महिला सशक्तिकरण के लिए स्वयं सहायता समूह मॉडल को माध्यम बनाकर ग्रामीण विकास मंत्रालय ने देशभर के 10.05 करोड़ ग्रामीण परिवारों की महिलाओं को 90.87 लाख स्वयं सहायता समूहों में संगठित किया है। जानिए, ग्रामीण इलाकों और ग्रामीण आबादी के विकास के मोर्चे पर कैसा रहा साल 2024…
महिला सशक्तिकरण के लिए स्वयं सहायता समूह मॉडल को माध्यम बनाकर ग्रामीण विकास मंत्रालय ने देशभर के 10.05 करोड़ ग्रामीण परिवारों की महिलाओं को 90.87 लाख स्वयं सहायता समूहों में संगठित किया है। इस दौरान महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत पश्चिम बंगाल के लिए बजट रोके जाने और आधार भुगतान ब्रिज सिस्टम समेत राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली जैसे केंद्र के उपायों पर तीखी प्रतिक्रिया भी देखी गई है। मंत्रालय ने इन प्रतिक्रिया पर कहा कि नई प्रौद्योगिकी पर आधारित समाधान योजना में बाधा नहीं है। वहीं, मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के मुद्दे पर कहा कि बजट का आवंटन गैर अनुपालन के कारण रोका गया था।
6.7 करोड़ से अधिक ग्रामीण कामगारों को मिला रोजगार
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान वित्त वर्ष में दिसंबर की शुरुआत तक भारत में लगभग 5 करोड़ परिवारों के 6.7 करोड़ से अधिक कामगारों को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत रोजगार दिया गया है। इन कुल कामगारों में आधे से अधिक लाभार्थी महिलाएं हैं। इस योजना के तहत 198.02 करोड़ व्यक्ति-दिवस रोजगार पैदा किए गए है। बीते वित्त वर्ष यही आंकड़ा 312.24 था। योजना से जॉब कार्ड हटाए जाने पर चिंता पर मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में करीब 35.57 लाख मनरेगा जॉब कार्ड हटाए गए और 38.52 लाख नए जॉब कार्ड जारी किए गए हैं।
महिलाओं पर रहा पीएम आवास योजना का फोकस
पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के तहत बीते दो सालों में बनाए गए सभी घरों को महिला या परिवार के पुरुष और महिला सदस्य के संयुक्त नाम पर मंजूर किये गए हैं। इसी तरह महिलाओं को आर्थिक मोर्चे पर सशक्त बनाने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जोड़ने पर मंत्रालय ध्यान केंद्रित कर रहा है। ग्रामीण विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के कुल लाभार्थियों में से 27 प्रतिशत महिलाएं हैं। इन महिलाओं के पास 46 प्रतिशत घर संयुक्त स्वामित्व में हैं। एक अधिकारी ने कहा, स्वीकृत घरों में से करीब 74 प्रतिशत घरों की अकेले या संयुक्त रूप से महिलाएं मालिक हैं। वहीं, सरकार का प्लान महिला लाभार्थियों को एनआरएलएम के दायरे में भी लाने का है , जिससे इन महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा सकेगा।
एक साथ जुड़ीं आवास योजना और ग्रामीण रोजगार गारंटी
ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन एक गरीबी उन्मूलन परियोजना है। यह मिशन ग्रामीण इलाकों के गरीबों को स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में संगठित करने में मदद करती है। इसका उद्देश्य गरीबों की आय में सुधार करना है। इसी तरह केंद्र की लखपति दीदी पहल का तहत एसएचजी की महिलाओं को हर साल एक लाख रुपये कमाने में सक्षम बनाना है। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत मैदानी क्षेत्रों में घर बनाने के लिए 1.20 लाख रुपये और पूर्वोत्तर क्षेत्र सहित पहाड़ी प्रदेशों में 1.30 लाख रुपये की आर्थिक मदद की जाती है। यह योजना केंद्र की दूसरी योजना का महत्वपूर्ण बिंदु बनकर भी उभरा है। आवास योजना के तहत घर बनाने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस) के तहत 90 दिनों की कुशल मजदूरी दी जाती है। वहीं, शौचालय निर्माण के लिए स्वच्छ भारत मिशन के तहत 12,000 रुपये दिए जाते हैं।
ग्रामीणों को मिल रहा है प्रशिक्षण
ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना को रसोई गैस देने के लिए उज्ज्वला योजना, पानी के कनेक्शन के लिए जल जीवन मिशन, बिजली कनेक्शन देने और अब इसे पीएम सूर्य घर योजना के तहत भी जोड़ने का काम किया जा रहा है। इसी के साथ ग्रामीणों को राजमिस्त्री का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। आवास योजना के तहत लगभग 2.80 लाख ग्रामीण राजमिस्त्रियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। केंद्र सरकार द्वारा 2016 में लॉन्च की गई ग्रामीण आवास योजना का उद्देश्य पांच सालों में 2.95 करोड़ पक्के घरों का निर्माण था। मंत्रालय ने बताया कि लॉन्च होने के बाद से 2,67 करोड़ घरों के निर्माण का काम पूरा किया गया है। वहीं, इंदिरा गांधी आवास योजना के तहत लंबित लगभग 77 लाख घरों का निर्माण भी पूरा हो चुका है।
1.15 करोड़ से अधिक महिला एसएचजी सदस्य लखपति दीदी बनीं
31 मार्च तक अधूरे 35 लाख घरों का निर्माण भी पूरा कर लिया जाएगा। इस साल की शुरुआत में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आवास योजना के तहत दूसरे चरण में दो करोड़ और घरों के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस बीच 1.15 करोड़ से अधिक महिला एसएचजी सदस्य लखपति दीदी बन गई हैं। इन महिलाओं की सालाना आय 1 लाख रुपये से अधिक है। विश्व बैंक के समर्थन से अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव मूल्यांकन पहल द्वारा 2019-20 के दौरान किए गए दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के प्रभाव के मूल्यांकन अध्ययन से पता चला है कि एसएचजी में नामांकित महिलाओं की आय में पहले की तुलना में 19 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ अनौपचारिक लोन की हिस्सेदारी में 20 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं, बचत में 28 प्रतिशत की बढ़ोतरी रिकॉर्ड की गई है।