पूसा इंस्टीट्यूट ने साल भर पहले ही बासमती धान की दो ऐसी किस्मों का विकास कर लिया था जिनकी मदद से प्रति हेक्टेयर 45 लाख लीटर पानी की बचत हो सकती है. लेकिन, कुछ तकनीकी कारणों से इसे बाजार में नहीं उतारा गया था. वैज्ञानिकों ने खेती में पानी बचाने के मकसद से पूसा बासमती-1979 और पूसा बासमती-1985 के नाम से दो नई वैराइटी निकाली थी, जो सीधी बिजाई करने के लिए मुफीद हैं. इस साल से इसके बीज को बाजार में उतार दिया गया है. अगर आप इन किस्मों के बीज लेने जा रहे हैं तो आपको खास सावधानी बरतने की जरूरत है, क्योंकि नकली बीज मिला तो आपकी पूरी मेहनत और लागत पर पानी फिर जाएगा. खरपतवारनाशी डालने पर धान भी पूरी तरह से जल जाएगा.
इसलिए पूसा के वैज्ञानिकों का कहना है कि किसान या तो इन किस्मों का बीज पूसा इंस्टीट्यूट से खरीदें या फिर उसी कंपनी से जिसे लाइसेंस मिला है. अगर बाकी कोई भी इन किस्मों का बीज बेच रहा है तो उसे नकली मान लें. अगर ‘रोबिनॉवीड’ नाम के ठप्पे के साथ बीज मिल रहा है तो उसे आप सही मान सकते हैं. बीज बहुत महंगा नहीं है. एक एक एकड़ में सिर्फ 8 किलो बीज लगता है और इसका दाम सिर्फ 1000 रुपये है, लेकिन असली-नकली परखने की सबसे बड़ी चुनौती हैं. बाकी किस्मों के नकली और इन दोनों के नकली बीज से नुकसान में काफी अंतर है. इसकी वजह है.
नकली बीज मिला तो क्या होगा?
सीधी बिजाई वाले धान के खेत में खरपतवारों की सबसे बड़ी चुनौती होती है. जबकि इन दोनों किस्मों में यह समस्या नहीं है. क्योंकि, ये हर्बिसाइड टॉलरेंट (खरपतवार नाशक-सहिष्णु) हैं. यानी हर्बिसाइड डालने पर खरपतवार खत्म हो जाएंगे और धान बचा रहेगा. अब अगर आपको नकली बीज मिल गया तो वह हर्बिसाइड टॉलरेंट नहीं होगा. यानी जैसे ही आप हर्बिसाइड डालेंगे, खरपतवारों के साथ धान भी जल जाएगा. यानी शत-प्रतिशत नुकसान होगा. इन दोनों किस्मों की बिजाई को लेकर जो महत्वपूर्ण बातें हैं उसे भी जान लीजिए.
सवाल: बीज दर कितनी होगी?
जवाब: सीधी बुवाई के लिए 8 किलोग्राम/एकड़ बीज पर्याप्त होगा.
सवाल: बीज उपचार कैसे करें?
जवाब: बुवाई से 24 घंटे पहले बाविस्टिन 16 ग्राम को 8 लीटर पानी (8 किलोग्राम बीज के लिए पर्याप्त) में घोलें.
सवाल: सीधी बुवाई कब करें?
जवाब: 5 जून से 30 जून तक, बारिश शुरु होने से पहले.
सवाल: अंतर कितना रखें?
जवाब: 20 x 20 सेंटीमीटर का.
सवाल: उर्वरक कितना डालें?
जवाब: एनपीके-50:12:12 किलोग्राम और नाइट्रोजन 3 भागों में डालें. जिंक सल्फेट मोनोहाइड्रेट @ 6 किलोग्राम/एकड़ का इस्तेमाल करें. उर्वरक की मात्रा का निर्धारण मिट्टी की जांच के आधार पर करना चाहिए.
सवाल: खरपतवार नियंत्रण कैसे करें?
जवाब: इमाजेथापायर 10% एसएल (2.66 मि.ली/लीटर) बुवाई के 16-18 दिन बाद डालें. जब खरपतवार दो पत्ती वाली अवस्था में हों. (सुनिश्चित करें कि खेत की मिट्टी पानी की पतली परत से नम हो और स्प्रे के दौरान खेत से पानी की निकासी न हो. यही नहीं एचटी यानी हर्बिसाइड टॉलरेंट धान के खेत से गैर एचटी धान के खेत में पानी की आवाजाही न हो.
सवाल: तना छेदक से सुरक्षा कैसे करें?
शाकनाशी यानी हर्बिसाइड के छिड़काव के कम से कम 2-3 दिन बाद कार्टाप हायड्रोक्लोराइड 5 से 7 किलो प्रति एकड, बी.पी.एच. इमिडाक्लोप्रिड 3 से 4 मिली प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
सवाल: फॉल्स स्मट से बचाव कैसे करें?
जवाब: 2 से 2.5 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराईड प्रति लीटर पानी में मिलाकर 2 से 3 बार छिड़काव करें.
सवाल: शीथ ब्लाईट का कंट्रोल कैसे होगा?
जवाब: 2 मिली लीटर हेक्साकोनाजोल प्रति. लीटा पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
सवाल: बी.एल.बी. से बचाव कैसे करें?
जवाब: 2 से 2.5 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराईड +50 मि.ग्रा. स्ट्रेप्टोसाइक्लीन प्रति ली. पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
सवाल: इन किस्मों को ब्लास्ट रोग से कैसे बचाएं?
जवाब: 1 से 15 ग्राम कार्वेण्डाजिम या 15 ग्राम हिनोसान प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें.
सवाल: कटाई कब करें?
जवाब: जब बालियां 80 फीसदी तक सूख जाएं तब इन किस्मों के धान की कटाई का सही समय होता है.
कितनी होगी पैदावार
हर्बिसाइड टॉलरेंट पूसा बासमती-1979 और पूसा बासमती-1985 को बासमती धान की पुरानी और फेमस वैराइटी को सुधार करके बनाया गया है. पूसा बासमती-1121 को सुधार कर पूसा बासमती-1979 बनाई गई है. पूसा बासमती-1509 को सुधार कर पूसा बासमती-1985 को बनाया गया है.
पूसा बासमती-1979 किस्म 130-133 दिनों में तैयार हो जाएगी और उसकी उपज 45.77 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होगी. जबकि पूसा बासमती-1985 किस्म 115-120 दिनों में तैयार होगी और उसका उत्पादन 52 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होगा. पूसा के कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि इन किस्मों की खेती से किसानों को 4000 रुपये प्रति एकड़ की अतिरिक्त इनकम होगी.