राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत किसानों की 50 लाख तक की मदद करेगी सरकार

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सरकार ने किसानों और पशुपालकों के लिए कई अच्छी योजनाएं बनाई हैं। इसी क्रम में सरकार ने राष्ट्रीय पशुधन मिशन को शुरू किया।इसका मुख्य लक्ष्य छोटे पशुपालकों की मदद करना है और पशुओं की नस्ल को सुधारना है। रोजगार सृजन, उद्यमिता विकास और प्रति पशु उत्पादकता में वृद्धि इस योजना का प्रमुख लक्ष्य हैं।

राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत कितना लाभ मिलेगा?

इस योजना के तहत 25 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता से मदर यूनिट की स्थापना (न्यूनतम 1000 पैरेंट लेयर्स के साथ) हैचिंग अंडों और चूजों के उत्पादन और चार सप्ताह तक उन चूजों को मदर यूनिट में पालने के लिए मिलेगी।गाय और बकरी प्रजनन संस्था की स्थापना करने के लिए लगभग पचास लाख रुपये की मदद दी जाती है।केंद्रीय सरकार, राज्य सरकार, विश्वविधालय या स्थानीय किसानों से सूअर ब्रीडिंग फार्मों की स्थापना करने के लिए लगभग 30 लाख रुपये की मदद मिलती है, जिसमें कम से कम 100 शिकारियों और 10 सूअरों की आवश्यकता होगी।वित्तीय सहायता के लगभग 50 लाख रुपये हे/साइलेज/कुल मिश्रित राशन (TMR) तैयार करने, चारा ब्लॉक बनाने या चारा मूल्यवर्धन इकाई स्थापित करने के लिए दी जाती है।

राष्ट्रीय पशुधन मिशन का मुख्य उद्देश्य क्या है?

  • छोटे पशुपालन, कुक्कुट और सूअर पालन और चारा क्षेत्र में उद्यमिता का विकास होगा।
  • नस्ल सुधार से प्रति पशु उत्पादकता में सुधार होगा।
  • मांस, अंडा, बकरी का दूध, ऊन और चारे का उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी।
  • चारा बीज आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना और प्रमाणित चारा बीज की उपलब्धता को बढ़ाकर मांग को काफी हद तक पूरा किया जा सकता है।
  • चारा उत्पादन को बढ़ावा देकर मांग-आपूर्ति के अंतर को कम किआ जायेगा।
  • किसानों को पशुधन बीमा प्रदान करना जैसे जोखिम प्रबंधन उपायों को बढ़ावा देना।
  • मुर्गी, भेड़, बकरी पालन और चारा उत्पादन में प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अनुप्रयुक्त शोध को बढ़ावा देना।
  • राज्य के पदाधिकारियों और पशुपालकों को सुदृढ़ विस्तार मशीनरी के माध्यम से किसानों को गुणवत्तापूर्ण विस्तार सेवाएं देने की क्षमता देना।
  • पशुधन उत्पादन में सुधार और उत्पादन लागत को कम करने के लिए कौशल आधारित प्रशिक्षण और प्रौद्योगिकियों के प्रसार को बढ़ावा मिलेगा।
  • राष्ट्रीय पशुधन मिशन में आवेदन करने के लिए पात्रता
  • स्वयं सहायता समूह (एसएचजी), किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), किसान सहकारिताएं (एफसीओ), संयुक्त देयता समूह (जेएलजी) और धारा 8 की कंपनियां सरकार की इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।
  • इस योजना में आवेदन करने वाले के नाम भूमि स्वयं की होनी चाहिए या लीज पर ली गई होनी चाहिए।
  • आवेदक के पास KVC से संबंधित दस्तावेज होने चाहिए।
  • आवेदक के पास स्व-वित्तपोषित परियोजनाओं या स्वीकृत ऋण में बैंक गारंटी होनी चाहिए।