लीफ कर्ल वायरस और पीला मोज़ेक वायरस का प्रकोप ककड़ी, मिर्च, टमाटर जैसी फसलों में सफेद मक्खी और माहू जैसे कीटों से होता है, जिससे 70-90% तक नुकसान हो जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं फसलों में वायरस का प्रभाव, लक्षण, जैविक निंयत्रण, प्रतिरोधक किस्म, बेस्ट विषाणुनाशक दवा, प्रमुख कीटनाशक के साथ उपयोग मात्रा, समय और वायरस नियंत्रण के उपाय एवं बेस्ट टिप्स-
फसलों में लीफ कर्ल वायरस और पीला मोज़ेक वायरस बीमारी का बड़ा प्रकोप देखा जा रहा है. यह वायरल बीमारी मुख्य रूप से ककड़ी, मिर्च, टमाटर, पपीता, मूंग, उड़द, लोबिया, सोयाबीन जैसी फसलों में सफेद मक्खी और माहू जैसे रस चूसने वाले कीटों के कारण फैलती है. यह बीमारी फसलों को 70 से 90% तक नुकसान पहुंचा सकती है.
भारतअॅग्री के कृषि विशेषज्ञों के माध्यम से जानें लीफ कर्ल वायरस और पीला मोज़ेक वायरस की सम्पूर्ण जानकारी जैसे- फसलों में वायरस का प्रभाव, लक्षण, जैविक निंयत्रण, प्रतिरोधक किस्म, बेस्ट विषाणुनाशक दवा, प्रमुख कीटनाशक के साथ उपयोग मात्रा, समय और वायरस नियंत्रण के उपाय एवं बेस्ट टिप्स.
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लक्षण
- वायरस से प्रभावित पत्तियां किनारों के साथ ऊपर या नीचे की ओर मुड़ जाती हैं, जिससे वे कप के समान या सिकुड़ी हुई दिखाई देती हैं.
- पत्तियां सामान्य पत्तियों की तुलना में मोटी, चमड़े जैसी, सख्त और भंगुर हो जाती हैं.
- संक्रमित पत्तियों की शिराओं के साथ पीला पन या क्लोरोसिस दिखाई देता है.
- संक्रमित पत्तियों की शिराएं मोटी और अधिक स्पष्ट दिखाई देती है .
- संक्रमित पौधों में फूलों और फलों की संख्या कम दिखाई देती है और फल छोटे, विकृत या खराब गुणवत्ता वाले प्राप्त होते है.
- पौधों में विकास रुक जाता है, इंटरनोड्स की लंबाई कम हो जाती है, और पत्तियों का आकार बहुत छोटा हो जाता है.
कारण
यह मुख्य रूप से सफेद मक्खियों (Bemisia tabaci) द्वारा फैलता है, जो संक्रमित पौधों का रस चूसते हैं और फिर इसे स्वस्थ पौधों में फैला देते हैं. यह वायरस गर्म, उष्णकटिबंधीय जलवायु (25-30°C) में उत्पन्न होता है, जो वायरस और उसके वाहक दोनों के विकास के लिए अनुकूल होती है. यह वायरस जनित पौधों, किस्मो, खरपतवार या नियंत्रण और फसल चक्र का उपयोग न करने से ज्यादा फैलता है.
प्रभावित फसलें
- टमाटर: टमाटर की पत्तियों का मुड़ना, फलों का कम बनना और खराब गुणवत्ता.
- मिर्च: मिर्च की पत्तियों का मुड़ना, मोटा होना, और पौधों की वृद्धि रुकना.
- बैंगन: पत्तियों का मुड़ना, पीला पड़ना, और फलों की उत्पादन में कमी.
- कपास: कपास की पत्तियों का मुड़ना और पौधों की वृद्धि में कमी.
- तंबाकू: पत्तियों का विकृति और तंबाकू की गुणवत्ता में कमी.
- भिंडी: पत्तियों का मुड़ना और विकृति, जिससे पौधे की सेहत प्रभावित होती है.
- पपीता: पत्तियों का मुड़ना, फल उत्पादन में कमी और फल की गुणवत्ता में गिरावट.
- खीरा: पत्तियों का मुड़ना और विकृति, जिससे फल का विकास खराब होता है.
