ग्लोबल वॉर्मिंग और खराब मौसम की वजह से कश्मीर में सेब की पैदावार पर असर

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ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से गर्मी के मौसम में भी बढ़ोतरी हुई है जिसका प्रभाव सेब उत्पादन पर देखा जा रहा है. उत्तरी कश्मीर के शोपियां जिले के एक सेब किसान लतीफ मलिक ने बताया कि जिले की 95 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सेब की फसल से जुड़ी है और सेब की फसल जिले के किसानों की आय का मुख्य स्रोत है.

कश्मीर में किसान आजकल सेब की कटाई में व्यस्त हैं, लेकिन उत्पादन में कमी को लेकर बहुत चिंतित हैं. इस साल सेब उत्पादन में 10 फीसदी की कमी आने का अनुमान है. यह कमी 2.05 लाख मीट्रिक टन तक रह सकती है. 2023 में सेब का उत्पादन 21.46 लाख मीट्रिक टन रहा था. किसानों का मानना ​​है कि उत्पादन में गिरावट कई कारणों से है, जिसमें मौसम में अचानक गड़बड़, बिना मौसम वसंत का आना, ओलावृष्टि और घाटी में लंबे समय तक सूखा पड़ना शामिल है.

ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से गर्मी के मौसम में भी बढ़ोतरी हुई है जिसका प्रभाव सेब उत्पादन पर देखा जा रहा है. उत्तरी कश्मीर के शोपियां जिले के एक सेब किसान लतीफ मलिक ने ‘इंडिया टुडे’ को बताया कि जिले की 95 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सेब की फसल से जुड़ी है और सेब की फसल जिले के किसानों की आय का मुख्य स्रोत है.

कहते हैं किसान

‘हम कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिनमें अप्रत्याशित मौसम की स्थिति, खेती की बढ़ती लागत और बाजार में सेब की फसल की कम मांग’ शामिल हैं. लतीफ मलिक ने कहा कि कई किसान घाटी में अपनी सेब की फसल के लिए सरकार से फसल बीमा और न्यूनतम समर्थन मूल्य की भी मांग करते हैं. सामान्य रूप से बागवानी क्षेत्र और विशेष रूप से सेब उत्पादन जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और जम्मू-कश्मीर की 60 प्रतिशत आबादी के लिए प्रमुख स्रोत है.

कश्मीरी सेब की खासियत

कश्मीरी सेब का देश-दुनिया में नाम है और इससे किसानों को अच्छी आमदनी मिलती है. लेकिन हाल के दिनों में यह आमदनी कम होती जा रही है. कश्मीरी सेब लाल रंग के और चिकने छिलके वाले सेब होते हैं जो क्वालिटी और स्वाद के मामले में बेहतरीन होते हैं. इसके कुरकुरे, मीठे और रसीले स्वाद खरीदारों को बेहद पसंद आते हैं. यही वजह है कि इसका दाम किसानों की अच्छी कमाई कराता है. कश्मीरी सेब विटामिन सी, फाइबर, फ्लेवोनोइड्स और एंटीऑक्सीडेंट का एक अच्छा स्रोत है.

कश्मीरी सेब की तुलना हमेशा शिमला सेब से की जाती है. विटामिन सी और फाइबर से भरपूर शिमला सेब रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) को बढ़ाता है, पाचन में सहायता करता है और सर्दी और संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीऑक्सीडेंट देता है. जबकि कश्मीर घाटी से आने वाला सेब असाधारण रूप से स्वादिष्ट, रसदार और छूने में नाज़ुक होता है. अन्य सेबों की तुलना में इसका रंग हल्का लाल होता है.