अक्षय कुमार और जूही चावला की फिल्म ‘मिस्टर एंड मिसेज खिलाड़ी’ का एक गाना है, ‘जब तक रहेगा समोसे में आलू…’, इस गाने में एक सच बात कही गई है कि आलू और समोसे का साथ रहना शाश्वत है. भारत में ये दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, ऐसे में सोचिए किसी वजह से आपके समोसे से आलू ही गायब हो जाए, तो क्या होगा?जनाब, इस साल हीटवेब आपके समोसे से आलू गायब करा सकती है. हो सकता है कि उसकी जगह आपको कच्चे केले या कद्दू से काम चलाना पड़े. चलिए समझते हैं पूरी बात…
जनाब, इस साल हीटवेब की वजह से ये घटना सच में भी तब्दील हो सकती है, क्योंकि हीटवेब की वजह से इस बार आलू की कीमतें काफी ऊंचाई पर पहुंचने की आशंका नजर आ रही है. इतना ही नहीं समोसे में आलू की जगह आपको कद्दू या कच्चा केला मिलेगा या नहीं, इसके बारे में भी निश्चित तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता है, क्योंकि बाकी सब्जियों की कीमत भी ऊंचाई पर पहुंच सकती है.
सब्जी मंडियों के ये हैं हाल
एशिया की सबसे बड़ी सब्जी मंडी आजादपुर में बीते कुछ दिनों में टमाटर की कीमत जहां 40 प्रतिशत तक नीचे आई हैं. टमाटर की कीमत में इसलिए कमी आई है क्योंकि हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब से आवक बढ़ी है. वहीं आलू के भाव अब भी ऊपर बने हुए हैं.
ट्रेडर्स के हवाले से ईटी की एक खबर में कहा गया है कि आलू की कीमतों में मजबूती देखी गई है और आने वाले कुछ दिनों में इसकी कीमत 5 से 10 प्रतिशत और बढ़ सकती है. आलू की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह बेमौसम बारिश से फसल को नुकसान पहुंचना है.
जबकि मार्केट में आलू की खेप को कोल्ड स्टोरेज से भी इस तरह रिलीज किया जा रहा है कि नई फसल आने तक घरेलू डिमांड को पूरा किया जा सके. इससे भी कीमतें चढ़ी हुईं हैं. ऐसे में आलू की नई फसल दिसंबर तक बाजार में आएगी और इसके चलते आलू की कीमतें सालभर ऊंचे स्तर पर बनी रह सकती हैं.
चुनाव बाद बदल सकते हैं हालात
देश के सबसे बड़े आलू उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में ट्रेडर्स का कहना है कि सरकार ने भी आलू की कीमतों को नियंत्रण में लाने के लिए कोल्ड स्टोरेज की पड़ताल शुरू कर दी है. अधिकारी देख रहे हैं कि कहीं कोल्ड स्टोरेज मालिक जानबूझकर तो स्टॉक को नहीं रोक रहे हैं. वहीं चुनाव बाद इस काम में तेजी आ सकती है और पूरे राज्य में आलू की आवक की निगरानी की जा सकती है.
महंगी हो रही वेज थाली
हाल में क्रिसिल मार्केट इंटेलीजेंस एंड एनालिटिक्स रिसर्च ने एक रिपोर्ट में कहा था कि लोगों की घर की वेजेटेरियन थाली की कीमत बढ़ रही है. अप्रैल में इसकी कीमत पिछले साल के मुकाबले 8 प्रतिशत बढ़ चुकी है. जबकि नॉन-वेज थाली की कीमत घट रही है. इसमें 4 प्रतिशत तक की कमी आई है. ये सीधे तौर पर सब्जियों के दाम बढ़ने की ओर इशारा करता है.इसी तरह मंगलवार को आए थोक महंगाई के आंकड़ों में भी महंगाई बढ़ने की बड़ी वजह सब्जियों की बढ़ती कीमत को बताया गया है. अप्रैल में फूड प्राइस इंफ्लेशन जहां सिर्फ 7.74 प्रतिशत रही है. वहीं सब्जियों के थोक रेट में हुई बढ़ोतरी की दर 23.60 प्रतिशत रही है.