कर्नाटक में सूरजमुखी खरीद के लिए अभी तक नहीं खुली सरकारी मंडी

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कर्नाटक में सूरजमुखी की खेती करने वाले किसान फिलहाल परेशान हैं क्योंकि उन्हें अपनी उपज के अच्छे दाम नहीं मिल रहे हैं. दरअसल यहां पर सूरजमुखी के सरकारी केंद्र अब तक नहीं खोले गए हैं. इसके कारण किसानों को खुले बाजारों में अपने सूरजमुखी को कम कीमत पर बेचना पड़ रहा है. खरीद केंद्रों के नहीं खोले जाने के कारण मैसूर और चामराजनगर जिलों के किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस तिलहन फसल की मांग बढ़ने के बाद इस बार काफी संख्या में यहां पर खरीफ सीजन में किसानों ने इसकी खेती की है.

बाजार में बढ़ी हुई मांग को देखते हुए और उपभोक्ताओं की मांग को पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने भी विभिन्न जिलों के किसानों को सूरजमुखी की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया था. रूस और यू्क्रेन के बीच जारी युद्ध को देखते हुए राज्य सरकार की तरफ से यह पहल की गई थी. भारत में सूरजमुखी तेल की जरूरतों का 90 फीसदी हिस्सा इन्हीं दो देशों से पूरा होता है. विशेषज्ञों के अनुसार भारत ने पिछले साल लगभग 13.2 मिलियन टन खाद्य तेल का आयात किया था. इन सब कारणों को देखते हुए सूरजमुखी की खेती को बढ़ावा देने के प्रयास तेज हो गए हैं. 

MSP से कम कीमत पर फसल बेच रहे किसान

बता दें कि कर्नाटक में इस बार किसानों ने सूरजमुखी की बंपर फसल काटी है. इस बार अप्रैल मई में प्री मॉनसून के दौरान अच्छी बारिश हुई थी. उस वक्त किसानों ने सूरजमुखी का अच्छा उत्पादन हासिल किया था. इसके बाद सरकार ने सूरजमुखी की खरीद के लिए 7290 रुपये प्रति क्विंटल की एमएसपी तय की थी. लेकिन संबधित जिला प्रशासन द्वारा सूरजमुखी खरीद केंद्र समय पर नहीं खोले गए. इसके कारण किसानों को अपनी उपज सस्ते में बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. किसान अपनी फसल 4500 से 5000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेच रहे हैं. 

सूरजमुखी की खेती में बढ़ी दिलचस्पी

कृषि विभाग की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार चामराजनगर में किसानों ने 12298 हेक्टेयर में सूरजमुखी की खेती की थी. जबकि राज्य में 13905 हेक्टेयर में सूरजमुखी की खेती करने का लक्ष्य रखा गया था. चामराजनगर के गंडलूपेट, हनूर और चामराजनगर तालुका में किसानों ने इसकी खेती की थी. वहीं मैसूर में एचडी कोटे, हुनसूर, टी नरसीपुर और नांजनगुड़ तालुका में 12,000 हेक्टेयर में इसकी खेती करने का लक्ष्य रखा गया था. इस लक्ष्य की तुलना में 9,980 हेक्टेयर में  सूरजमुखी की खेती की गई थी. इन दोनों ही जिलों में कई ऐसे किसान हैं जिन्होंने पिछले साल चना, मक्का और कपास की खेती की थी, वो अब सूरजमुखी की खेती को अपना रहे हैं. 

किसानों को हो रही परेशानी

‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार होरालाहल्ली गांव के किसान मैरीगौड़ा ने खरीद केंद्र खुलने में हो रही देरी पर चिंता जताते हुए कहा कि सरकार द्वारा 7,290 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी की घोषणा से किसानों को अधिकतम लाभ मिलेगा. लेकिन खरीद में देरी के कारण उनके पास स्थानीय खरीदारों या कमीशन एजेंटों को सस्ते दामों में अपनी फसल बेचने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है. वहीं चामराजनगर में कृषि के संयुक्त निदेशक एसएस आबिद ने कहा कि विभाग ने जिला प्रशासन के माध्यम से एपीएमसी में सूरजमुखी खरीद केंद्र खोलने के लिए एक पत्र भेजा है. उम्मीद है कि सरकार दो दिनों के भीतर सभी जिलों को ऐसे खरीद केंद्र खोलने के निर्देश जारी करेगी.