रेगिस्तान में जैतून की खेती:जैतून की खेती से 100 साल तक लाभ

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जैतून शांति का प्रतीक है और इसका तेल सेहत के लिए सबसे फायदेमंद माना जाता है और यह महंगा भी है. राजस्थान की रेतीली भूमि में हरे-भरे फलदार जैतून की फसल किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. राजस्थान जैतून की खेती में अग्रणी उत्पादक के रूप में उभरकर सामने आया है. वहीं जैतून के फल से दुनिया भर के सभी नामी होटलों में कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं. दुनिया भर में जैतून तेल की बढ़ती मांग से इसकी खेती करना फायदेमंद साबित हो रहा है क्योंकि प्रीमियम खाद्य तेलों की श्रेणी में इसके तेल का स्थान सबसे ऊंचा होता है. जैतून तेल का उपयोग खाने के साथ, सौंदर्य प्रसाधन और दवाइयों में हो रहा है. इसे देखते हुए जैतून की खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

जैतून शांति का प्रतीक है और इसका तेल सेहत के लिए सबसे फायदेमंद माना जाता है और यह महंगा भी है. राजस्थान की रेतीली भूमि में हरे-भरे फलदार जैतून की फसल किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. राजस्थान जैतून की खेती में अग्रणी उत्पादक के रूप में उभरकर सामने आया है. वहीं जैतून के फल से दुनिया भर के सभी नामी होटलों में कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं. दुनिया भर में जैतून तेल की बढ़ती मांग से इसकी खेती करना फायदेमंद साबित हो रहा है क्योंकि प्रीमियम खाद्य तेलों की श्रेणी में इसके तेल का स्थान सबसे ऊंचा होता है. जैतून तेल का उपयोग खाने के साथ, सौंदर्य प्रसाधन और दवाइयों में हो रहा है. इसे देखते हुए जैतून की खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

जैतून की खेती से 100 साल तक लाभ

राजस्थान ऑलिव कल्टीवेशन लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुरेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि राजस्थान में अभी जैतून की खेती का रकबा बढ़कर 1100 हेक्टेयर से ज्यादा हो गया है. राजस्थान में इसकी खेती इजरायल के सहयोग से 2007 में शुरू की गई थी. साल 2007 में जैतून के लगभग एक लाख से ज्यादा जैतून के  पौधे इजरायल से मंगवाए गए थे. गंगानगर के दीपक सहारण ने बताया कि परंपरागत खेती का साथ उन्होंने जैतून की खेती करने का विचार किया. लगभग पांच साल पहले 15 हेक्टेयर खेत में 7 हजार जैतून के पौधे लगाए. अभी उसका अच्छा विकास हो रहा है. दीपक का कहना है कि राजस्थान का जैतून तेल के गुण और फल की क्वालिटी में दुनिया में होने वाले जैतून के मुकाबले बहुत बेहतर है. अब जैतून की पत्तियों से चाय भी बनने लग गई है जिससे किसानों को दोहरा लाभ मिलेगा. पौधे की उम्र भी ज्यादा होती है. 100 साल तक उत्पादन देने के कारण किसान कई पीढ़ियों तक कमा सकते हैं.

जैतून की पत्ती और फल दोनों उपयोगी

जयपुर के Center of excellence center के सहायक निदेशक केदार प्नसाद शर्मा ने  बताया कि जैतून के तेल की कीमत 1,000 रुपये प्रति लीटर है. जैतून के एक पौधै से लगभग 30 किलो फल की उपज प्राप्त होती है. एक हेक्टेयर में लगभग 1250 जैतून के पौधे लगते हैं. एक किलो फल से लगभग 7 से लेकर 15 प्रतिशत तक जैतून का तेल मिलता है. राजस्थान सरकार इस समय किसानों से 60 रुपये किलो के हिसाब से जैतून के फल खरीद रही है.

विशेषज्ञों का कहना है कि देश में जैतून की खेती होने से भारतीय दुकानों में जैतून का तेल भरपूर मात्रा में उपलब्ध हो जाएगा. इससे अधिक दाम पर मिलने वाला जैतून का तेल घरेलू स्तर पर उत्पादन होने के बाद सस्ता होगा और अधिकांश आबादी इसका उपयोग कर सकेगी. जैतून के तेल से मिलने वाले फायदे को लेकर अपने देश के लोगों में भी जागरुकता बढ़ रही है. इसके तेल के इस्तेमाल से उच्च-निम्न रक्तचाप, दिल की बीमारियों के खतरे और कैंसर से बचाव होता है. इसके आलावा जैतून से तेल ही नहीं, इसकी पत्ती का उपयोग चाय के रूप में होता है जो किसानों के लिए आमदनी का एक अच्छा जरिया है. 

कब और कैसे करें जैतून की खेती

केदार शर्मा ने बताया कि जैतून की खेती राजस्थान में एक नई फसल है. जैतून के पौधों की रोपाई साल में कभी भी की जा सकती है. सामान्य रूप से पौधों का रोपण जुलाई से अगस्त में किया जाता है, परंतु जहां सिंचाई की सुविधा हो, वहां दिसंबर से जनवरी में भी पौधे लगाए जा सकते हैं. शर्मा ने बताया कि राजस्थान के लिए जैतून की चार किस्में बेहतर हैं. बार्निया, अरबी क्युना, कोरोनीकी और कोर्टिना. उन्होंने कहा कि राजस्थान में जैतून की खेती के लिए हनुमानगढ़, जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, नागौर, झुंझुनू, अलवर और जालोर काफी अच्छे हैं. जयपुर में इसकी नर्सरी से पौधे तैयार किए जाते हैं.

जैतून के फलों की खेती के लिए सामान्यत: पौधों की बुवाई में कतार से कतार की दूरी 7 मीटर और पौधों से पौधों की दूरी 4 मीटर होनी चाहिए. चाय के लिए, सघन रूप से खेती की जाती है, जिसमें कतार से कतार की दूरी 4 मीटर और पौधों से पौधों की दूरी 2 मीटर होनी चाहिए. पौधे लगाने के 4 साल बाद फल देना शुरू होता है और जैतून के पौधे 100 साल तक फल देते हैं. जैतून के फल एक वर्ष में एक बार तोड़े जाते हैं और साल में चार से सात बार में 50 किलो पत्तियां तोड़ी जा सकती हैं.

सरकार की मदद और सब्सिडी

राजस्थान के बीकानेर, श्रीगंगानगर, जोधपुर, जालौर समेत कई इलाकों में अब जैतून की खेती होने लगी है. इसकी पेराई के लिए प्लांट बीकानेर में लगाए गए हैं. ये प्लांट राजस्थान ऑलिव कल्टीवेशन लिमिटेड, यानी आरओसीएल द्वारा लगाए गए हैं. आरओसीएल प्रदेश सरकार के सहयोग से गठित एक संगठन है जिसमें राजस्थान कृषि विपणन बोर्ड, फिनोलेक्स प्लासन इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड और पुणे एंड इंडोलिव लिमिटेड ऑफ इजरायल की साझेदारी है. राजस्थान में जैतून की खेती के विस्तार की अपार संभावनाएं हैं. राजस्थान के किसानों में जैतून की खेती के प्रति रुझान बढ़ रहा है. राज्य सरकार इसे और बढ़ावा देने के लिए लगभग 50,000 रुपये की सब्सिडी दे रही है. किसानों की आय बढ़ाने में जैतून की खेती सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित हो रही है.