नव वर्ष 2025 कई उम्मीदों के साथ आने वाला है। खेती किसानी के लिहाज से 2024 कई उतार चढ़ाव वाला रहा।2024 में किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। मौसम की प्रतिकूलता के कारण खेती से पैदावार कब हुई।किसानों को सबसे अधिक परेशानी इस बात की हुई की फसलों के दाम सही नहीं मिले।
यही कारण रहा कि यह वर्ष किसान आंदोलनों वाला रहा। सबसे बड़ी बात यह है कि इस वर्ष पंजाब, हरियाणा के पश्चात मध्य प्रदेश में भी बड़े स्तर पर किसान आंदोलन हुए। दूसरी ओर 2024 में सरकार ने किसानों के हित में छोटी-छोटी घोषणाएं की।वर्ष-2024 में खेती किसानी के संबंध में कुछ उल्लेखनीय उपलब्धियां भी रही। नव वर्ष 2025 से किसानों को क्या उम्मीदें हैं एवं खेती किसानी के क्षेत्र में आगे क्या संभावनाएं हैं आईए जानते हैं..
वर्ष भर छाया रहा MSP का मुद्दा
New Year 2025 | फरवरी 2024 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर बड़ी बहस शुरू हुई। किसान आंदोलन अपने चरम पर पहुंचा। किसानों की मांग है कि सभी फसलों पर स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के अनुसार MSP लागू हो।सरकार स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के अनुसार एसपी देने पर विचार नहीं कर रही। इसके बाजार सरकार ने 18 जून 2024 को 14 फसलों का नया MSP तय कर दिया। फसलों का यह समर्थन मूल्य पिछले वर्ष की तुलना में 10% अधिक है। यही कारण है कि किसान आंदोलन अभी भी पंजाब और हरियाणा में चल रहा है।
MSP वाले मामले में क्यों बच रही सरकार
New Year 2025 | क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के रिसर्च के अनुसार यदि सरकार MSP वाली सभी 23 फसलों का पूरा उत्पादन खरीद लेती है तो सरकारी खजाने पर इसका गहरा प्रभाव होगा। ये बहुत ही भारी खर्च होगा। यदि ये भी मान लें कि सरकार केवल मंडियों से उन्हीं फसलों को खरीदेगी, जिनकी खरीदी MSP के नीचे होती है, तो भी सरकार को गंभीर वित्तीय भार पड़ेगा।
एजेंसी के रिसर्च में MSP वाली 23 में से 16 फसलों को ही शामिल किया गया है। यह वो फसलें हैं, जिनकी कुल उत्पादन में 90% हिस्सेदारी है। अगर MSP की गारंटी को लागू किया जाता है, तो हो सकता है सरकार को डिफेंस बजट कम करना होगा अथवा सरकार को टैक्स बहुत ज्यादा बढ़ाना पड़ेगा। यही कारण है कि सरकार इसे लागू करने से बच रही है।
मध्य प्रदेश में भी किसान आंदोलन ने जोर पकड़ा
New Year 2025 | पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसानों द्वारा किए जा रहे आंदोलनों को मध्य प्रदेश के किसानों का अधिक समर्थन नहीं रहा, लेकिन 2024 में सितंबर माह के दौरान मध्य प्रदेश में भी सोयाबीन के भाव को लेकर किसान आंदोलन शुरू हुए।
सोयाबीन का समर्थन मूल्य 6000 रुपए प्रति क्विंटल किए जाने को लेकर किसानों ने बड़े स्तर पर आंदोलन किए। नतीजतन सरकार ने सोयाबीन को समर्थन मूल्य पर खरीदने की घोषणा की।
जल क्रांति की बुनियाद रखने वाला वर्ष रहा 2024
New Year 2025 | वर्ष 2024 को मध्यप्रदेश एवं राजस्थान के लिए जल क्रांति की बुनियाद रखने वाले वर्ष के रूप में याद किया जाएगा। साल की शुरुआत से जो प्रयास चल रहे थे उन्हें अंततः प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के हाथों एक ठोस बुनियाद मिली।
दशकों से लंबित पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी लिंक परियोजना की शुरुआत की नींव पड़ी और साल के आखिर आते-आते देश की पहली नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना केन-बेतवा की आधारशिला भी प्रधानमंत्री ने रखी।
यह दोनों परियोजनाएं न सिर्फ मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश में जल राशि के समान वितरण और न्यायपूर्वक उपयोग की दृष्टि से मील का पत्थर साबित होंगी। अन्य देशों के लिए भी यह उदाहरण होगा। : New Year 2025
वर्ष 2024 मध्यप्रदेश के लिए अभूतपूर्व गतिविधियों और उपलब्धियों भरा वर्ष रहा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार ने एक वर्ष पूरा किया। कई ठोस निर्णय लिए गए जो भविष्य में परिवर्तनकारी साबित होंगे।
उत्साहजनक औद्योगिक निवेश
वर्ष 2024 एक प्रकार से निवेश के लिए भी फलदाई रहा। सरकार की नीतियों और निर्णयों से प्रभावित होकर निवेशकों ने क्षेत्रीय औद्योगिक सम्मेलनों के माध्यम से भरपूर निवेश किया। : New Year 2025
मध्यप्रदेश के औद्योगिक निवेश परिदृश्य में सकारात्मक और उत्साहजनक परिवर्तन हुआ। पहली बार प्रदेश के विभिन्न भौगोलिक भागों में औद्योगिक निवेश पहुंचाने की पहल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने की। क्षेत्रीय औद्योगिक सम्मेलनों का आयोजन इस दृष्टि और दर्शन के साथ किया गया कि औद्योगिक निवेश किसी एक भूभाग में न होकर उनका सामान वितरण हो।