मोज़ेक वायरस (Mosaic Virus): मोज़ेक वायरस फसलों की पत्तियों पर पिले रंग के धब्बे दिखाई देते है जिससे फसल प्रभावित होती है. वायरस के कारन पौधों की वृद्धि में कमी और फसल की गुणवत्ता प्रभावित होती है. यह वायरस संक्रमित बीज, पौधों के अवशेष और माहू जैसे कीटों के माध्यम से फैलता है.
लक्षण
- पत्तियों पर हल्के और गहरे हरे या पीले धब्बों की संरचना बन जाती है, जिससे पत्तियां मुड़ी हुई दिखती हैं.
- वायरस से प्रभावित पत्तियां सिकुड़ी, छोटी, या फिर गहरी पिली हो जाती हैं.
- पत्तियों का पीला पड़ना आम है, जो अक्सर पत्तियों के किनारों से शुरू होता है और अंदर की ओर फैलता है.
- पौधे में विकास और उत्पादकता में कमी होती है, पत्तियों का आकार छोटा और फल कम होते हैं.
- संक्रमित पौधों में उपज कम हो जाती है और फूल और फल खराब दिखाई देते हैं.
कारण
मोज़ेक वायरस (Mosaic Virus): मोज़ेक वायरस इसमें तंबाकू मोज़ेक वायरस (TMV) और ककड़ी मोज़ेक वायरस (CMV) शामिल हैं. यह वायरस विभिन्न तरीकों से फैलता है, जैसे कीट वाहक (माहू ) और यांत्रिक विधियों से. यह वायरस कई पौधों को संक्रमित करता है, जिससे पत्तियों पर पिले रंग के धब्बे दिखाई देते है और फसल की गुणवत्ता में कमी होती है. यह वायरस दूषित उपकरण, वायरस से प्रभावित पौधों, और मिट्टी के माध्यम से फैल सकता है. मोज़ेक वायरस विभिन्न जलवायुओं में व्यापक रूप से पाया जाता है और यह खराब प्रतिरोध वाली फसलों में विशेष रूप से हानिकारक हो सकता है.
प्रभावित फसलें
- टमाटर: पत्तियों का पीला और छोटा होना और फलों की उपज में कमी.
- खीरा: पत्तियों का आकर विकृति, जिससे फल की गुणवत्ता पर असर पड़ता है.
- कद्दू: पत्तियों का झाड़ीनुमा होना और फल की गुणवत्ता में गिरावट.
- बीन्स: पत्तियों का पीला होना, फूलों की सेटिंग में कमी और फली बनने में कमी.
- तंबाकू: पत्तियों का सिकुड़ना और विकृति, जिससे तंबाकू की गुणवत्ता पर असर पड़ता है.
- पपीता: पत्तियों का मुड़ना, पौधों का छोटा होना और फल की गुणवत्ता में कमी.
- भिंडी: पत्तियों का पीला पड़ना, पौधे की वृद्धि में कमी और फल की संख्या और आकार में कमी.
वायरस का रोकथाम और नियंत्रण के उपाय:
- सफेद मक्खियों का प्रबंधन: सफेद मक्खियों को नियंत्रित करने के लिए नियमित रूप से निरीक्षण करें और कीटनाशक, नीम का तेल, और चिपचिपे ट्रैप्स का उपयोग करें.
- प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग: फसलों की प्रतिरोधी किस्में चुनें और लगाएं.
- फसल स्वच्छता बनाए रखें: संक्रमित पौधों को तुरंत हटाकर नष्ट कर दें.
- फसल चक्र का पालन करें: हर साल फसलों का चक्र बदलें ताकि मिट्टी में वायरस और उसके वाहक का संचय न हो.
- सफाई और स्वच्छता: कृषि उपकरणों, सिचाई प्रणाली और कंटेनरों को साफ और सैनिटाइज करें.
- खरपतवार का नियंत्रण: खरपतवारों का प्रबंधन करें जो वायरस और उसके वाहक के लिए रिज़र्वायर का काम कर सकते हैं.
- बीज उपचार: बीजों को फफूंदनाशक या अन्य अनुशंसित उपचारों के साथ उपचारित करें.
- पौधों का उचित अंतराल: पौधों के बीच पर्याप्त अंतराल रखें.
