कृषि क्षेत्र की तरक्की के ल‍िए खेतों में जाएं वैज्ञान‍िक…श‍िवराज स‍िंह का बड़ा आदेश

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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 96वें स्थापना दिवस पर केंद्रीय कृष‍ि मंत्री श‍िवराज स‍िंह चौहान ने ‘लैब टू लैंड गैप’ पर कही बड़ी बात. उन्होंने कहा क‍ि जब तक हमारा क‍िसान, विज्ञान का व्यवहारिक उपयोग नहीं करेगा तब तक उसको फायदा नहीं होगा. ऐसा तब संभव होगा जब कृष‍ि वैज्ञान‍िक खेतों में जाकर क‍िसानों को समझाएंगे.

 

केंद्रीय कृष‍ि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है क‍ि भारतीय कृष‍ि अनुसंधान पर‍िषद (ICAR) ने देश को व‍िभ‍िन्न फसलों की करीब 6000 किस्में दी हैं, लेक‍िन बड़ा सवाल यह है क‍ि इनमें से कितनी किस्में लैब से लैंड तक पहुंची हैं. किसान और वैज्ञानिकों के बीच कितना जुड़ाव है, इसे देखते हुए हमें इस पर काम करना होगा. किसान और कृषि विज्ञान केंद्र का कितना संबंध है, इसका भी विश्लेषण करना होगा. चौहान ने कहा कि देश में 731 कृषि विज्ञान केंद्र हैं, लेक‍िन उसका उतना फायदा क‍िसानों को नहीं म‍िल पा रहा है ज‍ितना म‍िलना चाह‍िए. इसल‍िए आईसीएआर के महान‍िदेशक जल्द से जल्द 2-2 विज्ञानिकों को हर केवीके में भेजकर वहां अध्ययन करवाएं क‍ि क्यों क‍िसानों और वैज्ञान‍िकों के बीच गैप है. देश में करीब 5500 कृष‍ि वैज्ञान‍िक हैं ऐसे में यह काम क‍िया जा सकता है. वहां जाकर भी शोध होगा तभी हम किसानों को फायदा पहुंचा सकते हैं. 

चौहान ने यह बात मंगलवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 96वें स्थापना दिवस पर कही. उन्होंने ‘लैब टू लैंड गैप’ पर व‍िस्तार से बात की. कहा क‍ि जब तक क‍िसान, विज्ञान का व्यवहारिक उपयोग नहीं करेगा तब तक उसको फायदा नहीं होगा. ऐसा तब संभव होगा जब कृष‍ि वैज्ञान‍िक खेतों में जाकर क‍िसानों को समझाएंगे. उन्होंने कहा क‍ि आज हम संकल्प लें कि दलहन और तिलहन में भी भारत को आत्मनिर्भर बनाएंगे, इसके लिए सरकार पूरा समर्थन करेगी. दलहन के लिए समृद्वि पोर्टल बना है. किसानों के लिए जागरूकता अभियान चलाना होगा. 

खेतों में जाकर क‍िसानों को स‍िखाएं 

कृष‍ि मंत्री ने कहा क‍ि आईसीएआर के सभी वैज्ञानिक साल में एक महीना खेत में जाकर किसानों को सिखाएं. सभी कृषि विश्वविद्यालय कैसे किसानों के लिए काम करें, इस पर ध्यान देना होगा. कृषि विश्वविद्यालय, वैज्ञानिक और खेत एक साथ जुड़ने चाहिए. उत्पादन बढ़ाना जरूरी है लेकिन इस पर भी ध्यान देना जरूरी है कि मानव शरीर पर उसका क्या प्रभाव होगा. प्राकृतिक खेती पर भी र‍िसर्च करना होगा. श्रीअन्न का उत्पादन कैसे बढ़े, इस पर भी प्रधानमंत्री जी ने चिंता व्यक्त की है. इसल‍िए इसका उत्पादन बढ़ाने पर भी काम करना होगा. 

चार गुना हो सकती है आय 

चौहान ने कहा क‍ि वो खुद भी एक क‍िसान हैं. हमारे देश में सीमांत किसान हैं. छोटी जोत के किसान के लिए मॉडल फॉर्म बनाने की ज़रूरत है. कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की आत्मा है और किसान उसकी रीढ़ है. क‍िसानों की सेवा करना भगवान की सेवा करना है. अगर वैज्ञान‍िकों का योगदान बढ़े, उत्पादकता में इजाफा हो तो क‍िसानों की आय चार गुना तक बढ़ सकती है. कृषि विविधिकरण कर देंगे तो किसानों की खेती में आय बढ़ाना संभव है. आज हम इसी संकल्प के साथ काम कर रहे हैं. वैज्ञानिक 4 साल के लक्ष्य को निर्धारित करें और 4 साल के बाद हम कहें कि हमने यह लक्ष्य पूरे किए हैं. 

डेयरी सेक्टर को बढ़ाने पर जोर 

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने दावा क‍िया क‍ि पशुधन और मत्स्य पालन सकल घेरलू उत्पाद में 35 प्रतिशत का योगदान कर रहा है. अगर हम इस पर ध्यान नहीं देंगे तो यह नीचे गिर सकता है. मत्स्य पालन में हम दुनिया में दूसरे नंबर पर पहुंच गए हैं. पशुधन और मत्स्य पालन को हम आगे बढ़ायेंगे तो बहुत लाभ होगा. पशुपालन विभाग फुट एंड माउथ ड‍िजीज  (एफएमडी) के निराकरण में लगा हुआ है. पशुधन को भी आप प्राथमिकता दें. डेयरी सेक्टर पूरी तरह से असंगठित क्षेत्र है, हम इसे कैसे संगठित क्षेत्र में लाएंगे इस पर काम करना होगा तभी हम डेयरी सेक्टर को विकसित कर सकेंगे. 

भंडारण के ल‍िए काम करने की जरूरत 

कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने कहा कि कृष‍ि वैज्ञान‍िकों ने कृषि क्षेत्र व उत्पादन के लिए बहुत काम किए हैं लेकिन उत्पादन के बाद अनाज के भंडारण की व्यवस्था नहीं हो पाई है. अनाज उत्पादन के भंडारण व्यवस्था पर काम करें. खेती को विष रहित खाद चाहिए और विष युक्त भोजन मनुष्यों को न मिलें, इस दिशा में वैज्ञानिकों को शोध करना चाहिए. खेती में खाद की उपयोगिता न के बराबर हो इस के लिए काम करें. 

भारत को एक्सपोर्टर बनाने में बड़ा योगदान 

इस मौके पर केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी और पंचायती राज मंत्रालय में राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल, कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी और केंद्रीय मत्स्य पालन राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन भी मौजूद रहे. आईसीएआर के महान‍िदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने कहा कि आईसीएआर ने टेक्नोलॉजी की मदद से भारत को भुखमरी से बाहर न‍िकाला है. कभी भारत दूसरे देशों से खाद्यान्न मंगा रहा था तो अब कई देशों को एक्सपोर्ट कर रहा है. इस अवसर पर फसलों की 25 किस्में जारी की गईं. पशु विज्ञान व मत्स्य विज्ञान के लिए वैक्सीन किट जारी की गई. साथ ही, फसलों के वेस्ट से बने विभिन्न उत्पाद भी जारी किए गए. इस अवसर पर अच्छा काम करने वाले वैज्ञानिकों को सम्मान‍ित क‍िया गया.