरा के हेमराज शर्मा बताते हैं कि जब खेती चौपट हुई तो वे भीलवाड़ा में कपड़ा फैक्ट्री में नौकरी करने लगे. यहां तक कि भाई भी गांव छोड़कर इसी फैक्ट्री में लग गया. फैक्ट्री में 12 घंटे काम करना होता था जिसके लिए महीने के 5,000 रुपये मिलते थे. लेकिन गांव के किसानों ने ठान लिया कि ऐसी दीवार बनाएंगे जो पानी को रोक सके. दीवार बनी और आज हालत ये है कि गांव के 100 में से 40 कुओं में पानी भरा रहता है.

भूजल स्तर नीचे चला गया है

भारत का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान, सूखे के प्रति सबसे संवेदनशील राज्यों में से एक है. इसके 250 गांव ब्लॉकों में से 98 फीसद क्षेत्रों को “डार्क जोन” के रूप में चिह्नित किया गया है. यहां खतरनाक रूप से भूजल स्तर नीचे चला गया है. संयुक्त राष्ट्र ने पिछले साल चेतावनी दी थी कि दुनिया के आधे से अधिक प्रमुख पानी के स्रोत तेजी से खत्म हो रहे हैं, और भारत उन देशों में से एक है जहां भूजल के उस स्तर तक गिरने का खतरा है जहां कुएं में भी पानी नहीं बचेगा.