बिहार में अब FPO भी बेचेगा खाद-बीज

0
33

बिहार के किसानों को अब खाद-बीज खरीदने के लिए अधिक कठिनाई नहीं उठानी पड़ेगी. दरअसल, बिहार में अब एफपीओ (FPO किसान उत्पाद संगठन) भी खाद-बीज और कृषि उत्पाद की बिक्री कर सकेंगे. यह व्यवसाय को उन पंचायत को बढ़ावा दिया जाएगा, जहां पैक्स नहीं है. सहकारिता विभाग ने एफपीओ को खाद-बीज और कृषि उत्पादों के व्यवसाय के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य कर दिया है. विभाग द्वारा अब तक राज्य में 300 एफपीओ का रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है. वहीं, एफपीओ को व्यवसाय में बढ़ावा देने के लिए बैंक गारंटी बिहार सरकार लेगी. इसके लिए विभाग की ओर से एक प्रस्ताव मंत्रिमंडल में मंजूरी के लिए जल्द भेजा जाएगा.

FPO करेगा कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग

सहकारिता विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि एफपीओ यानी किसान उत्पादक संगठन, किसानों का एक समूह होता है, जो अपने क्षेत्र में फसल उत्पादन से लेकर खेती-किसानी से जुड़ी तमाम व्यावसायिक गतिविधियां भी चलाता है. इस एफपीओ के माध्यम से किसानों को कृषि उपकरण के साथ खाद, बीज, उर्वरक जैसे कई उत्पाद के लिए थोक भाव पर छूट मिलती है. अब सरकार ने एफपीओ को तैयार फसल और उसकी प्रोसेसिंग करके उत्पाद को मार्केट में बेचने को बढ़ावा देने का भी फैसला किया है. इस फैसले से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार मिलेगी. वहीं, विभाग के स्तर से बाजारों तक किसानों की पहुंच आसान बनाने में एफपीओ को हर सुविधा देकर बढ़ावा दिया जाएगा.

इस क्षेत्र में FPO तैयार करेगा नेटवर्क

सहकारिता विभाग का कहना है कि एफपीओ के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में बाजार से कृषि उत्पादों को जोड़ने के लिए नेटवर्क तैयार किया जाएगा. किसानों को टेली-परामर्श, फसल बीमा, ई-पशु चिकित्सा, किसान क्रेडिट कार्ड और पीएम किसान योजनाओं की जानकारी भी एफपीओ के माध्यम से दी जाएगी. इससे किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ जल्द पहुंचाने में मदद मिलेगी.

क्या है किसान उत्पादक संगठन

किसान उत्पादक संगठन यानी Farmers Producer Organization (FPO) कुछ और नहीं, बल्कि किसानों द्वारा बनाया गया एक स्वयं सहायता समूह है. यहां किसान ही किसान की मदद करते हैं. किसान उत्पादक संगठनों से जुड़कर किसानों को सस्ते दामों पर बीज, खाद, उर्वरक, कीटनाशक, मशीनरी, ग्रीन हाउस, पॉलीहाउस, कृषि तकनीक, ट्रेनिंग, नेटवर्किंग, आर्थिक मदद और तकनीकी सहयोग उपलब्ध करवाया जाता है, ताकि किसान का मनोबल बढ़े और वो खेती में बिना किसी दिक्कत के अच्छे से खेती कर सकें.