रबी फसलों की बुवाई 614 लाख हेक्टेयर से अधिक, गेहूं का रकबा 2.15 फीसदी बढ़ा

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गेहूं बुवाई का रकबा चालू रबी सीजन में 2.15 फीसदी बढ़कर 319.74 लाख हेक्टेयर पहुंच गया। पिछले सीजन में यह 313 लाख हेक्टेयर था। इस दौरान कुल 614 लाख हेक्टेयर से अधिक में रबी फसलों की बुवाई की गई। हालांकि, तिलहन का रकबा 5.14 फीसदी घटकर 96.15 लाख हेक्टेयर रह गया।

कृषि मंत्रालय के सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, चालू रबी सीजन में 30 दिसंबर तक दलहन का रकबा 136.13 लाख हेक्टेयर पर अपरिवर्तित रहा। इसमें चना 93.98 लाख हेक्टेयर और मसूर 17.43 लाख हेक्टेयर में बोया गया है। मोटे अनाज की बुवाई 47.77 लाख हेक्टेयर से मामूली बढ़कर 48.55 लाख हेक्टेयर पहुंच गई। 

रबी सीजन में अन्य फसलों पर एक नजर
रबी सीजन की अन्य फसलों की बुवाई की बात करें तो धान 14.37 लाख हेक्टेयर में बोया गया है, जबकि पिछली बार 13.61 लाख हेक्टेयर में इसकी बुवाई हुई थी। मटर की बुवाई का रकबा 8.98 लाख हेक्टेयर से मामूली घटकर 8.94 लाख हेक्टेयर रह गया। इसके अलावा, मूंगफली तिलहन की खेती का रकबा पिछले रबी सीजन की तुलना में 3.32 लाख हेक्टेयर पर ही स्थिर बना रहा।

एक तरफ बारिश की कमी भी
देश का लगभग 90 फीसदी भूजल कृषि के लिए उपयोग किया जाता है। 2022 के सरकारी आकलन के अनुसार जल संसाधनों के अस्थिर उपयोग के कारण ब्रेडबास्केट राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में भूजल निष्कर्षण की दर 100 फीसदी से अधिक है। पिछले मानसून के दौरान उत्तर प्रदेश में 14 फीसदी बारिश की कमी जबकि असम में यह कमी 13 फीसदी दर्ज की गई थी।

इसी तरह हरियाणा और केरल दोनों में 10,ओडिशा 12, झारखंड 13, उत्तर पूर्वी मध्य प्रदेश 15, राजस्थान 11 और पश्चिम बंगाल में सात फीसदी  सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई थी। इसके साथ ही अधिकतर राज्यों में सितंबर मध्य के बाद बिल्कुल बारिश नहीं हुई इस वजह से पहले से ही भू जल संकट से जूझ रहे इन राज्यों में हालात अभी से मुश्किल होने लगे हैं। रबी की लगभग 90 फीसदी बुवाई बोरवेलों के जरिए हुई है।

श्रीअन्न और तिलहन की बुवाई में पिछड़े
इसी तरह अब तक 38.75 लाख हेक्टेयर में श्रीअन्न या मोटे अनाज की बुवाई हो चुकी है। जबकि तिलहन के मामले में यह आंकड़ा 91.6 लाख  हेक्टेयर दर्ज किया गया है। 2023-24 में समान अवधि के दौरान 40.45 लाख हेक्टेयर में श्रीअन्न या मोटे अनाज की बुवाई हो चुकी थी। तिलहन की भी पिछले सीजन में अब तक 96.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हो चुकी थी।

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