बासमती चावल के एक्सपोर्ट में भारत का दबादबा कायम 

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बासमती चावल के एक्सपोर्ट से भारत ने की 48389 करोड़ रुपये की कमाई. भारतीय बासमती का सबसे बड़ा आयातक बना सऊदी अरब है, जहां हमने इस साल 10.98 लाख मीट्र‍िक टन बासमती बेचकर 10391 करोड़ रुपये कमाए हैं. ईयू में म‍िले जीआई टैग तो और बढ़ सकती है कमाई. 

अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाक‍िस्तान द्वारा बाधा बनने के बावजूद राइस क्वीन कहे जाने वाले भारतीय बासमती चावल के एक्सपोर्ट का र‍िकॉर्ड बन गया है. कमाई के मामले में बात करें तो एक साल में ही 25.61 फीसदी का उछाल आया है. पूरी दुन‍िया में भारत के बासमती चावल की खुशबू फैल रही है और इससे हम डॉलर कमा रहे हैं. बासमती चावल अब भारत से एक्सपोर्ट होने वाले कृष‍ि उत्पादों में सबसे ऊपर हो गया है, यानी एग्री प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट से हुई कमाई में इसकी सबसे ज्यादा ह‍िस्सेदारी हो गई है. पाक‍िस्तान यूरोपीय यून‍ियन में भारत के बासमती चावल का जीआई टैग लेने का व‍िरोध कर रहा है वरना हमारा एक्सपोर्ट 50 हजार करोड़ के पार चला गया होता. 

दुन‍िया में दो ही देश बासमती चावल का उत्पादन करते हैं, ज‍िसमें भारत पहले और पाक‍िस्तान दूसरे नंबर पर है. भारत में 95 ज‍िलों में इसकी खेती होती है, जबक‍ि पाक‍िस्तान में 14 ज‍िले ही इसके दायरे में आते हैं. पाक‍िस्तान की तमाम कोश‍िशों के बावजूद भारतीय बासमती की व‍िश्वसनीयता सबसे ज्यादा है. यहां तक क‍ि तमाम मुस्ल‍िम देशों में भी भारतीय बासमती को ही सबसे ज्यादा पसंद क‍िया जाता है. आयातकों की सूची देखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. 

क‍ितनी बढ़ी कमाई 

डायरेक्टरेट जनरल ऑफ़ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टैटिस्टिक्स (DGCIS) के मुताब‍िक साल 2023-24 में भारत ने अकेले बासमती चावल को न‍िर्यात करके 48389.2 करोड़ रुपये की कमाई की है. जबक‍ि 2022-23 में इसके न‍िर्यात से हमने 38524.1 करोड़ रुपये ही कमाए थे. यानी एक ही साल में बासमती चावल के एक्सपोर्ट में 9865.1 करोड़ रुपये का उछाल आया है. 

क‍ितना बढ़ा एक्सपोर्ट 

डीजीसीआईएस के अनुसार अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक भारत ने दुन‍िया के 100 से अध‍िक देशों को 52,42,511 मीट्र‍िक टन बासमती चावल का एक्सपोर्ट क‍िया. इतना बासमती चावल कभी भी एक्सपोर्ट नहीं क‍िया गया था. अगर इससे पहले साल यानी अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक की बात करें तो हमने 45,60,762 मीट्र‍िक टन बासमती चावल अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचा था. यानी एक साल में ही 6,81,749 मीट्र‍िक टन अध‍िक चावल एक्सपोर्ट क‍िया गया. वो भी तब जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कदम-कदम पर हमारा व‍िरोध करने के ल‍िए पाक‍िस्तान खड़ा रहता है. भारत अपनी व‍िश्वसनीयता के बल पर एक्सपोर्ट बढ़ा पा रहा है. 

क‍ितना रहा दाम 

  • साल 2023-24 में भारत ने औसतन 1113 यूएस डॉलर प्रत‍ि टन पर बासमती चावल को एक्सपोर्ट क‍िया.
  • वर्ष 2022-23 में हमने 1050 डॉलर प्रत‍ि टन के औसत भाव पर बासमती का एक्सपोर्ट क‍िया था. 
  • इसका मतलब हमने 2023-24 के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रत‍ि टन 63 डॉलर अध‍िक दाम पर सौदा क‍िया. 
  • अलग-अलग देशों में बासमती चावल को हम अलग-अलग रेट पर न‍िर्यात करते हैं. 
  • भारत ने सबसे ज्यादा 1966 डॉलर प्रत‍ि टन पर उरुग्वे को बासमती चावल बेचा. 
  • दाम के मामले में दूसरे नंबर पर स्लोवान‍िया रहा, जहां से हमने 1752 डॉलर प्रत‍ि टन पर सौदा क‍िया.  
  • हालांक‍ि, इन दोनों देशों में भेजे जाने वाल चावल की मात्रा बहुत थोड़ी थी. 
  • कहां हुआ ज्यादा एक्सपोर्ट 
  • इराक में भारतीय बासमती चावल का एक्सपोर्ट सबसे ज्यादा बढ़ा है.
  • साल 2023-24 में भारत ने इराक को 8,24,779 मीट्र‍िक टन चावल बेचकर 7349.5 करोड़ रुपये कमाए.
  • एक साल 2022-23 में यह स‍िर्फ 364068 मीट्र‍िक टन और 3031.9 करोड़ रुपये ही था.
  • भारतीय बासमती का सबसे बड़ा आयातक सऊदी अरब है.
  • सऊदी अरब में हमने इस साल 10,98,039 मीट्र‍िक टन बासमती बेचकर 10391.1 करोड़ रुपये कमाए. 
  • अमेर‍िका में बासमती चावल का एक्सपोर्ट रुपये के ल‍िहाज से 31.56 फीसदी बढ़ गया है.
  • साल 2023-24 में भारत ने अमेर‍िका को 2526.7 करोड़ रुपये का बासमती चावल बेचा है. 
  • पाक‍िस्तान की बाधा 

यूरोपीय यून‍ियन (ईयू) में बासमती का जीआई टैग लेने पर भारत के सामने पाक‍िस्तान बाधा डाल रहा है. जबक‍ि हकीकत तो यह है क‍ि उसने हमारी कई क‍िस्मों को चुराकर अपने यहां खेती की हुई है. पाक‍िस्तान के व‍िरोध की वजह से यूरोपीय यून‍ियन भारत को बासमती चावल का जीआई टैग देने में आनाकानी कर रहा है. भारत ने जुलाई 2018 में जीआई टैग के लिए यूरोपीय यून‍ियन में आवेदन किया था. 

ईयू अब चाहता है कि भारत और पाकिस्तान दोनों देश संयुक्त रूप से बासमती चावल के जीआई टैग की मांग करें. लेकिन भारत सरकार ने इस तरह के सुझावों को स‍िरे से खार‍िज कर द‍िया है. कुछ बाजार व‍िशेषज्ञों का मानना है क‍ि ईयू में जीआई टैग म‍िलने के बाद 4 लाख मीट्र‍िक टन से अध‍िक बासमती चावल का निर्यात बढ़ाने में मदद मिल सकती है, ज‍िसका भारतीय क‍िसानों को बड़ा फायदा होगा. बहरहाल, पाक‍िस्तान के व‍िरोध के बावजूद पूरी दुन‍िया में बासमती का बादशाह तो भारत ही है.