इससे औद्योगिक निवेश का फायदा समान रूप से सभी लोगों को एक समान रूप से हो सके। इसके पीछे सोच समझ यह रही कि प्रदेश के हर क्षेत्र की अपनी विशेषताएं हैं। निवेश की अपनी संभावनाएं हैं। इनका दोहन भी रणनीतिक तरीके से होना चाहिए। इससे औद्योगिक विकास के साथ स्थानीय रूप से रोजगार का सृजन भी बड़े पैमाने पर होगा। आने वाले वर्षों में इसके सुपरिणाम दिखाई देंगे। : New Year 2025
प्रदेश में 6 रीजनल इंडस्ट्री कॉनक्लेव के माध्यम से तीन लाख करोड़ से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव मिले। इनसे रोजगार निर्माण का परिदृश्य सकारात्मक रूप से बदलेगा। निवेश आकर्षित करने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की यूके और जर्मनी यात्रा में 78 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले।
मुम्बई, कोयंबटूर, बैंगलुरू और कोलकाता में हुए रोड़-शो में एक लाख करोड़ और भोपाल में आयोजित खनन कॉन्क्लेव में 20 हजार करोड़ रूपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए। इस प्रकार 2024 औद्योगिक निवेश के लिए उत्साहजनक रहा, जो प्रदेश को औद्योगिक हब बनाने और युवाओं के लिए रोजगार सृजन के बड़े अवसर उपलब्ध करवायेगा।
श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना लागू हुई
किसानों के हित में श्रीअन्न के उत्पादन को बढ़ावा देने रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना का लागू होना एक विशेष उल्लेखनीय पहल रही। किसानों को प्रति क्विंटल एक हजार रूपये की विशेष प्रोत्साहन राशि देने का भी दूरदृष्टि भरा निर्णय रहा।
साल की शुरुआत में ही इंदौर की हुकुमचंद मिल के 4800 श्रमिक परिवारों को 224 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान कराकर सरकार ने संवेदनशील और गरीब हितैषी होने का परिचय दे दिया था। अब ग्वालियर सहित अन्य शहरों में बंद पड़ी मिलों के संबंध में भी इंदौर की तर्ज पर काम होगा।जनजातीय परिवारों के हित में ऐतिहासिक पहल करते हुए शिवपुरी जिले में देश की सबसे पहली प्रधानमंत्री जन मन कॉलोनी सहरिया परिवारों के लिए बनी।
राजस्व महाअभियान किसानों के लिए रहा लाभदायक
राजस्व महाअभियान 1, 2 और 3 चलाकर राज्य सरकार ने कई लंबित राजस्व प्रकरणों का निराकरण और राजस्व अभिलेखों को दुरुस्त किया। शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम यह रहा कि सभी जिलों में पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस का शुभारंभ हो गया।स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी कई अभूतपूर्व कदम सरकार ने उठाए। पीएमश्री एयर एंबुलेंस सेवा का शुभारंभ हुआ। इससे दूरस्थ क्षेत्र के गंभीर रूप से बीमार या दुर्घटनाग्रस्त लोगों को एयरलिफ्ट कर समय पर उपचार देने की संवेदनशील पहल रही है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में ही कार्य क्षमता बढ़ाने के लिए चिकित्सा शिक्षा और लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग का आपस में विलय कर दिया गया।
मध्यप्रदेश में राजस्व संग्रहण में भी वर्ष-2024 में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल हुई है। राष्ट्रीय स्तर पर राजस्व संग्रहण के प्रयासों को सफलता मिली। इसका सीधा संबंध कर चुकाने वाले समुदाय, व्यापारिक समूहों और राज्य सरकार के बीच आपसी विश्वास का मजबूत होना है। स्व-प्रेरणा से राजस्व अदा करने की प्रवृत्ति बढ़ी है।
नवाचारों से मिली एमपी को नई पहचान
साल के आखिर आते तक मध्यप्रदेश के कई क्षेत्रों को राष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान मिली। प्रदेश के पर्यटन क्षेत्र को वैश्विक पहचान मिली और पर्यटन क्षेत्र को सबसे आकर्षक पर्यटन स्थलों वाले प्रदेश के रूप में मान्यता मिली।
सूचना प्रौद्योगिकी का रचनात्मक उपयोग करते हुए नागरिक सुविधाओं की पहुंच बढ़ाना और उन्हें सरल करने के प्रयासों की श्रृंखला में साइबर तहसील का संचालन वर्ष-2024 के लिए अत्यंत सफल और प्रशंसनीय प्रयास साबित हुआ। इससे मानवीय हस्तक्षेप के कारण होने वाली गलतियों की संभावनाएं समाप्त हो गई। : New Year 2025
इसी साल मध्यप्रदेश में एक क्रांतिकारी पहल करते हुए जिला इकाइयों के पुनर्गठन के लिए विशेष परिसीमन आयोग का गठन किया। आयोग ने काम करना शुरू कर दिया। भविष्य में इसकी सिफारिशों के आधार पर जिलों और संभाग की सीमाओं का पुनर्गठन होगा। इससे प्रशासनिक स्तर पर आने वाली बहुत सारी बाधाएं दूर हो जाएंगी।