पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान : जानें कब, कैसे और किस प्रक्रिया का करें इस्तेमाल

0
78

किसानों व पशुपालकों के लिए पशुपालन सबसे मुनाफे का बिजनेस है, इस व्यवसाय को शुरू करके किसान कम समय में ही अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं. ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्रों में तक पशुपालन का बिजनेसतेजी से बढ़ रहा है. वहीं, सरकार के द्वारा भी इस व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए तमाम प्रयास कर रही है. ताकि किसान व पशुपालन अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार कर सके. पशुपालन से अधिक कमाई के लिए वर्तमान समय में पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान की तकनीक को बहुत अपनाया जा रहा है.अब आप सोच रहे होंगे की यह क्या है और कैसे काम करती है. इससे पशुपालन के बिजनेस पर क्या असर पड़ता है. आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं…

कृत्रिम गर्भाधान क्या है

कृत्रिम गर्भाधान एक ऐसी कला है, जिसमें सांड से वीर्य लेकर उसको विभिन्न क्रियाओं के जरिए संचित किया जाता है. यह वीर्य तरल नाइट्रोजन में कई वर्षों तक सुरक्षित रखा जा सकता है. बता दें कि संचित किए हुए वीर्य को मद में आई मादा के गर्भाशय में रखने से मादा पशु का गर्भाधान किया जाता है. गर्भाधान की इस क्रिया को कृत्रिम गर्भाधान कहते हैं.  इस प्रक्रिया को बहुत ही तेजी से अपनाया जा रहा है.

कृत्रिम गर्भाधान के लाभ

  • श्रेष्ठ नस्ल व गुणों वाले सांड के वीर्य को भी गाय व भैंसों में प्रयोग करके भी उठाया जा सकता है.
  • इस विधि में उत्तम गुणों वाले बूढ़े या असहाय सांड का प्रजनन किया जा सकता है.
  • इसके द्वारा श्रेष्ठ व अच्छे गुणों वाले सांड को अधिक उपयोग किया जा सकता है.
  • इसमें एक सांड द्वारा एक वर्ष में 60–70 गाय या भैंस को गर्भित किया जा सकता है, लेकिन कृत्रिम गर्भाधान विधि द्वारा एक सांड के वीर्य से एक वर्ष में हजारों गायों या भैंसों को गर्भित किया जा सकता है.
  • अच्छे सांड के वीर्य को मृत्यु के बाद भी प्रयोग कर सकते हैं.
  • इस विधि में धन और श्रम दोनों की अच्छी बचत होती है.
  • इसके अलावा पशुपालकों को सांड पालने की आवश्यकता भी नहीं होती है.
  • इस विधि में नर से मादा तथा मादा से नर में फैलने वाले संक्रामक रोगों से बचा जा सकता है.
  • कृत्रिम गर्भाधान के दौरान कुछ जरूरी सावधानियां
  • मद चक्र लैंगिक रूप से वयस्क में होनी चाहिए
  • कृत्रिम गर्भाधान से पहले गन को अच्छी तरह से लाल दवाई से साफ करें.
  • वीर्य को गर्भाशय द्वार के अंदर छोड़ दें.
  • कृत्रिम गर्भाधान गन प्रवेश करते समय ध्यान रखें, कि यह गर्भाशय हार्न तक नहीं पहुंच सके.
  • गर्भाधान के लिए कम से कम 10–12 मिलियन सक्रिय शुक्राणु जरूरी होते हैं.
  • आपको सभी पशुपालक कृत्रिम गर्भाधान संबंधित रिकार्ड रखना चाहिए.
  • कृत्रिम गर्भाधान की विधि की सीमाएं

इस विधि को अपने के लिए कुछ सीमाएं भी होती है. इसके लिए प्रशिक्षित पशु चिकित्सक की आवश्यकता होती है तथा तकनीशियन को मादा पशु प्रजनन अंगों की जानकारी होना आवश्यक है. इसके साथ ही उन्हें विशेष उपकरणों की भी आवश्यकता होती है. इस प्रक्रिया के दौरान सफाई का विशेष तौर पर ध्यान रखना होता है. वरना गर्भधारण देरी में कमी आ जाती है और कई संक्रामक बीमारियां होने की संभावना हो सकती है.