उड़द, संतरा और बाजरा फसलों में कीट-रोग का प्रकोप , आलू की 4 किस्मों की बुवाई की सलाह

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अक्तूबर में उड़द, संतरा और बाजरा की फसलें कटाई के लिए तैयार खड़ी हैं. ऐसे में इन फसलों में पत्ती धब्बा रोग, रस चूसक कीट समेत कई तरह के रोगों और कीटों का प्रकोप बढ़ रहा है, जिनसे बचाव की सलाह किसानों को दी गई है. धान फसल को पत्ती मोड़क रोग से बचाने की खास सलाह दी गई है. जबकि, रबी सीजन के लिए सब्जी फसलों में पत्ता गोभी, फूल गोभी, बैंगन और टमाटर की रोपाई का सुझाव दिया गया है. जबकि, आलू की खेती की तैयारी कर रहे किसानों को 4 किस्मों की बुवाई को कहा गया है, ताकि उत्पादन अधिक मिल सके.

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय समेत अन्य राज्यों में होने वाली फसलों की रबी सीजन में बुवाई और खरीफ सीजन की खेतों में पकी खड़ीं फसलों के रखरखाव और कीटों से बचाव की सलाह दी गई है. धान, उड़द, संतरा और बाजरा  समेत अन्य पकी फसलों को कीटों और रोगों से बचाने की जरूरत पर जोर दिया गया है. किसानों को खेतों में जलजमाव से फसल बचाने को भी कहा गया है. 

उड़द और धान फसल के लिए किसानों को सलाह 

कृषि सलाह में अरुणाचल प्रदेश के किसानों को धान के खेतों में जल निकासी की उचित व्यवस्था करने को कहा गया है. साथ ही यहां किसान धान के खेतों में जलस्तर 3 से 4 सेंटीमीटर बनाए रखें, ताकि फसल को सड़न रोग से बचाया जा सके. अरुणाचल प्रदेश के किसानों को उड़द की फसल में पत्ती धब्बा रोग के प्रकोप से अलर्ट किया गया है. किसानों को सलाह दी गई है कि पत्ती धब्बा रोग के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत इसकी रोकथाम के लिए ऐसे संक्रमित पौधों को उखाड़कर खेतों से दूर फेंक दें. 

संतरा के बागों में रस चूसक कीट का हमला 

अरुणाचल प्रदेश के संतरा किसानों को भी कीटों और रोगों के प्रभाव से फसल को बचाने की सलाह दी गई है. संतरा किसानों को कहा गया है कि बागों को थ्रिप्स इंसेक्ट या रस चूसक कीट से बचाने का सुझाव देते हुए किसानों को जहरीला चारा बोतल में भरकर बागों में लटकाने का सुझाव दिया गया है. इससे बिना खर्च के कीटों के हमले से संतरा को बचाया जा सकता है. यह रस चूसक थ्रिप्स कीट छोटे-छोटे होते हैं जो पत्तियों व फल के मुलायम भाग को चूसते हैं. पौधे में से रस निकल जाने के कारण पत्तियां सिकुड़ जाती है तथा मुरझा कर ऊपर की ओर मुड़ जाती हैं और पत्तियां नाव का आकार ले लेती है. 

सब्जी फसलों के लिए गोबर खाद का इस्तेमाल जरूर करें 

असम के किसानों को धान फसल में पत्ती मोड़क कीट (Rice Leaf Folder Disease) के प्रकोप से सतर्क किया गया है. किसानों को सलाह दी गई है कि इस कीट से फसल को बचाने के लिए वह पिपरोनल का छिड़काव कर सकते हैं. असम के किसान मौजूदा मौसम में पत्ता गोभी, फूल गोभी, नौल खोल, बैंगन और टमाटर के पौधों की रोपाई भी कर सकते हैं. किसान इन फसलों की बुवाई के लिए जमीन तैयार करते वक्त खेतों में गोबर की खाद का इस्तेमाल जरूर करें.

रबी सीजन के लिए आलू की बुवाई के लिए 4 किस्मों की सलाह दी गई है- 

  1. कुफरी चंद्रमुखी किस्म. 
  2. कुफरी ज्योति किस्म.
  3. सिंदूरी आलू किस्म. 
  4. कुफरी मेघा आलू किस्म.
  5. बाजरा को ब्लास्ट रोग से बचाएं किसान

कृषि सलाह में मेघालय के किसानों को बाजरा की फसल में ब्लास्ट रोग (Millet Blast Disease) से सतर्क किया गया है. खरीफ सीजन की फसल बाजरा इन दिनों खेतों में पकी खड़ी है और किसानों से फसल बचाने के लिए के लिए जरूरी कीटनाशक छिड़काव करने को कहा गया है. राज्य के किसान अदरक और हल्दी के खेतों में पानी जमा ना होने दें. मेघालय के किसान खीरा, कद्दू, लौकी और करेले की पकी पौध की तुड़ाई कर लें. इसके अलावा किसान अमरूद के पके फलों की तुड़ाई भी कर लें. यहां इस मौसम में स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाए जा सकते हैं.