SKM ने 4 जनवरी को बुलाई महापंचायत

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हरियाणा के फतेहाबाद जिले के टोहाना में किसान संगठनों ने 4 जनवरी को राष्‍ट्रीय स्‍तर की किसान महापंचायत बुलाई है. इसके लेकर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) हरियाणा ने किसानों को एकजुट करने की कोशिशें तेज कर दी हैं. टोहाना किसान महापंचायत में बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत, राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह और देशभर के कई अन्य किसान नेता जुटेंगे. पंजाब से भी बड़ी संख्या में किसानों इसमें शामिल हो सकते हैं.

किसानों को एकजुट करने में जुटा बीकेयू

महापंचायत को लेकर एसकेएम के सदस्य भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने भी अपनी भूमिका निभाने में जुटा हुआ है. मंगलवार को बीकेयू ने करनाल में बैठक की. इस बैठक में संगठन के तीन जिलों के पदाधिकारी शामिल हुए. बीकेयू हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष रतन मान ने किसानों की अधूरी मांगों को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर सरकार ने एक्‍शन में देरी जारी रखी तो इसके गंभीर परिणाम होंगे.

एमएसपी के दावों को किया खारि‍ज

‘दि ट्रिब्‍यून’ की रिपोर्ट के मुताबि‍क, बैठक में किसानों ने हरियाणा में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 24 फसलों की खरीद के सरकार के दावों को खारिज किया. रतन मान ने ने कहा कि सीएम नाय‍ब स‍िंह सैनी को झूठे बयान देने की जगह एमएसपी कानून के लिए केंद्र सरकार से गारंटी पत्र प्राप्‍त करना चाह‍िए. रतन मान ने आगे कहा कि भाजपा सरकार लगातार किसानों के मुद्दों को अनदेखा कर रही है और वे देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के लिए मजबूर हैं. मान ने अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के बिगड़ते स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर भी चिंता जताई.

महापंचायत में एकजुटता और ताकत दिखाएंगे किसान

उन्‍होंने कहा कि सरकार की ज़ि‍द के कारण डल्लेवाल जैसे नेताओं के पास भूख हड़ताल के अलावा कोई विकल्‍प नहीं बचा है. रतन मान ने कहा कि टोहाना में 4 जनवरी को होने वाली किसान महापंचायत में किसानों की एकता और ताकत देखने को मिलेगी. उन्होंने बड़ी संख्‍या में किसानों से इसमें शामिल होने का आग्रह किया. 

रतन मान ने कहा कि किसानों की मांगों के लिए रणनीति बनाने को लेकर 9 जनवरी को पंजाब के मोगा में भी पंजाब और हरियाणा के किसान एक संयुक्त बैठक करेंगे. मान ने कहा कि एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए कितनी भी कुर्बानी देनी पड़े, किसान आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे. भाजपा सरकार सरकारी अनाज मंडियों को खत्म करने की भी कोशिश कर रही है, जिससे किसानों की आजीविका और भी खतरे में पड़ेगी.

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