वायरस के नियंत्रण के लिए बेस्ट विषाणुनाशक दवा :
प्रोडक्ट का नाम | कंटेंट | कंपनी का नाम | मात्रा / एकड़ |
नो वायरस | बोटैनिकल एक्सट्रैक्ट | जिओलाइफ | 500 मिली. |
वायरस जी | सैलिसिलिक एसिड | कटरा | 100 मिली. |
मैजिक वाइरोक्स प्लस | बोटैनिकल एक्सट्रैक्ट | इनफिनाइट बायोटेक | 500 मिली. |
वाइरोप्रेज | बोटैनिकल एक्सट्रैक्ट | जेयू एग्रो | 300 मिली. |
एरेना गोल्ड | बोटैनिकल एक्सट्रैक्ट | पाटिल बायोटेक | 200 ग्राम |
वाइरो बैन | बोटैनिकल एक्सट्रैक्ट | आनंद एग्रो | 500 मिली. |
वायरस के नियंत्रण के लिए बेस्ट कीटनाशक:
कंटेंट | मात्रा / एकड़ |
थायोमेथोक्सम 25% WG | 100 ग्राम |
इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL | 100 मि.ली. |
फिप्रोनिल 5% SC | 400 मि.ली. |
फ्लोनिकामाइड 50% WG | 60 ग्राम |
नोट – वायरस के नियंत्रण के लिए किसी एक विषाणुनाशक और एक कीटनाशक को एक साथ मिलकर फसल में छिड़काव करें.
सारांश :
- लीफ कर्ल वायरस और पीला मोज़ेक वायरस विभिन्न फसलों के लिए गंभीर खतरा हैं, जो उपज में महत्वपूर्ण कमी का कारण बन सकते हैं.
- इन वायरल रोगों का प्रमुख वाहक सफेद मक्खियाँ और माहू कीट हैं.
- इन रोगों के लक्षणों में पत्तियों का मुड़ना, पत्तियों पर पिले रंग के धब्बे, और पौधों की वृद्धि में कमी है.
- उचित रोकथाम और जैविक वाइरिसाइड्स का उपयोग इन वायरस का प्रबंधन करने में सहायक है.
- किसानों को इन उपायों को अपनाकर पत्ती मुड़ने वाले वायरस और मोज़ेक वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए एकीकृत कीट प्रबंधन पद्धतियों को अपनाना चाहिए.
अक्सर पूछे जानें वाले प्रश्न :
लीफ कर्ल वायरस क्या है?
उत्तर – लीफ कर्ल वायरस एक वायरस है जो टमाटर, मिर्च, और कपास जैसी फसलों की पत्तियों को मोड़ देता है.
पीला मोज़ेक वायरस क्या है?
उत्तर – पीला मोज़ेक वायरस एक रोग है जो फसलों की पत्तियों पर पिले धब्बे बनाता है, जिससे फसल की गुणवत्ता प्रभावित होती है.
लीफ कर्ल वायरस के लक्षण क्या हैं?
उत्तर – इस वायरस से पत्तियां मुड़ जाती हैं, मोटी हो जाती हैं, और पौधों की वृद्धि रुक जाती है.
पीला मोज़ेक वायरस के लक्षण क्या हैं?
उत्तर – मोज़ेक वायरस से पत्तियों पर पिले और हरे धब्बे बन जाते हैं, जिससे पत्तियां विकृत और छोटी हो जाती हैं.
लीफ कर्ल वायरस कैसे फैलता है?
उत्तर – यह सफेद मक्खियों (Bemisia tabaci) द्वारा फैलता है जो संक्रमित पौधों का रस चूसते हैं.
पीला मोज़ेक वायरस कैसे फैलता है?
उत्तर – यह माहू जैसे कीटों और संक्रमित बीजों के माध्यम से फैलता है.
लीफ कर्ल वायरस से कौनसी फसलें प्रभावित होती हैं?
उत्तर – टमाटर, मिर्च, कपास, पपीता, और भिंडी जैसी फसलें इस वायरस से प्रभावित होती हैं.
पीला मोज़ेक वायरस से कौनसी फसलें प्रभावित होती हैं?
उत्तर – टमाटर, खीरा, कद्दू, तंबाकू, और भिंडी जैसी फसलें इस वायरस से प्रभावित होती हैं.
लीफ कर्ल और मोज़ेक वायरस को कैसे नियंत्रित करें?
उत्तर – सफेद मक्खियों का प्रबंधन, प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग, और जैविक वाइरिसाइड्स का छिड़काव करें.
वायरस के नियंत्रण के लिए कौन सी दवा सबसे प्रभावी है?
उत्तर – नो वायरस (500 मि.ली.) और अरेवा कीटनाशक (100 ग्राम) का एक साथ उपयोग सबसे प्रभावी होता है.