सोयाबीन फसल के लिए डीएपी खाद ज्यादा बेहतर है या एनपीके

0
20

 मध्यप्रदेश सहित पूरे भारत में मानसून ने दस्तक दे दी है। इसी के साथ ही खरीफ सीजन की भी शुरुआत हो चुकी है। खरीफ सीजन में मुख्य रूप से  सोयाबीन की खेती की जाती है। फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए किसान खाद एवं उर्वरक का इस्तेमाल करते है। खाद एवं उर्वरक में भी सबसे ज्यादा यूरिया, डीएपी एवं एनपीके का इस्तेमाल किया जाता है।

कई बार किसान गलत खाद/उर्वरक एवं अंधाधुंध उपयोग करते है, इसी कारण खेती में फसलों का उत्पादन प्रभावित होता है। किसानों को यह पता नहीं रहता है कि रबी एवं खरीफ सीजन की फसलों के दौरान कौन-कौन सा रासायनिक खाद किस फसल के लिए उपयुक्त होता है। ऐसे में रासायनिक उर्वरक डालने से खेती की लागत बढ़ जाती है, लेकिन उत्पादन लागत के अनुरूप नहीं हो पाता है।

क्या  सोयाबीन की फसल में डीएपी की जगह एनपीके का उपयोग कर सकते है। किसान दूसरों के द्वारा बताई गई जानकारी के अनुसार कभी भी कुछ भी अपनी फसलों में डाल देता है, जिससे कि फसलों को बहुत नुकसान होता है। किसानों को इस बात की पूरी जानकारी होनी चाहिए की, वह जो खाद-उर्वरक इस्तेमाल कर रहे है, वह उनकी फसल के लिए बेहतर है या नही? आइए जानते है क्या कहते है कृषि विशेषज्ञ…

पहले यह जानें, डीएपी तथा एनपीके में क्या है अंतर

Fertilizer for Soybean कई बार ऐसा होता है की किसान अपने खेत की मिट्टी को समझ नहीं पाता है और दूसरों के द्वारा जो खाद बता दिया जाता है, वह खाद अपने खेतों में डाल देते है। अधिकतर किसानों को यह नही पता होगा कि, डीएपी (DAP) तथा एनपीके (NPK) में क्या अंतर है एवं इन्हें कब व कितना कितना उपयोग में लेना चाहिए। बता दे की, दोनों ही उर्वरक अलग-अलग पोषक तत्व को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।

खेती किसानी के कार्यों में डीएपी एवं एनपीके दोनों का इस्तेमाल किया जाता है। सबसे पहले बात करते है डीएपी खाद की, तो इसमें फसलों को 2 प्रकार के पोषक तत्व मिलते हैं, 18 % नाइट्रोजन और 46 % फास्फोरस मिलता है। वही एनपीके खाद की बात करें तो इसमें 3 प्रकार के पौषक तत्व पाए जाते है: नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम।

क्या  सोयाबीन में डीएपी की जगह एनपीके खाद डाल सकते है?

जैसा कि हमने ऊपर देखा की, डीएपी जिसमे सिर्फ 2 प्रकार के पौषक तत्व (नाइट्रोजन एवं फास्फोरस) पाए जाते है। वही एनपीके में 3 प्रकार के पौषक तत्व (नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटेशियम) पाए जाते है। इसी प्रकार देखा जाए तो डीएपी की तुलना में एनपीके पौधे को ज्यादा पौषक तत्व प्रदान करता है। Fertilizer for Soybean

इसलिए किसानों को डीएपी की जगह एनपीके का इस्तेमाल करना चाहिए। यह उर्वरक अलग अलग रेश्यो में उपलब्ध हो सकते है। लेकिन यह ध्यान देने वाली बात है की, यदि आपकी मिट्टी का परीक्षण किया गया है ओर पोटेशियम की कमी नहीं देखने को मिलती है तो, फिर फसल में डीएपी का ही इस्तेमाल कर सकते है।

डीएपी खाद क्या है?

