झींगा उत्पादन और क्वालिटी के मामले में भारत की विश्व में एक अलग पहचान है. बेशक इक्वाडोर झींगा उत्पादन में पहले नंबर पर है, लेकिन खाने के मामले में भारतीय झींगा खूब पंसद किया जाता है. झींगा एक्सपर्ट की मानें तो उत्पादन का करीब 75 से 80 फीसद एक्सपोर्ट हो जाता है. उत्तर भारत के कई राज्यों में भी झींगा उत्पादन खूब हो रहा है. झींगा उत्पादन के लिए जिस तरह की जमीन और पानी की जरूरत होती है वो उत्तर भारत में प्राकृतिक रूप से किसानों को मिल रही है. यही वजह है कि जिस जमीन पर अनाज का एक दाना नहीं उग रहा है वहां किसान झींगा पालन करके एक हेक्टेयर जमीन पर 10 लाख रुपये तक की सालाना कमाई कर रहे हैं.
झींगा पालन के इस अवसर को देखते हुए केन्द्र सरकार भी उत्तर भारत में इसे बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रही है. खासतौर पर चार राज्यों पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और यूपी के लिए योजनाएं तैयार की जा रही हैं. झींगा एक्सपोर्ट में कोई परेशानी नहीं आए इसके लिए घरेलू बाजार तैयार करने की योजनाओं पर काम चल रहा है.
1.5 लाख हेक्टेयर जमीन कराएगी लाखों का मुनाफा
गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधियाना की रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण पश्चिम पंजाब के फाजिल्का, श्री मुक्तसर साहिब, बठिंडा, मानसा और फरीदकोट आदि में करीब 1.51 लाख हेक्टेयर जमीन खारे पानी वाली है. अभी यहां सिर्फ 1315 एकड़ जमीन पर ही झींगा पालन हो रहा है. यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट की मानें तो अगर कुल खारी जमीन के दो फीसद हिस्से पर ही झींगा पालन किया जाता है तो हर साल करीब 500 करोड़ रुपये के 18 हजार टन झींगा का उत्पादन किया जा सकता है. चार-चार महीने की झींगा फसल का साल में दो बार उत्पादन किया जा सकता है. एक्सपर्ट का ये भी कहना है कि एक हेक्टेयर में चार महीने की फसल 10 लाख रुपये तक का मुनाफा कराती है.
केन्द्र सरकार उत्तर भारत के लिए बना रही है ये योजनाएं
केन्द्रीय मत्स्य विभाग के ज्वाइंट सेक्रेटरी सागर मेहरा की मानें तो बाजार हमेशा प्रोडक्ट से तैयार होता है. इसलिए पहले राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में झींगा उत्पादन पर काम किया जा रहा है. इसके लिए जल्द ही बेकार पड़ी जमीन में से करीब 58 हजार हेक्टेयर जमीन का इस्तेमाल झींगा पालन के लिए किया जाएगा. इस जमीन की मिट्टी और पानी खारा है. इस तरह की स्थिति झींगा के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद होती है. जब उत्पादन भरपूर होने लगेगा तो फिर वहां झींगा के बीज, फीड, दवाई और प्रोसेसिंग यूनिट की सुविधा भी मिलने लगेगी. इस मामले में प्रोसेसिंग यूनिट को लेकर भी हमारी तैयारी चल रही है. एक बार उत्पादन शुरू हो गया तो फिर प्रोसेसिंग यूनिट को भी उसकी जरूरत के मुताबिक माल मिलने लगेगा.