साल के पहले दिन मोदी कैबिनेट की बैठक में किसानों के हित से जुड़े दो महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में लिए गए कैबिनेट फैसलों की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि आज की कैबिनेट बैठक पीएम मोदी ने किसानों को समर्पित की है. सबसे पहले प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है. पीएम फसल बीमा योजना का बजट बढ़ाकर 69,515 करोड़ किया गया है. वहीं, दूसरा बड़ा फैसला डीएपी खाद की सब्सिडी को लेकर किया गया है. डीएपी खाद का 50 किलोग्राम का बैग किसानों को 1350 रुपये में ही मिलता रहेगा. बैठक में नवाचार और प्रौद्योगिकी कोष (FIAT) का सृजन कर 800 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पीएम फसल बीमा से जुड़े कामों में तकनीक का इस्तेमाल करते हुए इसे अलग स्तर पर ले जाने का काम किया जाएगा.केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कैबिनेट बैठक के फैसलों पर जानकारी देते हुए पूर्व की कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के समय फसल बीमा योजना के नियमों की आलोचना की. इस दौरान उन्होंने बताया कि हमारी सरकार ने जरूरी बदलाव कर इसे किसान हितैषी बनाया.
कवरेज क्षेत्र में बदलाव, आसानी से मिलेगा मुआवजा
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पीएम फसल बीमा योजना कुल प्रीमियम के मामले में तीसरी सबसे बीमा योजना है. 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 20 लिस्टेड बीमा कम्पनियां बुवाई से लेकर कटाई तक फसलों के लिए व्यापक सुरक्षा गारंटी दे रही हैं. नए फैसले में फसल जीवन चक्र के दौरान खेत स्तर और क्षेत्र स्तर पर फसल नुकसान को कवर किया गया है. पहले तहसील या बड़े क्षेत्र में फसल को नुकसान होने पर ही मुआवजा दिया जाता था, जिससे कई बार किसान मुआवजे से वंचित रह जाते थे. लेकिन लोकल लेवल पर बीमा कवरेज क्षेत्र के दायरे में सुधार से अब मुआवजा मिलने में आसानी होगी.
उत्पादन प्रभावित होने पर मिलेगा मुआवजा
पीएम फसल बीमा योजना में प्राकृतिक आपदाओं और प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों के कारण होने वाले नुकसान को भी कवर किया गया है. यानी बुवाई के समय ज्यादा गर्मी और ज्यादा सर्दी पड़ने से उत्पादन पर असर पड़ता है तो इसके लिए भी मुआवजा दिया जाएगा. इसमें फंडिग का पैटर्न पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए 90:10 रखा गया है, जबकि अन्य राज्यों के लिए 50:50 रखा गया है.
पहले की तरह रहेगा फसल का प्रीमियम भुगतान
किसान को पहले की तरह ही फसल बीमा के लिए बीमा मूल्य का 1.5% से 5% प्रीमियम चुकाना होगा. दक्षता और पारदर्शिता के लिए डिजिटल और रिमोट-सेंसिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा. 2023-24 में 4 करोड़ किसानों (55% गैर-ऋणी) को बीमाकृत किया गया. इसमें 6 करोड़ हेक्टेयर भूमि क्षेत्र कवर की गई.
लाभ लेने वाले 57% किसान OBC, SC और ST
2023-24 में कार्यान्वयन करने वाले राज्यों में सकल फसल क्षेत्र का 39% कवर किया जाएगा. योजना की प्रीमियम दर 16% से घटाकर 11% की गई, जिससे 10,500 करोड़ से अधिक की बचत हुई. 88% बीमा करवाने वाले किसान लघु एवं सीमांत हैं, 57% बीमित किसान ओबीसी, एससी एवं एसटी हैं.
पीएम फसल बीमा याेजना से जुड़ी किसी भी शिकायत को दूर करने के लिए केंद्रीकृत शिकायत निवारण प्रणाली बनाई गई है. किसान टोल-फ्री नंबर 14447 पर कॉल करके अपनी शिकायत दर्ज सकते हैं. 90% बीमित क्षेत्र डिजिटल भूमि अभिलेखों के माध्यम से मान्य है.
