खाद्य मुद्रास्फीति का बढ़ रहा जोखिम,RBI 10वीं बार रीपो रेट रख सकती है बरकरार

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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की छह सदस्यों वाली पुनर्गठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) लगातार 10वीं बार रीपो दर जस की तस रख सकती है। 7 से 9 अक्टूबर को होने वाली एमपीसी की बैठक से पहले बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में सभी 10 प्रतिभागियों की यही राय है। बैठक के निर्णय की घोषणा 9 अक्टूबर को होगी।

सर्वेक्षण में शामिल प्रतिभागियों ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति के बढ़ते जोखिम को देखते हुए समिति रीपो दर को इसी स्तर पर बनाए रखने का फैसला कर सकती है। मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच 250 आधार अंक की बढ़ोतरी के साथ रीपो दर को 6.5 फीसदी पर पहुंचाने के बाद से पिछली 9 नीति समीक्षा बैठकों में रिजर्व बैंक ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया है।

आरबीएल बैंक की अर्थशास्त्री अचला जेठमलानी ने कहा, ‘आधार प्रभाव के कारण मुद्रास्फीति में नरमी आई है मगर मुख्य मुद्रास्फीति अब भी 5 फीसदी के करीब है और पिछले दो महीनों में यह 4 फीसदी से नीचे नहीं आई है। अनुमान जताए जा रहे हैं कि एक साल बाद भी यह 4.5 से 5 फीसदी रह सकती है। हालांकि कुछ संकेतक वृद्धि के मोर्चे पर नरमी आने के संकेत दे रहे हैं, जिसके कारण आगे चलकर केंद्रीय बैंक नरम रुख अपना सकता है। मगर अभी इसके आसार नहीं हैं।’अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति एमपीसी के 4 फीसदी के लक्ष्य से नीचे थी मगर सब्जियां महंगी होने से जुलाई के 3.60 फीसदी के संशोधित आंकड़े से ज्यादा रही। अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति 3.65 फीसदी रही, जबकि इसके 3.5 फीसदी रहने का अनुमान था।

ज्यादातर प्रतिभागियों ने कहा कि आरबीआई सख्ती ही बरतता रहेगा। केंद्र सरकार ने गुरुवार को 25,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड वापस खरीदने की घोषणा की है। इससे बैंकिंग तंत्र में तरलता बढ़ने की उम्मीद है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार गुरुवार को बैंकिंग तंत्र में अधिशेष तरलता 2.88 लाख करोड रुपये थी।आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा, ‘नीतिगत रुख भी ऐसा ही रहने की उम्मीद है। अतीत में रिजर्व बैंक ने कोई अनुमान नहीं जताने की नीति अपनाई है ताकि मौद्रिक नीति में अपने हिसाब से बदलाव करने की गुंजाइश उसके पास रहे। रुख में बदलाव को नीतिगत दर के आगे के रास्ते से जोड़ा गया है तरलता से नहीं।’

हालांकि कुछ प्रतिभागियों ने उम्मीद जताई कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दर में 50 आधार अंक की कटौती किए जाने के बाद एमपीसी भी रुख को तटस्थ बना सकता है। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘इक्रा को लगता है कि खुदरा मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही के लिए मौद्रिक नीति समिति के 4.4 फीसदी के अनुमान से कम रहेगी। मगर पूरे वित्त वर्ष 2025 के लिए यह 4.5 फीसदी के अनुमान के बराबर ही रह सकती है। सितंबर 2024 में दरें 50 आधार अंक घटाने के अमेरिकी फेडरल रिजर्व के फैसले के बाद भी हमें मौद्रिक नीति समिति की अक्टूबर 2024 की बैठक में दर में कटौती की उम्मीद नहीं है, लेकिन रुख में बदलाव हो सकता है।’अधिकतर प्रतिभागियों ने संकेत दिया है कि दर और रुख के बारे में निर्णय सर्वसम्मति से लिए जा सकते हैं।

बार्कलेज इन्वेस्टमेंट बैंक की श्रेया सोढानी ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति के बाहरी सदस्य असहमति जता सकते हैं। वे ब्याज दर घटाने और रुख को तटस्थ करने के पक्ष में वोट डाल सकते हैं। केंद्र सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में मौद्रिक नीति समिति में तीन नए बाहरी सदस्य – राम सिंह, सौगत भट्टाचार्य और नागेश कुमार शामिल हैं। इन सदस्यों ने जयंत वर्मा, आशिमा गोयल और शशांक भिडे की जगह ली है।

पीएनबी गिल्ट्स के एमडी एवं सीईओ विकास गोयल ने कहा, ‘यह उनकी पहली बैठक है और इसलिए उनका नजरिया भी आरबीआई जैसा ही होगा। मुझे नहीं लगता कि कम से कम पहली बैठक में वे विपरीत नजरिया रखेंगे।’आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति के छह सदस्यों में से दो ने अगस्त की बैठक में ब्याज दरों में कटौती के पक्ष में मतदान किया था। उनका कहना था कि अत्यधिक सख्त नीति आर्थिक वृद्धि में बाधा डाल सकती है।

प्रतिक्रिया देने वाले ज्यादातर लोगों का कहना है कि महंगाई दर या वृद्धि के अनुमान में कोई बदलाव नहीं होगा। बहरहाल विशेषज्ञों का एक तबका वृद्धि अनुमान में 15 से 20 आधार अंक के बदलाव की उम्मीद कर रहा है।गोयल ने कहा, ‘वृद्धि अनुमान घटाकर कम किए जाने की संभावना है क्योंकि रिजर्व बैंक का वृद्धि अनुमान बहुत ज्यादा है, यहां तक कि भारत सरकार के अनुमान से भी अधिक है।’