हरदा जिले के खरकिया की रहने वाली प्रियल यादव की एमपीपीएससी 2021 में छठी रैंक आई है। इससे पहले 2019 और 2020 में भी उनका सिलेक्शन हो चुका है।
हम तो पैदा गांव में हुए और गांव को ही पूरी दुनिया माना। जब बच्चे स्कूल जाने लगे तो पता चला कि बेहतर पढ़ाई के लिए इन्हें शहर भेजना होगा। मन में कई सवाल थे कि पांचवीं कक्षा में पढ़ रही बेटी इंदौर में कैसे रहेगी। मन को समझाया और उसे मां के साथ पढ़ने के लिए इंदौर भेज दिया। आज वह डिप्टी कलेक्टर बनी है। गांव में हमारे घर पर बधाई देने वालों की लाइन लगी हुई है। हमारे पूरी परिवार का संघर्ष आज रंग लाया है। एमपीपीएससी 2021 (mppsc 2021) में प्रियल यादव टापर्स लिस्ट में छठे नंबर पर आई हैं। प्रियल हरदा के खरकिया गांव की रहने वाली हैं और किसान परिवार से आती हैं। यह बातें उनके पिता विजय यादव ने अमर उजाला से बातचीत में कही। विजय यादव ने बताया कि बेटी डिप्टी कलेक्टर बनी है यह जानकारी गांव में सबको लगी तो घर पर लोगों की लाइन लग गई है। मिठाई के डिब्बों से हमारा घर भर गया है। हम खरकिया में कई पुश्तों से रह रहे हैं और आसपास के कई गांव के लोग हमें कई सालों से जानते हैं।
प्रियल ने बताया कि जब छठी कक्षा में इंदौर पढ़ने आई तो सब कुछ नया था। इससे पहले कभी इतना बड़ा शहर नहीं देखा था। मां साथ में रही और 13 साल तक मेरा साथ देती रही। इतने समय वह गांव से दूर रहकर शहर में मेरी परवरिश करती रही। पिता ने गांव में अपने घर को संभाला। मेरे बाद मेरा भाई भी पढ़ने के लिए इंदौर आया और आज वह भी एमटेक कर चुका है। मैं चाहती थी कि बस मैं अपने परिवार का मान बढ़ा सकूं।
ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियों की हालत देखकर अधिकारी बनने का ठाना
प्रियल ने बताया कि कालेज में पढ़ाई के दौरान में एक एनजीओ के साथ काम करती थी। उस समय मैंने देखा कि ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियों के जीवन में अभी भी बहुत परेशानियां हैं। उनके साथ काम करते समय ही मैंने ठान लिया था कि मैं अधिकारी बनूंगी और इनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम करूंगी।
पद के लिए माता-पिता दोनों की सोच अलग
प्रियल ने हैट्रिक लगाई है। 2019,2020 के बाद 2021 की एमपीपीएससी एग्जाम में भी उनका सिलेक्शन हुआ है। प्रियल अभी डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार के पद पर इंदौर में काम कर रही हैं, जबकि एमपीपीएससी 2021 के रिजल्ट में डिप्टी कलेक्टर की पोस्ट पर सिलेक्शन हुआ है। प्रियल की मां संगीता यादव चाहती हैं कि वे डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार ही रहें क्योंकि इस पोस्ट पर फैमिली लाइफ अच्छे से मैनेज हो पाएगी। इसमें परिवार के लिए ठीक से समय मिल पाएगा वहीं पिता विजय यादव का मानना है कि डिप्टी कलेक्टर की पोस्ट से समाज में अधिक सम्मान मिलता है। लोगों से सीधे जुड़ने का मौका मिलता है और समाज में सुधार के रास्ते भी खुलते हैं। हालांकि प्रियल का मानना है कि इस विषय पर मैं बाद में सोचूंगी अभी तो मुझे रिजल्ट की खुशी मनाना है।