डाय अमोनियम फास्फेट जिसे हम सामान्य भाषा में डीएपी (DAP) कहते है। इस खाद की खोज 1960 में की गई थी तब से लेकर अब तक इस खाद का प्रयोग किया जाता है। डीएपी (DAP) में 18% नाइट्रोजन होता है, जिसमें 15.5 प्रतिशत अमोनियम नाइट्रेट होता है, तथा 46% फास्फोरस होता है, जिसमें से 5 % का फास्फोरस पानी में घुलनशील होता है।

डीएपी खाद के उपयोग यह है?

Fertilizer for Soybean डीएपी खाद का उपयोग धान की फसल में कल्ले बढ़ाने में बहुत आवश्यक होता है। पौधों को अपने संपूर्ण काल में 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जिसमें नाइट्रोजन और फास्फोरस होते हैं। डीएपी खाद मिट्टी में मिल कर पानी कि उपस्थिति में मिट्टी में घुल जाती है, और पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करती है।

डीएपी खाद फसलों की जड़ों का विकास करती है, जैसे आपने कोई फसल बोई है और उसमें यह खाद डाली है तो यह खाद Fertilizer for Soybean पौधों की जड़ों एवं कोशिकाओं का विभाजन करता है। जैसे किसी पौधे की शाखाएं बढ़ रही है तो यह उस पौधे की जड़ों को मजबूती प्रदान करता है। आमतौर पर फसले 130 से 140 दिनों की होती है, ऐसे में DAP 120 दिनों तक अच्छा कार्य कर सकती है। ऐसे में अगर आप किसी फसल में एक बार यह डाल देते हैं, तो आपको दोबारा से डालने की आवश्यकता नहीं होती है।एनपीके खाद क्या है?

पौधों में अक्सर दो तरह के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जैसे मैक्रो तत्व (Macro Nutrients) जो कि पौधों को अधिक मात्रा में चाहिए होता है, और दूसरा सूक्ष्म तत्व (Micro Netrients) वह जो पौधों को काफी कम मात्रा में आवश्यक होते हैं। एनपीके का फुल फॉर्म कुछ इस तरह से है :-

  • N – नाइट्रोजन, जो कि पौधे के हरे भाग यानी पत्तियों के विकास के लिए आवश्यक होता है।
  • P – फास्फोरस, जो पौधे के फल और फूल बनने के लिए आवश्यक होता है।
  • K – पोटेशियम, जो पौधे के जड़ तना के विकास के लिए आवश्यक होता है। :
  • एनपीके की कमी से क्या होता है ?

NPK खाद की कमी से पौधों का विकास रुक जाता है, जिससे पौधों की पत्तियां पीली पड़ जाती है और उनके फूल एवं फल का भी विकास रुक जाता है तथा उनका तना कमजोर होकर मुरझा जाता है। ऐसी स्थिति में आपकी फसलों को एनपीके खाद की बहुत आवश्यकता होती है, जिससे कि उन्हें वे सभी पोषक तत्व मिल सके जो उन्हें आवश्यक हो।

NPK का Ratio क्या है?

Fertilizer for Soybean एनपीके के ratio के द्वारा हम पता कर सकते हैं, कि आपके खाद में कितने प्रतिशत कौन से तत्व हैं, जो कि आप की फसलों के लिए आवश्यक एवं सही है।

1-1-1 Ratio का मतलब – आपके खाद में नाइट्रोजन फास्फोरस और पोटेशियम तीनों ही बराबर मात्रा में इस तरह के खाद का उपयोग आप सभी पौधों के विकास के लिए कर सकते हैं।

1-2-1 Ratio का मतलब – आपके खाद में नाइट्रोजन और पोटेशियम बराबर मात्रा में तथा फास्फोरस थोड़ी सी अधिक मात्रा में उपलब्ध हो जिससे कि पौधों की जड़ों के विकास के लिए यह उपयुक्त माना गया है। Fertilizer for Soybean

  • फूल एवं फलों के विकास के लिए 1-2-2 या 1-1-2 का Ratio होना चाहिए।
  • पतियों के विकास के लिए 2-1-1 या 3-1-1 का Ratio होना चाहिए।