1350 रुपये में ही मिलेगा डीएपी का बैग
किसानों को सस्ती डीएपी खाद उपलब्ध कराने के लिए कैबिनेट बैठक में अतिरिक्त सब्सिडी के लिए 3,850 करोड़ रुपये के एकमुश्त विशेष पैकेज को मंजूरी दी गई है. इससे किसानों को 50 किलो की बोरी के हिसाब से 1,350 रुपये में डीएपी मिलता रहेगा. अतिरिक्त बोझ सरकार उठाएगी.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि मिडिल ईस्ट, रूस-यूक्रेन युद्द आदि के कारणों से डीएपी की वैश्विक बाजार में कीमतें अस्थिर हैं. लाल सागर जैसे प्रमुख समुद्री मार्ग संघर्षों के कारण असुरक्षित हैं. जहाजों को भारत में खाद लाने के लिए केप ऑफ गुड होप का उपयोग करना पड़ता है.
2014 से ही प्रधानमंत्री मोदी ने यह सुनिश्चित किया है कि किसानों को कोविड और युद्ध संबंधी व्यवधानों के कारण बाजार में उतार-चढ़ाव का खामियाजा न भुगतना पड़े. 2014-24 तक उर्वरक सब्सिडी 11.9 लाख करोड़ रुपये थी, जो 2004-14 (5.5 लाख करोड़ रुपये) से दोगुनी से भी अधिक है.
शिवराज बोले- UPA सरकार में फसल बीमा योजना से किसानों को नहीं बैंकों को होता था फायदा
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कैबिनेट बैठक के फैसलों पर विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने कहा कि किसानों से जुड़े तीन महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पीएम फसल बीमा योजना कांग्रेस की यूपीए सरकार के समय भी होती थी, लेकिन यह योजना बैंकों के लिए गारंटी का काम करती थी और लोन लेने वाले किसानों के लिए अनिवार्य थी. वहीं, गैर ऋणी किसान इसके दायरे में आते ही नहीं थे. हमारी सरकार ने इसमें जरूरी सुधार किए हैं.
‘अब आसान है मुआवजे का क्लेम’
पीएम फसल बीमा योजना में पहले ईकाई ब्लॉक या तहसील होती थी. इसका मतलब है कि अगर पूरे ब्लॉक में या तहसील में जब फसल खराब होती थी तभी मुआवजा दिया जाता था. ऐसे में कभी 5-10 गांवों में भी फसल बर्बाद होती थी तो किसानों को मुआवजा लेने के लिए प्रार्थना करनी पड़ती थी कि पूरी तहसील या ब्लॉक में फसल खराब हो जाए, ताकि वे मुआवजा क्लेम कर सकें.
लेकिन, हमारी सरकार ने 2016 में इस नियम को बदल दिया और ईकाई को गांव और ग्राम पंचायत स्तर पर कर दिया. अब किसी एक गांव में भी फसल खराब होने पर किसानों को मुआवजा मिलता है. साथ ही स्थानीय आपदा को भी कवरेज में शामिल किया गया है. अब अगर एक किसान का भी नुकसान होता है तो बीमा कंपनी उसे मुआवजा देगी.
भुगतान में देरी पर बीमा कंपनी देगी ब्याज
वहीं कई अन्य बदलाव भी किए गए हैं. अगर बीमा कंपनी किसान को भुगतान देने में देरी करती है तो उस राशि पर 12 प्रतिशत की दर से ब्याज देना होगा. कैबिनेट ने आज पीएम फसल बीमा योजना और मौसम आधारित फसल बीमा योजना को वर्ष 2025-26 में भी जारी रखने की मंजूरी दी है, जिसमें कुल बजट 69,515.71 करोड़ रुपये होगा.
बुवाई से लेकर कटाई के बाद तक बीमा कवरेज
पीएम फसल बीमा याेजना के तहत किसानों को बुवाई से लेकर कटाई के बाद तक इस योजना का कवरेज मिलेगा. केंद्रीय मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि किसानों ने योजना की शुरुआत से अब तक लगभग 34 हजार करोड़ रुपये का प्रीमियम जमा किया, जिसके बदले उन्हें लगभग एक लाख 70 हजार करोड़ रुपये का क्लेम मिला.
तकनीक से होगा नुकसान का आकलन
उन्होंने योजना से जुड़े एक और पहलू पर बात करते हुए कहा कि पहले फसल नुकसान का आकलन मैन्युअली यानी हाथों से किया जाता था, जिसमें अक्सर गड़बड़ी की शिकायतें आती थी, लेकिन अब इसमें तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. रिमोट सेसिंग टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से अब ये परेशानी नहीं आएगी.