रबी सीजन की फसल अंतिम दौर में है। इसके बाद किसान खरीफ की खेती की तैयारी में जुट जाएंगे। जो किसान खरीफ सीजन में कपास की खेती करना चाहते हैं उनके लिए कई ऐसी कई किस्में हैं जो कपास (Cotton) का बेहतर उत्पादन देती है। इसी कड़ी में हिसार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने किसानों के लिए देसी कपास की एक ऐसी किस्म की खोज की है जो कम समय में बेहतर पैदावार दे सकती है। बताया जा रहा है कि कपास की यह किस्म 185 दिन की कम समय अवधि में तैयार हो जाती है और इसके रेशे की क्वालिटी भी काफी अच्छी है। ऐसे में यदि किसान कपास की इस किस्म की खेती करते हैं तो उन्हें अच्छा लाभ मिल सकता है।
कौनसी है यह कपास की किस्म
हिसार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने देसी कपास की नई किस्म खोजी है। कपास की इस किस्म का नाम है एएएच-1 (AAH-1) है जो किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकती है। यह किस्म 185 दिन में तैयार हो जाती है। इसकी रुई का साइज बहुत बढ़िया है। इस किस्म के टिंडे काफी वजनी होते हैं जिससे यह जमीन की तरफ झुक जाती है।
कपास की एएएच-1 (AAH-1) की क्या है खासियत
कपास की एएएच-1 (AAH-1) किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इससे प्राप्त होने वाली रुई काफी लंबी होती है। इसकी रुई का आकार 24.50 एमएम होता है। इसके रेशे की मात्रा 36.50 प्रतिशत होती है। जिन किसानों को बीटी 3 किस्म नहीं मिलती है तो वह कपास की नई किस्म एएएच-1 (AAH-1) लगा सकते हैं। कपास की किस्म का प्रयोग करने से पहले किसान अपने क्षेत्र के कृषि विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।
कपास की एएएच-1 (AAH-1) से कितना मिल सकता है उत्पादन (How much production can be achieved from AAH-1 of cotton)
कपास की एएएच-1 (AAH-1) जल्द तैयार होने वाली किस्म है। यदि बात की जाए इससे प्राप्त होने वाले उत्पादन की तो इस किस्म से किसान प्रति हैक्टेयर 35 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
किसानों के बीच लोकप्रिय है कपास की बीटी किस्म (BT variety of cotton is popular among farmers)
कपास की बीटी किस्म (BT variety of cotton) किसानों के बीच काफी लोकप्रिय किस्म है। इस किस्म की खास बात यह है कि इस किस्म में इल्लियों का प्रकोप नहीं होता है। ऐसे में किसान बीटी किस्म का प्रयोग करने लगे हैं। जी.ई.सी. बीटी किस्म कपास की करीब 250 बीटी जातियां अनुमोदित हैं। बीटी कपास में बीजी-1 एवं बीजी-2 दो प्रकार की जातियां आती हैं। बीजी-1 जातियां में तीन प्रकार के डेन्डू छेदक इल्लियों जिनमें चितकबरी इल्ली, गुलाबी डेन्डू छेदक एवं अमेरिकन डेन्डू छेदक के लिए प्रतिरोधकता पाई जाती है। जबकि बीजी-2 जातियां इनके अलावा तंबाकू की इल्ली की भी रोकथाम करती है।
कैसे करें कपास की बुवाई )
कपास की खेती की फसल लगाने के लिए मिट्टी को भुरभुरा करके अच्छी तरह से तैयार कर लेना चाहिए। कपास के बीजों की बुवाई के लिए सामान्य उन्नत जातियों के 2.5 से 3.0 किलोग्राम बीज (रेशाविहीन या डिलिन्टेड) का प्रयोग करना चाहिए। वहीं बीटी जातियों का 1.0 किलोग्राम बीज (रेशाविहीन) प्रति हैक्टेयर की दर से बुवाई के लिए उपयुक्त रहता है। उन्नत जातियों में चैफुली 45 से 60 और 45 से 60 सेमी पर लगाई जाती है। इसमें भारी भूमि में 60X60, मध्य भूमि व हल्की भूमि में 60X45 दूरी पर बुवाई करनी चाहिए। वहीं संकर एवं बीटी जातियों की किस्मों में कतार से कतार की दूरी 90 से 120 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 60 से 90 सेमी रखनी चाहिए।
कैसे करें कपास की सघन खेती
जो किसान कपास की सघन खेती करना चाहते हैं उन्हें कपास की बुवाई करते समय कतार से कतार के बीच की दूरी 45 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 15 सेमी रखनी चाहिए। इस प्रकार किसान एक हैक्टेयर भूमि पर 1,48,000 पौधे लगा सकते हैं। इसमें बीज की दर 6 से 8 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर रखनी चाहिए। इससे उपज में करीब 25 से 50 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो सकती है।
किसानों को सलाह
किसानों को अपने क्षेत्र की जलवायु व मिट्टी की प्रकृति और कीट रोग की संभावना को ध्यान में रखते हुए कपास की किस्मों का चयन करना चाहिए। इसके लिए किसानों को अपने क्षेत्र के लिए अनुसंशित की गई कपास की किस्मों की ही बुवाई करनी चाहिए ताकि बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सके। अपने क्षेत्र में उगाई जाने वाली कपास की किस्म की जानकारी आप अपने क्षेत्र के निकटतम कृषि विभाग से ले सकते हैं।